BUXER : बिहार से सबसे पुराने बक्सर केंद्रीय जेल की सूरत बदलने की तैयारी शुरू हो गई है। अंग्रेजों के जमाने में बने 141 साल पुराने इस जेल के कई कमरों की दीवारों की स्थिति जर्जर हो चुकी है। जिसके बाद से ही इसे संरक्षित करने की मांग की जा रही थी। अब इस जेल को लेकर कारा एवं सुधार विभाग के निर्देशानुसार जिला पदाधिकारी अमन समीर के जेल भवन के निरीक्षण के बाद यह कहा गया है कि, जल्द ही जेल परिसर में अवस्थित जीर्ण-शीर्ण तथा अनुपयोगी हो चुके भवनों को हटाकर उनके स्थान पर बहु मंजिलें सर्व सुविधा संपन्न भवन बनाए जाएंगे।
उन्होंने कहा कि इसके लिए जल्द ही परियोजना बनाकर विभाग को भेजी जाएगी तथा विभागीय स्वीकृति के पश्चात कार्य शुरु हो जाएगा। कारा अधीक्षक राजीव कुमार का कहना है कि नए भवन बन जाने से एक तरफ जहां कैदियों को सहूलियत होगी वहीं, दूसरी तरफ जेल की सुरक्षा और भी पुख्ता होगी।
सरंक्षित किए जाएंगे नए भवन
नए भवन को बनाए जाने के दौरान अंग्रेजों के समय बनाए गए कुछ पुराने भवनों को संरक्षित कर रखे जाने की भी योजना है। बताया जा रहा है कि, वर्ष 1880 में बनी इस जेल के कई भवन ऐसे हैं जो बेहद जर्जर अवस्था में चले जाने के कारण उपयोग में नहीं हैं। वहीं, जो भवन उपयोग में है वह भी अब बंद पड़े भवनों के जैसे ही खस्ताहाल हो गए हैं। ऐसे में कभी भी कोई बड़ी दुर्घटना कभी भी सामने आ सकती है। माना जा रहा है कि इन भवनों को अब जेल के इतिहास के रूप में संरक्षित किया जा सकता है
क्षमता से डेढ़ गुना अधिक कैदी
देश के चर्चित जेलों में शामिल बक्सर कारा मेंभवनों की कमी के कारण जेल में कैदियों को रखने की निर्धारित क्षमता में भी कमी आई है लेकिन, संख्या कम होने के बजाय बढ़ती ही जा रही है। ऐसे में अब क्षमता से डेढ़ गुना ज्यादा कैदी जेल में बंद हैं।
कोरोना के कारण महसूस हुई जरुरत
बताया जा रहा है कि, जेल की मरम्मत एवं अनुरक्षण के लिए विभागीय निर्देश मिलने के बावजूद अभी तक कोई विशेष पहल नहीं की गई थी। लेकिन कोरोना काल के दौरान फिजिकल डिस्टेंसिग आदि का अनुपालन कराए जाने के उद्देश्य से जेल के भवनों के कायाकल्प पर कारा विभाग ने चिता जताई और भवन निर्माण विभाग के सहयोग से निर्माण कार्य सुनिश्चित कराया।