PATNA: बिहार में 1 अप्रैल 2020 के बाद अब बीएस-4 वाहनों की न तो बिक्री होगी और न ही उसका रजिस्ट्रेशन होगा। बिक्री पर पूरी तरह से प्रतिबंध लग जायेगा। परिवहन सचिव संजय कुमार अग्रवाल ने कहा है कि हालांकि बीएस-4 जो पहले से खरीदे गए हैं उनके चलाने पर किसी प्रकार की रोक नहीं रहेगी । उन्हें केवल प्रदूषण प्रमाण पत्र अद्यतन रखना होगा।
परिवहन सचिव ने स्पष्ट करते हुए कहा है पूर्व में खरीदे गए बीएस-4 वाहनों के परिचालन पर किसी प्रकार की रोक नहीं रहेगी। उसे पूर्ववत चलाया जा सकता है। केवल प्रदूषण प्रमाण पत्र अद्यतन रखना होगा। लेकिन किसी भी शो रूम में बीएस- 4 की गाड़ी 1 अप्रैल के बाद नहीं पायी जानी चाहिए। इसके लिए 1 अप्रैल के बाद विशेष जांच अभियान भी चलाया जाएगा।
उन्होंने कहा है कि विगत वर्षों में देखा गया था कि अवधि समाप्त होने के बाद भी वाहन की खरीद बिक्री होती थी उस पर पूरी तरह रोक रहेगी। उन्हीं वाहनों को खरीद बिक्री के लिए माना जायेगा जिनका रजिस्ट्रेशन ऑनलाइन वाहन के सॉफ्टवेयर पर अप्लाई हो चुका होगा। आवेदन 31 मार्च तक ही स्वीकार की जाएगी। उसके बाद कोई भी रजिस्ट्रेशन का आवेदन स्वीकार नहीं किया जाएगा ताकि कोई भी विक्रेता बैक डेटिंग कर नहीं बेच सकें।
परिवहन सचिव संजय कुमार अग्रवाल ने कहा कि 1 अप्रैल 2020 से केवल उन्हीं वाहनों की बिक्री और रजिस्ट्रेशन हो सकेगा जिनमें बीएस 6 मानक वाले इंजन का प्रयोग किया जाएगा। यानी की मौजूदा बीएस 4 इंजन मानक वाले वाहनों की बिक्री नहीं हो सकेगी।
बताते चलें कि लोगों के स्वास्थ्य को महत्वपूर्ण बताते हुए माननीय सुप्रीम कोर्ट ने 1 अप्रैल 2020 से देश में बीएस-4 के वाहनों को बेचे जाने पर रोक लगा दी है। बीएस-4 नियम अप्रैल 2017 से देशभर में लागू हैं।
क्या है बीएस मानक
बीएस उत्सर्जन मानक वे मानक होते हैं जो भारत सरकार द्वारा स्थापित किए गए हैं। इस उत्सर्जन मानक के जरिये मोटर वाहनों के कारण होने वाले वायु प्रदूषण की मात्रा की व्याख्या की जाती है। बीएस के आगे संख्या के बढ़ते जाने का मतलब है उत्सर्जन के बेहतर मानक, जो पर्यावरण के अनुकूल हैं।
भारत में गाड़ियों के प्रदूषण को मापने के लिए बीएस का इस्तेमाल किया जाता है।बीएस के आगे जितना बड़ा नंबर लिखा होता है उस गाड़ी से उतने ही कम प्रदूषण होने की संभावना होती है। ये बीएस मानक देश का केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड तय करता है।