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बिहार सरकार के भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी पहुंचे फुलवारीशरीफ, भीम संसद में आने के लिए लोगों को किया आमंत्रित

बिहार सरकार के भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी पहुंचे फुलवारीशरीफ, भीम संसद में आने के लिए लोगों को किया आमंत्रित

PATNA : बिहार सरकार के भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी आज आगामी 26 नवम्बर को पटना में होने वाले भीम संसद कार्यक्रम में शामिल होने के लिए आमंत्रण देने पटना के फुलवारी प्रखंड के चिलबिली पंचायत के रविदास मोहल्ले की जनता  के बीच पहुंचे।इस अवसर पर उन्होंने कहा की मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने 18 वर्ष पूर्व आपके प्यार और आशीर्वाद से इस प्रदेश की बागडोर सम्भालने का काम किया था। बागडोर सम्भालने के बाद उन्होंने आपसे वादा किया था कि हम न्याय के साथ विकास करेंगे (development with justice)  तथा हम ऐसा बिहार बनाना चाहते हैं जिसका सपना बाबा साहेब और राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी ने देखा था। डॉ चौधरी ने कहा कि हम लोग जिस परिवार से आते हैं। उस परिवार के लोगों की छाया से लोग डरते थे। उनकी परछाई से लोग डरते थे उनके पछुआ में झाड़ू बाँध दिया जाता था कि उनके पैर का जहाँ चिन्ह पड़े वो पछुआ में बंधे झाड़ू से मिटता जाय, वैसे समाज से हम आये हमारे पूर्वज ऐसी परिस्थितियों से इस समाज में आगे बढ़े। आजादी के बाद बापू ने माना कि यह एक सामाजिक कुरूति है और उन्होंने छुआछूत के खिलाफ आवाज़ बुलंद किया। अंग्रेजों से आजाद होने के बाद और जो हमारे उस समय के राजनेताओं ने संविधान का निर्माण किया और बाबा साहेब ने सबको समानता का अधिकार दिया और उन्होंने लड़ाई लड़ी कि जो लोग लंबे समय से छुआछूत से ग्रस्त हैं उन्हें आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए। उन्हें मुख्यधारा से जुड़ने के लिए जब तक हम आरक्षण का प्रावधान नहीं देंगे। तब तक उन्हें और सालों साल लगेंगे। मुख्यधारा से जुड़ने के लिए और उसके बाद जो लड़ाई लड़ी गई। उसके बाद आरक्षण का प्रावधान हुआ। लेकिन आजादी के 70 साल बाद भी जो समानता का अधिकार संविधान द्वारा दिया गया था। उस अधिकार को जमीन पर उतारने में लोग सक्षम नहीं हो पाए थे जो आर्थिक, राजनितिक और सामाजिक रूप से समानता और सम्पन्नता मिलनी चाहिए थी। उसमें कहीं ना कहीं कमी रह गई। 

चौधरी ने कहा कि बाबासाहेब ने मूलमंत्र दिया था शिक्षित बनो, संगठित रहो और संघर्ष करो तभी हमारी आने वाली पीढियां सशक्त और सुदृढ़ हो पाएंगी और और सरकार में आने के बाद नीतीश कुमार ने एक सर्वे करवाया और उस सर्वे के बाद पता चला कि तकरीबन 10 प्रतिशत बच्चे ऐसे हैं जो स्कूल नहीं जाते हैं, और वो 10 प्रतिशत बच्चे किसके हैं? वो 10 प्रतिशत बच्चे दलितों, अतिपिछड़ों और अल्पसंख्यक समुदाय के हैं। मुख्यमंत्री ने बड़े स्तर पर महादलित, अतिपिछड़ों के टोले और अल्पसंख्यकों के मोहल्ले में विद्यालयों का निर्माण करवाया। हिन्दुस्तान भर में बिहार ऐसा पहला राज्य बना। जहाँ एक साथ 25000 प्राथमिक विद्यालयों का निर्माण करवाया गया। इसके साथ ही 2.5 लाख अतिरिक्त वर्ग कक्षों का निर्माण करवाया गया और इस प्रदेश में विकास मित्र, टोला सेवकों और तालीमी मरकज साथियों के सहयोग से बच्चों को स्कूल में लाने का काम किया। आपको जानकर प्रसन्नता होगी कि अब 0.5 से भी बहुत कम बच्चे विद्यालयों के बाहर हैं। जिन्हें भी शिक्षित करने का प्रयास राज्य सरकार द्वारा किया जा रहा है। 

चौधरी ने कहा कि नीतीश कुमार ने 2007 के अपने कार्यकाल में पंचायती राज का चुनाव करवाया और उसमें अनुसूचित जाति और जनजाति के साथ - साथ अतिपिछडा और महिलाओं को आरक्षण देकर एक नई राजनैतिक पीढ़ी को जन्म देने का काम किया। वैसे तमाम लोगों को नीतीश कुमार ने इस प्रदेश में न सिर्फ मुखिया सरपंच बल्कि जिला पार्षद के पद पर भी आरक्षण दिया और ऐसे लोगों को इन पदों पर बिठाने का काम किया। कैसे हम शिक्षित बनें। इसके लिए, जो लोग इस प्रदेश में अंडा-सब्जी बेचने और साइकिल बनाने का काम करते थे। उनके माता पिता के भी अपने बच्चों को कलेक्टर, एसपी और डॉक्टर बनें। ऐसे लोगों के लिए मुख्यमंत्री ने इस प्रदेश में स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना की शुरुआत की और उसके अंतर्गत 5 लाख तक का लोन देने का प्रावधान किया। ताकि 12वी के बाद भी बच्चों कि शिक्षा में गरीबी बाधा न बनें वो पढ़े लिखे और आगे बढ़े। 

उन्होंने कहा कि हम आपसे कहने आये हैं, कि 18 वर्ष के कार्यकाल में नीतीश कुमार ने जो काम अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए कार्य किया है। आजाद हिन्दुस्तान में कोई दलित मुख्यमंत्री भी अपने राज्य में इतना काम नहीं कर पाया होगा। बाबा साहेब भीमराव अम्बडेकर ने तो समानता का अधिकार दिया। लेकिन ये कोई जरुरी नहीं है कि कोई दलित ही दलित का उद्धार कर सकें। महात्मा गांधी दलित नहीं थे। लेकिन उनको लगा कि छुआ छूत एक सामजिक कुरूति है। और उन्होंने इस पर प्रहार किया। उसी तरह नीतीश कुमार को लगा कि हम 21 वीं सदी का बिहार तभी बना सकते हैं। जब इस प्रदेश के दलित, अतिपिछडा और महिलाओं को मुख्य धारा से जोड़ना जरूरी है और इसलिए नीतीश कुमार ने योजनाओं का निर्माण किया। चौधरी ने कहा कि जो नेता आपके आने वाली पीढ़ी को शिक्षित करना चाहता है जो इनता आपको आर्थिक और राजनीतिक रूप से सबल बनाना चाहता है। वैसे नेता के मनोबल को बढ़ाने के लिए और जो लोग इस देश के संविधान और आरक्षण के साथ खिलवाड़ करना चाहते हैं। वैसे लोगों के मनसूबो को चकनाचूर करने के लिए पुरे दलित भाइयों और पार्टी के नेताओं ने नीतीश कुमार के नेतृत्व में पटना के वेटनरी मैदान में 26 नम्वबर को भीम संसद का आयोजन किया है। साथ ही उन्होंने आग्रह किया कि पूरी ताकत के साथ 26  नम्वबर को पटना पहुँचिए और मुंहतोड़ जवाब दीजिए। उन लोगों को जो संविधान और आरक्षण को खत्म करना चाहते हैं। गोलबंद हो जाइए और इस तरह से हो जाइए कि आने वाले समय में सदियों तक कोई पार्टी और नेता आरक्षण और संविधान के खिलाफ बात करने से पहले सोचे। ऐसे लोग ये भी समझ लें कि जो व्यक्ति इस प्रदेश के दलित और वंचित वर्ग का विकास करेगा, उनके हितों की रक्षा करेगा और आने वाले समय में उनको सबल बनाएगा। वही इस प्रदेश पर राज करेगा। इस अवसर पर बिहार के अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति कल्याण विभाग के मंत्री रत्नेश सदा ने सभा में उपस्थित सभी से अपील की कि वे पूरी ताकत के साथ पटना के वेटनरी मैदान में 26 नम्वबर को भीम संसद को  सफल बनाकर नीतीश कुमार के हाथों को मज़बूत बनाने का काम करें। इस कार्यक्रम में बिहार सरकार के भवन निर्माण विभाग के मंत्री अशोक चौधरी के साथ, जद(यू) के प्रदेश महासचिव रंजीत कुमार झा, रुबेल रविदास, वर्मा कुमार बागी, सुरेंद्र राजभर एवं राजू रजक सहित अनेक गणमान्यजनों की उपस्थिति रही।

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