AURANGABAD: एक तरफ जहां स्वास्थ्य विभाग लगातार टीकाकरण रथ रवाना कर ग्रामीण इलाकों में कोरोना टीकाकरण को बढ़ावा दे रहा है, वहीं गांव में पहसे से बने हुए उप स्वास्थ्य केंद्र पर किसी का भी ध्यान नहीं जा रहा है। अगर ये सभी उप स्वास्थ्य केंद्र सही हालत में होते, तो यहीं टीकाकरण की व्यवस्था हो सकती थी। औरंगाबाद जिले में उप स्वास्थ्य केंद्र में मरीज और डॉक्टरों की जगह भूसा भार हुआ है। सालों से बंद इस उप स्वास्थ्य केंद्र को ग्रामीण अपने हिसाब से इस्तेमाल में ले रहे हैं।
जिले के मदनपुर प्रखंड का सैलवा उप स्वास्थ्य केंद्र केवल कहने को उप स्वास्थ्य केंद्र हैं, यहां का माहौल देखकर लगेगा जैसे कोई गोदाम हो जहां लोगों ने सामान भरकर रखा है। भवन के बाहर बाहर भले ही प्राथमिक उप स्वास्थ्य केंद्र लिखा मिलेगा, लेकिन वास्तव में यह मवेशियों का चारा रखने की जगह है। डॉक्टर नर्स अस्पताल के उपकरणों के बजाय यहां भूसा और मवेशियों का चारा रखा मिलेगा। कोरोनाकाल में पूरे सरकारी महकमे का फोकस प्रखंड में स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ाने पर हैं। डीएम और सिविल सर्जन से लेकर स्वास्थ्य विभाग के अन्य पदाधिकारी और कर्मियों की लगातार बैठकें हो रही है। बैठकों के बाद यह दावा किया जा रहा है कि जिले सहित प्रखंड में स्वास्थ सुविधाओं को सुदृढ़ किया जा रहा है। इन सब दावों के बीच सैलवा प्राथमिक उप स्वास्थ्य केंद्र की स्थिति इन दावों की पोल खोलने के लिए काफी है।
इस गांव और आसपास के गांव के लोगों को कोरोना काल में भी मामूली सर्दी-खासीं की दवा नहीं मिल पाती, ना ही यहां समुचित इलाज की व्यवस्था है। इससे हम बेहतर तौर पर अंदाजा लगा सकते हैं कि अगर गांव में कोरोना महामारी फैली, तो उसका परिणां कितना घातक होगा।