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Bihar Land Survey: बिहार में जानें कब हुआ था पहली बार कैडस्ट्रल सर्वे

Bihar Land Survey: बिहार में जानें कब हुआ था पहली बार कैडस्ट्रल सर्वे

बिहार में जमीन सर्वे का बड़ी तेजी से चल रहे हैं. जैसे जैसे सर्वे का काम तेज हो रहा है दाखिल खारिज और परिमार्जन एवं अन्य काम के लिए अंचल मुख्यालय में भीड़ भी बढ़ाने लगी है.  लेकिन क्या आपको पता है क्या कि बिहार में पहली बार कब हुआ था कैडस्ट्रल सर्वे. बिहार में पहली बार 1890 से 1920 के बीच “कैडस्ट्रल सर्वे" हुआ था. कैडस्ट्रल का मतलब खेसरा या प्लॉट होता है. स्वतंत्रता प्राप्ति और जमींदारी उन्मूलन के बाद दूसरा सर्वे हुआ, लेकिन यह रिविजनल सर्वेक्षण था. यह रिविजनल सर्वेक्षण पूर्व में किये गये कैडस्ट्रल सर्वेक्षण का अद्यतीकरण था. कैडस्ट्रल सर्वे के वैधानिक आधार और तकनीक पर, रिविजनल सर्वे अलग-अलग समय में बिहार के कई जिलों में किया गया. वर्तमान में किये जाने वाले विशेष सर्वेक्षण एवं बंदोबस्त का वैधानिक आधार बिहार विशेष सर्वेक्षण एवं बंदोबस्त अधिनियम- 2011 और नियमावली- 2012 (संशोधित) है. इस सर्वेक्षण में हवाई जहाज में लगे उच्च क्षमता के कैमरों द्वारा प्रत्येक भू-खंड के खींचे गए फोटो से तैयार आर्थो फोटोग्राफ की सहायता से स्थल सत्यापन के बाद मानचित्र का निर्माण किया जाता है. इसमें लगान बंदोबस्ती की प्रक्रिया भी पहले से पूरी तरह अलग है.



भ्रष्टाचार और आवेदन के बारे में क्या कहते हैं अधिकारी
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के सचिव जय सिंह का सर्वे के दौरान भ्रष्टाचार के बारे में स्पष्ट कहना है कि आपको सर्वे कार्य के लिए कहीं भी पैसे देने की जरूरत नहीं है. यदि आपसे कोई अधिकारी या कर्मचारी पैसे मांगता है तो इसकी लिखित शिकायत डीएम से करें. सर्वे प्रक्रिया में गड़बड़ी की शिकायत आयेगी तो दोषियों पर कार्रवाई होगी. वहीं सर्वे के लिए आवेदन या कागजात जुटाने संबंधी परेशानी दूर करने के लिए आप वसुधा केंद्र से संपर्क कर सकते हैं. इसके साथ ही आप सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी से भी संपर्क कर सकते हैं. वहीं सर्वे के लिए जमीन का दस्तावेज आप राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की वेबसाइट से ऑनलाइन देख सकते हैं. इसमें खतियान, रजिस्टर-2 सहित सहित दस्तावेज मौजूद हैं. साथ ही सर्वे का आवेदन आप तय प्रारूप को देखकर सादे कागज पर कर सकते हैं. 


कैथी पढ़ने वालों की हो रही तलाश

बिहार भू-सर्वेक्षण के नियमों से अभी तक अनभिज्ञ हैं. खतियानी रैयत को ब्रिटिश शासनकाल के दौरान के खतियान की छायाप्रति और मालगुजारी रसीद प्रस्तुत करना है. जिन किसानों ने किसी दूसरे से जमीन खरीद की है, उनके लिए केवाला जरूरी है. गैरमजरुआ खास, खरात, गोड़ईती जागीर और खिजमती जागिर जोत-कोड़ करने वाले के लिए जमींदार द्वारा निर्गत किया गया रिटर्न प्रस्तुत करने की बात सामने आ रही है. सर्वे के दौरान किसान तरह-तरह की समस्या से जूझ रहे हैं. एक तरफ जमाबंदी ऑनलाइन के क्रम में खाता, प्लॉट और रकबा में भारी गड़बड़ी की गयी है. इसमें सुधार कराने के लिए किसान अंचल कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं. वर्तमान में परिमार्जन से भी त्रुटि में वांछित सुधार नहीं हो रहा है. ऐसी स्थिति में बिचौलियों की चांदी है. ब्रिटिश हुकूमत के दौरान तैयार किया गया सर्वे खतियान, रिटर्न, जमींदारी रसीद, बंदोबस्त पेपर की भाषा कैथी है. वर्तमान में जिले में इक्के-दुक्के लोग कैथी हिंदी के जानकार रह गये हैं. वहीं जो रह गये हैं वे काफी वृद्ध हो गये हैं. कहीं कैथी जानने वाले वृद्ध हैं भी तो पढ़कर देवनागरी हिंदी में तैयार करने के लिए प्रति पेज 500 से लेकर 700 रुपये की मांग कर रहे हैं. लोगों के लिए मुंह मांगे रुपये देना मजबूरी हो गयी है. हालांकि वर्तमान समय के बहुत कम ही अधिकारी हैं, जो कैथी पढ़ने में सक्षम हैं.  

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