बिहार का बदहाल विश्वविद्यालय ! आर्यभट्ट नॉलेज यूनिवर्सिटी में कैसे पढ़ेंगे छात्र, 39 स्वीकृत पदों के मुकाबले सिर्फ 4 पूर्णकालिक शिक्षक

बिहार का बदहाल विश्वविद्यालय ! आर्यभट्ट नॉलेज यूनिवर्सिटी मे

पटना. आर्यभट्ट नॉलेज युनिवर्सिटी (एकेयू) शिक्षकों की भारी कमी से जूझ रहा है. एकेयू की चिंताग्रस्त स्थिति को इसी से समझा जा सकता है कि विश्वविद्यालय को अपने पांच अध्ययन केंद्रों में 39 स्वीकृत पदों के मुकाबले सिर्फ चार पूर्णकालिक संकाय मिले हैं, जबकि चालू शैक्षणिक सत्र (2024-25) में दाखिला लेने वाले छात्रों की कक्षाएं जल्द ही शुरू होने वाली हैं। मीडिया रिपोर्टों के आकड़े के अनुसार वर्ष 2010 में धूमधाम से स्थापित आर्यभट्ट नॉलेज यूनिवर्सिटी 14 वर्ष के बाद भी शिक्षकों की कमी के कारण अपनी नई शैक्षणिक पारी शुरू करने में बाधा झेल रहा है. 

राज्य में इंजीनियरिंग और स्वास्थ्य शिक्षा के लिए अलग-अलग विश्वविद्यालयों के निर्माण के बाद, एकेयू से जुड़े सभी मेडिकल कॉलेज और इंजीनियरिंग संस्थानों को बिहार इंजीनियरिंग विश्वविद्यालय और बिहार स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय में स्थानांतरित कर दिया गया। इसके बाद राज्य सरकार ने पांच स्वायत्त केंद्र स्थापित किए, जिनके नाम, आर्यभट्ट विज्ञान और प्रौद्योगिकी केंद्र (एसीएनएसटी), पत्रकारिता और जनसंचार स्कूल (एसजेएमसी), भौगोलिक अध्ययन केंद्र (सीजीएस), पाटलिपुत्र स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स (पीएसई) और नदी अध्ययन केंद्र (सीआरएस) किया गया है. 

कई विभाग में एक भी शिक्षक नहीं : एकेयू में एसीएनएसटी पहले से ही काम कर रहा था, जबकि अन्य केंद्रों ने 2020 के बाद अपने निदेशकों की नियुक्ति के साथ काम करना शुरू कर दिया। राज्य सरकार ने पीएसई में शिक्षकों के छह पद, एसीएनएसटी, सीजीएस और सीआरएस में सात-सात और एसजेएमसी में 12 पद स्वीकृत किए। हालांकि, पीएसई में एक भी शिक्षक नहीं है और यहां तक कि इसके निदेशक भी पिछले साल सेवानिवृत्त हो गए। शेष केंद्रों में एक-एक पूर्णकालिक संकाय है और अब तक किसी तरह शैक्षणिक कार्य का प्रबंधन किया जा रहा था। 

नियुक्ति पर कोई फैसला नहीं : एकेयू के रजिस्ट्रार राम जी सिंह की माने तो राज्य सरकार के साथ हाल ही में हुई बातचीत के बाद विश्वविद्यालय नियमित शैक्षणिक गतिविधियों को सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक केंद्र पर स्वीकृत पदों के विरुद्ध अतिथि संकायों की नियुक्ति पर विचार कर रहा है। नियमित शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर बिहार सरकार ने अभी इन नियुक्तियों पर औपचारिक निर्णय नहीं लिया है। वहीं विश्वविद्यालय ने इन नियुक्तियों का काम बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) को सौंपने का फैसला किया था। हालांकि, राज्य सरकार के हालिया निर्णय के अनुसार, सभी नियुक्तियां बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग द्वारा की जानी हैं। इस मामले में अंतिम निर्णय जल्द ही होने की संभावना है।

कई विभाग संचालित : वर्तमान में, विश्वविद्यालय नैनोसाइंस और प्रौद्योगिकी में एमटेक पाठ्यक्रम में 20 सीटें, पत्रकारिता और जनसंचार में एमए में 30 सीटें, भूगोल में एमए/एमएससी में 50 सीटें, नदी विज्ञान और प्रबंधन में एमएससी में 20 सीटें और अर्थशास्त्र में एमए में 30 सीटें, विकास संचार में पीजी डिप्लोमा में 30 सीटें), ऑनलाइन और डिजिटल पत्रकारिता में पीजी डिप्लोमा में 30 सीटें और मीडिया के लिए लेखन में सर्टिफिकेट कोर्स में 45 सीटें) चलाता है। ऐसे में शिक्षकों की कमी से जूझते आर्यभट्ट नॉलेज यूनिवर्सिटी में पठन-पाठन कार्य के सुचारू निष्पादन में बड़ी चुनौती बनी हुई है.