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सुशासन के लिए 'अमंगल' साबित हो रहे स्वास्थ्य मंत्री! दागदार और घोटालेबाज ऑफिसर से गजब का है प्रेम...

सुशासन के लिए 'अमंगल' साबित हो रहे स्वास्थ्य मंत्री! दागदार और घोटालेबाज ऑफिसर से गजब का है प्रेम...

PATNA: बिहार में ये कैसी सुशासन की सरकार है जहां दागदार अधिकारियों की ही पोस्टिंग होती है। स्वास्थ्य विभाग का खेल तो गजब का है। वहां घोटालेबाज और दागदार अफसरों को मनचाही पोस्टिंग दी जाती है। भले ही सुशासन पर दाग लगे तो लगे क्या फर्क पड़ता है..। स्वास्थ्य महकमें में सिविल सर्जन के जो तबादले किये गए हैं उसमें सुशासन की सारी मान्यताओं को छिन्न-भिन्न कर दिया गया। जिस सिविल सर्जन पर पद पर रहते सत्तर लाख के दवा को फर्जी तरीके से स्टोर में घुसाने के आरोप में थाने में केस दर्ज है और एक ट्रक दवा जब्त किया गया,जिसे विभाग ने फर्जीवाड़ा के आरोप में डिमोशन कर सिविल सर्जन से एसीएमओ बना दिया. उसे एक बार फिर से उसी जिले का सिविल सर्जन बना दिया गया। जब्त दवा आज भी थाने के गोदाम में रखा सुशासन की पोल खोल रहा लेकिन जिस पर घोटाले का आरोप हैं वही अधिकारी एक बार फिर से उसी जिले में उसी पद पर आ कर बैठ गया। क्या इसे आप सुशासन कहेंगे? अगर यह सुशासन है तो लानत है ऐसी सुशासन की सरकार पर...।पूरा मामला पूर्वी चंपारण यानी मोतिहारी सिविल सर्जन से जुड़ा है।

आनन-फानन में मोतिहारी पहुंच गई सरोज सिंह

जानकार बताते हैं कि मोतिहारी का सिविल सर्जन बनाने की पीछे तगड़ी सेटिंग की गई है। एक बार फिर से मोतिहारी का सिविल सर्जन बनाये जाने के बाद सरोज कुमारी सिंह आनन-फानन में मोतिहारी पहुंच गई हैं।जानकारी के अनुसार वे सीएस चैंबर में पहुंची और सीधे सिविल सर्जन की खाली कुर्सी पर बैठ गईं।उस समय प्रभारी सिविल सर्जन वहां मौजूद नहीं थे।

स्वास्थ्य विभाग के स्थानांतरण पर बड़ा सवाल

बिहार के स्वास्थ्य महकमें में 9 पदाधिकारियों का ट्रांसफऱ किया है।इनमें अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी,सिविल सर्जन और आरडीडी शामिल हैं। लेकिन इस ट्रांसफर में बड़ा चौकाने वाला खुलासा हुआ है। यूं कहें कि एक बार फिर से स्वास्थ्य विभाग में चहेते पदाधिकारियों को सेट करने का बड़ा खेल खेला गया है। फर्जीवाड़ा कर मोतिहारी का सिविल सर्जन बने और लाखों रू का दवा घोटाले के आरोप में जिस पर थाने में केस दर्ज हुआ उसी अफसर को एक बार फिर से मोतिहारी का सिविल सर्जन बना दिया गया है। 

सरोज सिंह पर दवा घोटाले के आरोप में मोतिहारी में ही दर्ज था केस

बता दें कि  2013 में मोतिहारी के सिविल सर्जन के तौर पर सरोज कुमारी सिंह पदस्थापित थी। अपने पदस्थापन काल में उन्होंने फर्जी तरीके से करीब तीस लाख से अधिक मूल्य की दवा खरीद ली थी।अस्पताल में दवा भेज दिया गया लेकिन गोदाम में दवा रखने के पहले ही स्टोर कीपर ने पूरे मामले की पोल खोल दी।इसके बाद दवा को अस्पताल में गिरा कर आपूर्तिकर्ता फरार हो गया। इसके बाद मामले का खुलासा हो गया और डीएम के आदेश पर मोतिहारी नगर थाने में 1 अगस्त 2013 को आरोपी सिविल सर्जन सरोज कुमारी सिंह पर केस दर्ज हुआ। मोतिहारी डीएम के आदेश पर सिविल सर्जन के खिलाफ नगर थाने में केस नंबर-327-13 दर्ज की गई। इसके बाद सिविल सर्जन फरार हो गईं और पुलिस पीछा करने लगी।वहीं सदर अस्पताल परिसर से लावारिश हालत में पुलिस ने एक ट्रक दवा जब्त किया।आज भी वह दवा थाने के मालखाने में सड़ रहा है।

फर्जी तरीके से बन गई थी सिविल सर्जन

इसी बीच यह भी खुलासा हुआ कि,आरोपी सिविल सर्जन फर्जी तरीके से प्रोन्नति पाकर सिविल सर्जन बन गई।इसके बाद विभाग ने जांच कराई और जांच में आरोप सही साबित हुआ और सिविल सर्जन को डिमोशन कर अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी बना दिया गया। तब से वह अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी के पद पर काम कर रही थी।वर्तमान में वह सारण के अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी के पद पर कार्यरत्त हैं।

फिर से मोतिहारी का बनाया गया सिविल सर्जन

उन्हें एक बार फिर से मोतिहारी का सिविल सर्जन बना दिया गया है। इस पदस्थापन से एक बार फिर से स्वास्थ्य महकमे के ऊपर गंभीर सवाल खड़े हो गये हैं।अब देखना होगा कि इस खुलासे के बाद तेजतर्रार माने जाने वाले विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत क्या कार्रवाई करते हैं। वहीं इस संबंध में स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय से बात का प्रयास किया गया लेकिन बात नहीं हो सकी।

इन अधिकारियों का हुआ ट्रांसफऱ  

स्वास्थ्य विभाग ने कमल किशोर राय को गया का सिविल सर्जन, सरोज कुमार सिंह को पूर्वी चंपारण का सिविल सर्जन, डॉ रूप नारायण कुमार को अररिया का सीएस और सत्येंद्र कुमार गुप्ता को समस्तीपुर का नया सिविल सर्जन बनाया है. वहीं डॉ पशुपति प्रसाद सिंह को गुरु गोविंद सिंह सदर अस्पताल पटना का नया अधीक्षक बनाया गया है. पटना की अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ विभा कुमारी सिंह को ही पटना का नया सिविल सर्जन बनाया गया है. पटना के सीएस डॉ राज किशोर चौधरी का तबादला करते हुए उन्हें आरडीडी बनाया गया है।

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