अपने ही पूर्वजों का अपमान कर रही भाजपा ... वेदों का भी बन गई विरोधी, देश का नाम बदलने की मांग पर जदयू ने BJP को याद दिलाया इतिहास

पटना. भाजपा के नेता अपने ही पूर्वजों का अपमान कर रहे हैं. श्यामा प्रसाद मुखर्जी से लेकर अटल बिहारी वाजपेयी तक का नाम मोदी-शाह की जोड़ी हटाना चाहती है. यही कारण है कि देश में इंडिया और भारत का विवाद किया जा रहा है. भाजपा पर यह आरोप जदयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने लगाए हैं. उन्होंने गुरुवार को कहा कि संविधान सभा के सदस्यों की 18 सितम्बर 1948 को हुई बैठक में इसकी व्यापक चर्चा हुई थी कि देश के नाम भारत हो या इंडिया. 

नीरज ने कहा कि उस बैठक में हिंदू महासभा से आने वाले संविधान सभा के सदस्यों में श्यामा प्रसाद मुखर्जी, ज्वाला प्रसाद श्रीवास्तव, एनबी खरे, जगत नारायण लाल, केआर जयकर आदि शामिल थे. उन सबने उस बैठक में सहमति जताई थी कि देश का नाम भारत और इंडिया दोनों होगा. किसी को इस नाम को लेकर कोई आपत्ति नहीं थी. लेकिन अब भाजपा के नेता श्यामा प्रसाद मुखर्जी जैसे अपने ही नेताओं को नाकाबिल बताने पर तुली है. यही कारण है कि देश में इंडिया और भारत का विवाद पैदा किया जा रहा है. 

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को मतभेद होने का दावा करते हुए नीरज ने कहा कि इंडिया नाम हटाने की बात करने के पीछे एक कारण यह भी है. अटल बिहारी ने देश इंडिया शाइनिंग का नारा दिया था. लेकिन उनका इंडिया नाम से देश के लिए की गई यह बात पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को पसंद नहीं है. यही कारण है कि अब वे इंडिया नाम को ही हटाकर अटल बिहारी वाजपेयी का नाम मिटाना चाहते हैं. 

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नीरज ने कहा कि देश का नामकरण करने की चर्चा के दौरान संविधान सभा के सदस्यों ने वेदों में वर्णित उद्धरणों पर भी व्यापक चर्चा की थी. उसके बाद इंडिया और भारत के नाम पर आम सहमति बनी थी. लेकिन अब पीएम मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा वेदों का भी विरोधी बन चुकी है. यही कारण है कि वे नाम बदलने की बातें कर रहे हैं. भाजपा द्वारा अब अपने ही नेताओं और वेद का अपमान कर रहे हैं.