PATNA: इन दिनों अपराध बढ़ रहे हैं और अपराध करने का तरीका भी हाईटेक हो गया है। अब किसी भी व्यक्ति के खाते से चंद सेकेंड में हजारों-लाखों के वारे-न्यारे हो जाते हैं औऱ उसे भनक भी नहीं लगती। इसे आम बोलचाल की भाषा में साइबर क्राइम कहा जाता है। साइबर क्राइम के मामलों की बात करें तो बिहार पुलिस अभी इसके लिए तैयार नहीं है, और केस दर्ज करने में आनाकानी करती है। बढ़ते साइबर क्राइम के बीच बिहार पुलिस मुख्यालय ने यह सुनिश्चित कर दिया है कि साइबर क्राइम से जुड़े केस दर्ज कराने के लिए लोगों को इधर से उधर नहीं भटकना पड़ेगा। साइबर क्राइम का मामला सामने आते ही थानेदार एफआईआर दर्ज करेंगे और उनकी कोई बहानेबाजी नहीं चलेगी।
बिहार पुलिस मुख्यालय ने आर्थिक अपराध इकाई यानी इओयू की फीडबैक के आधार पर साइबर अपराध को लेकर जिला पुलिस को आगाह किया है। बिहार के पुलिस महानिदेशक संजीव कुमार सिंघल ने सभी जिलों के एसपी को जारी निर्देश के माध्यम से कहा है कि साइबर क्राइम से जुड़े मामलों में आम लोगों को कोई परेशानी ना हो इस बात का हर हाल में ख्याल रखा जाए। डीजीपी द्वारा जारी निर्देश में इस बात का भी जिक्रहै कि कोरोना के इस दौर में साइबर अपराधियों ने साइबर क्राइम के लिए तरह-तरह की तकनीकों को अपनाया है और इससे निपटना पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती है। बताया जा रहा है किइंस्पेक्टर रैंक के अधिकारी इस यूनिट के इंचार्ज तो बना दिए गए हैं, लेकिन अधिकांश जिलों में ऐसे लोग बनाये गए हैं जो रिटायरमेंट के नजदीक पहुंच गए हैं। कुल मिलाकर SP सीसीएमयू के काम को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं।
आर्थिक अपराध इकाई के ADG नैयर हसनैन खान ने बताया कि कोरोना की दूसरी लहर में तकरीबन दो दर्जन साइबर क्राइम के मामले सामने आए हैं। जिसमें ईओयू ने स्थानीय पुलिस के साथ मिलकर त्वरित कार्रवाई करते हुए 30 से 40 लोगों को गिरफ्तार कर लिया। उन्होंने बताया कि आवश्यकता पड़ने पर इओयू के कर्मी भी उन जिलों में जाकर पुलिस अधिकारियों को ट्रेनिंग देंगे जहां साइबर अपराध की घटनाएं सबसे ज्यादा होती हैं।