पटना :अब गांव में भी शहर जैसी सुविधाएं उपलब्ध होंगी ।सड़क बिजली पानी तो होगा ही साथ में डिजिटल साक्षरता, नल से जलापूर्ति, सामुदायिक परिसंपत्तियों का सृजन, ग्रामीण बुनियादी ढांचे, ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन की सुविधा मुहैया कराया जाएगा। यानी एक ऐसा केंद्र बनाया जाएगा जहां से 25 से 50 हजार तक की आबादी को सीधे तौर पर लाभ पहुंचे और उन्हें विकसित किया जाए।
इन जिलों के गावँ बनेगा क्लस्टर जिसे विकसित करने में खर्च होगा 100 करोड़ रुपया
केंद्र सरकार की इस योजना के तहत पूरे देश भर में 300 क्लस्टर निर्माण का लक्ष्य रखा गया है ।जिसमें बिहार के हिस्से कुल 10 क्लस्टर हाथ लगा है। जिन जिलों में के ग्राम पंचायतों में कलस्टर विकसित किया जाएगा वे हैं गया ,सहरसा, समस्तीपुर ,रोहतास, पश्चिम चंपारण ,कैमूर, पटना और पूर्णिया।
ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार के अनुसार केंद्र सरकार के द्वारा ग्राम पंचायत को विकसित करने के इरादे से श्यामा प्रसाद मुखर्जी रूरल मिशन के तहत देश के राज्यों में कलस्टर विकसित करने की योजना 2016 में बनाई गई थी। बिहार में रिपोर्ट नहीं मिल पाने की वजह से इस महत्वाकांक्षी परियोजना पर काम शुरू नहीं हो पाया था ।अब रिपोर्ट मिल चुका है। विभागीय अधिकारी गंभीरतापूर्वक इसका अध्ययन कर रहे हैं।
कलस्टर के डीपीआर निर्माण का जिम्मा बीआईटी पटना को दिया गया था ।ग्रामीण विकास मंत्री के अनुसार एक कलस्टर को विकसित करने के लिए केंद्र सरकार कुल खर्च का 30% राशि मुहैया कराएगी ।एक केंद्र के लिए राशि अधिकतम 30 करोड रुपए होगी। बताया गया है की जिन जिलों का चुनाव हुआ है उसने ऐसे ग्राम पंचायतों का सलेक्शन किया जाएगा जो शहर से नजदीक हो। ताकि एक ग्राम पंचायत को विकसित करने के बाद 25 से 50 हजार तक लोगों को इसका लाभ मिले।