PATNA: बिहार में भूमि सर्वे पर काम हो रहा है. सर्वे को लेकर भू-धारी परेशान हैं. सर्वेक्षण को लेकर कई जिलों से विरोध दर्ज किए जाने की खबरें भी आ रही हैं. इधऱ, सरकार दावा कर रही है,जुलाई 2025 तक इस काम को पूरा कर लिया जायेगा. बड़ा सवाल यही है कि सर्वे तय समय में कैसे पूरा होगा ? यहां तो पग-पग पर परेशानी है. न सिर्फ भू-धारी परेशान हैं, बल्कि सर्वे करने वाले कर्मचारी-अधिकारी भी परेशान हैं. रैयत जहां जमीन के कागजात इकट्ठा करने में पसीना बहा रहे, वहीं कर्मचारी कैथी लिपि को लेकर परेशान हैं. इस बार के सर्वे में सदियों पुरानी कैथी लिपी चुनौती बनकर सामने आई है. सर्वे कर्मचारियों को कैथी लिपि को पढ़ने में भारी समस्या आ रही है. हालांकि सरकार कैथी लिपि रूपी समस्या का समाधान निकालने में जुटी है. सर्वेक्षण करने वाले राजस्व अधिकारियों और कर्मचारी अब कैथी की ट्रेनिंग लेंगे. 17 सितंबर से इसकी शुरूआत हो रही है. बिहार के एक और बनारस हिंदू विवि के एक स्कॉलर को इसके लिए चुना गया है. ये दोनों शख्स सर्वे कर्मियों को कैथी लिपि की ट्रेनिंग देंगे.
17 तारीख से हो रही शुरूआत...
कैथी लिपि की ट्रेनिंग देने को लेकर राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने दो प्रशिक्षकों को नियुक्त किया है। दोनों प्रशिक्षकों जिलों में जाकर तीन दिनों तक कैथी लिपि का प्रशिक्षण देंगे. राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के भू-अभिलेख एवं परिमाप निदेशक जय सिंह ने इस संबंध में पश्चिमी चंपारण के बंदोबस्त पदाधिकारी को पत्र लिखा है. जिसमें कहा गया है कि 17 से लेकर 19 सितंबर तक आपके कार्यालय में पश्चिमी चंपारण जिले के सभी विशेष सर्वेक्षण अमीनो एवं कानूनगो का प्रशिक्षण होगा .भू अभिलेख एवं परिमाप निदेशालय ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के रिसर्च स्कॉलर प्रीतम कुमार एवं छपरा के मोहम्मद वकार अहमद को इसके लिए चयन किया है. यह दोनों प्रशिक्षक राज्य के अलग-अलग क्षेत्रों जैसे मिथिला, मगध एवं भोजपुरी की पूर्व प्रचलित कैथी लिपि से संबंधित प्रशिक्षण देंगे. यह प्रशिक्षण तीन दिनों की होगी.
1980 तक प्रचलन में था कैथी लिपि
दरअसल, मुगल और ब्रिटिश काल में भूमि दस्तावेजों के रिकॉर्ड कैथी लिपी में ही दर्ज होते थे. बिहार में कैथी लिपि 1980 तक प्रचलन में थी. बताया जाता है कि 15-20 साल पहले तक बिहार के कई जिलों में भूमि रिकॉर्ड लिखने के लिए कैथी लिपि का इस्तेमाल किया जाता था. इस लिपी को समझने वाले लेखक अच्छी रकम भी लेते थे. आज केराजस्व अधिकारियों के लिए कैथी लिपि में लिखे गए दस्तावेजों को समझना एक बड़ी चुनौती है