पटनाः बिहार में परिवहन विभाग का खेल निराला है। विभाग में एक और खेल का खुलासा हुआ है। राजस्व के दृष्टिकोण से काफी अहम माने जाने वाले बांका में जिला परिवहन पदाधिकारी का पद 5 महीनों से खाली है.लेकिन अब तक वहां कोई स्थाई डीटीओ को पदस्थापित नहीं किया गया है.जबकि इस दौरान परिवहन विभाग ने कई ट्रांसफर आदेश निकाले हैं।बांका जैसे महत्वपूर्ण जिले में स्थायी डीटीओ नहीं होने से सरकार को राजस्व की भारी हानि हो रही है। जानकार बताते हैं कि इसके पीछे बड़े स्तर पर सेटिंग का खेल हुआ है। इसी वजह से बांका में स्थायी डीटीओ को नहीं भेज पहले उस जिले में कार्यरत्त रहे डीटीओ को ही फिर से अतिरिक्त प्रभार दे दिया गया।
बता दें कि बांका में मार्च 2020 से जिला परिवहन पदाधिकारी का पद प्रभार में चल रहा है.इतने महीने बाद भी परिवहन विभाग कोई स्थाई डीटीओ की तैनाती करने में विफल रहा है। भागलपुर के डीटीओ को ही बांका का चार्ज दे दिया गया। बांका जिले में स्थायी डीटीओ के नहीं होने से करोड़ों के राजस्व की हानि हो रही है. क्योंकि यह जिला झारखंड की सीमा से सटा है, वाहनों की ओवरलोडिंग धड़ल्ले से जारी है, ओवर लोडेड वाहनों की जांच और उस पर कार्रवाई नहीं हो रही. इसके साथ ही जीएसटी की भी चोरी की जा रही है.
बिहार-झारखंड का बॉर्डर होने के बाद भी बांका में जिला परिवहन पदाधिकारी का पद रिक्त रहना अपने आप में बड़ा सवाल खड़ा करता है. एक तरफ परिवहन विभाग राजस्व वसूली में तेजी लाने का निर्देश देती है. वहीं परिवहन पदाधिकारी का नहीं रहना अपने आप में सवाल खड़े कर रहा. जानकार बताते हैं इसके पीछे बड़ा खेल है। विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से ही जिले में स्थाई पदाधिकारी की तैनाती न कर भागलपुर डीटीओ को प्रभार दिया गया।
जानकार तो यह भी बता रहे कि जिन्हें प्रभार दिया गया है वे पहले इसी जिले में पदस्थापित थे, स्थानांतरण के बाद भी बांका प्रेम खत्म नहीं हो रहा।परिवहन विभाग ने भी बांका जिला के डीटीओ का प्रभार देकर उपकृत करने का काम किया है।इस संबंध में परिवहन विभाग के मंत्री संतोष निराला से संपर्क साधने की कोशिश की गई लेकिन संपर्क नहीं हो सका।