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BIHAR : सुशासन में भ्रष्टाचार की हद! भोजपुर के बंद बालू घाट व चालान के नाम पटना जिले से किया जा है खनन

BIHAR : सुशासन में भ्रष्टाचार की हद! भोजपुर के बंद बालू घाट व चालान के नाम पटना जिले से किया जा है खनन

PATNA : भोजपुर के बंद हो चुके बालूघाट के नाम पर धड़ल्ले से खनन का काम किया जा रहा है। हद तो यह है कि यह खनन भोजपुर जिले में नहीं पटना जिले में किया जा रहा। जिसमें बंद बालू घाट के चालान का प्रयोग किया जा रहा है। भोजपुर और पटना जिला के खनन अधिकारियों की मिलीभगत से यह गोरखधंधा पिछले जून 2019 से धड़ल्ले से किया जा रहा है। इस गोरखधंधे से बिहार सरकार के राजस्व को नुकसान पहुंच रहा है, क्योंकि रिकार्ड में बालू घाट बंद है। वहीं बालू के धंधे से जुड़े सफेदपोश के संरक्षण में इस बड़ी रकम का आपस में बंटवार कर लिया जा रहा है। इसके बाद प्रशासन की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की गई।

मामला भोजपुर जिले के कोईलवर प्रखंड स्थित फरहंगपुर बालू घाट से जुड़ा है। जिसमें जून 2019 में तत्कालिक एसडीओ अंशुल आर्या ने बालू घाट को बंद करने का आदेश दिया था। बालू घाट को बंद करने की वजह जमीन विवाद बताया गया था। तत्कालिक एसडीओ के अनुसार खाता 410 में सरकारी भूमि करीब 510 थी, इसमें प्लॉट 88-89 में 42 महादलित परिवार के बीच सरकार ने 84 एकड़ का पर्चा सरकार की तरफ से निर्गत किया था, लेकिन इसके बाद भी इस विवादित जमीन की मापी नहीं हो सकी थी। इसे आधार मानते हुए उक्त भूमि पर बालू के भंडारण पर रोक लगा दी गई, साथ ही बालू के उठाव करते पकड़े जाने पर कार्रवाई का आदेश दिया था। इस आदेश को जारी हुए लगभग दो साल का समय गुजरने को है, लेकिन कोई फैसला नहीं हो सका है। 

लेकिन बालू माफियाओं और खनन विभाग के अधिकारियों ने इसका तोड़ निकाल लिया। जो बालू घाट दो साल पहले बंद हो चुका है. उसके नाम पर चालान काटा जा रहा है। हद यह कि उस चालान पर बालू का उठाव भोजपुर से नहीं कर पटना जिले के बिहटा प्रखंड के बेंदौल गांव के बालू घाट से किया जा रहा है। इस घाट से होनेवाले बालू का उठाव भोजपुर के फरहंगपुर घाट के चालान पर किया जाता है। अव सवाल है कि आखिर किसके शह पर बालू घाट का चालान निर्गत किया जा रहा है। भोजपुर और पटना के खनन अधिकारियों को किसका संरक्षण मिल रहा है।

जिलाधिकारी से जानकारी मांगने पर हुए खुलासा

बेंदौल गांव में चल रहे अवैध बालू के उठाव का खुलासा तब हुआ, जब यहां रहनेवाले नीरज कुमार सिंह ने दोनों जिलों के डीएम और खनन अधिकारी से इस संबंध में लिखकर कार्रवाई करने की मांग की गई। लेकिन इसक बाद भी दोनों जिलों से इस पर कोई ध्यान नहीं देना जरुरी नहीं समझा

पर्यावरण विभाग की मंजूरी नहीं

बताया गया कि वेंदौल बालू घाट को लेकर खनन विभाग को पर्यावरण मंजूरी नहीं मिली है। जबकि फरहंगपुर बालू घाट को इनवायरमेंट सर्टिफिकेट मिला हुआ है। बताया गया कि सोन नदी के पश्चिम दिशा में फरहंगपुर और पूर्वी दिशा में बेंदौल घाट है। जिसका फायदा बालू माफिया उठा रहे हैं और बेंदौल घाट के बालू तस्कर चकमा देने के लिए फरहंगपुर का पर्यावरण सर्टिफिकेट पटना में दिखाते हैं ।

पूर्वी हिस्से से बालू उठाव पर रोक

पथ निर्माण विभाग ने बीते माह बिहटा से अरवल तक पटना जिले की तरफ यानि कि सोन नदी के पूर्वी क्षेत्र में बालू के लोडिंग पर रोक लगा दी है। पथ निर्माण के सचिव प्रत्यय अमृत के आदेश के अनुसार सोन नदी से बालू का उठाव सिर्फ नदी के पश्चिमी हिस्से यानि कि आरा जिले से ही किया जाएगा। आदेश के अनुसार उस तरफ से ही बालू लोडेड ट्रक आरा छपरा सेतु से उत्तर बिहार की तरफ चले जाएंगे। सोन पर बने रेल पुल और नए सिक्सलेन सेतु पर हर दिन लगनेवाली जाम को रोकने के लिए यह फैसला लिया गया था। इस आदेश को भी मानें तो बेंदौल घाट पूर्वी हिस्से में आता है, जहां बालू का उठाव करने पर रोक है। लेकिन इस आदेश का पालन नहीं किया जाता है।

गाड़ी पार कराने के लिए करते हैं भोजपुर में इंट्री

चौंकानेवाली वाली बात यह भी है कि बिहटा के बेंदौल से बालू उठाव करने के बाद ट्रकों को पटना के रास्ते पार नहीं कराया जाता है। इसके लिए भी बालू माफिया भोजपुर के रास्ते का प्रयोग करते हैं। पिछले कुछ दिन से कोईलवर के दोनों पुल पर लगनेवाले कई किलोमीटर का लंबा जाम इन्ही अवैध बालू की तस्करी का परिणाम बताया जाता है। बालू से लदे ट्रक भागने की कोशिश में कोईलवर के दोनों रेलपुल पर पहुंच जाते हैं। 


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