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लोकसभा चुनाव से पहले तमिलनाडु को चुनावी प्रयोगशाला बना रही भाजपा, अन्नाद्रमुक के एनडीए से अलग होने के बाद ऐसी चर्चा क्यों?

लोकसभा चुनाव से पहले तमिलनाडु को  चुनावी प्रयोगशाला बना रही भाजपा, अन्नाद्रमुक के एनडीए से अलग होने के बाद ऐसी चर्चा क्यों?

ऑल इण्डिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम यानी अन्नाद्रमुक ने सोमवार को घोषणा की कि वह भारतीय जनता पार्टी नीत गठबंधन से अलग हो रही है. इसके साथ ही पार्टी ने कहा कि वह 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए एक अलग मोर्चे का नेतृत्व करेगी.अन्नाद्रमुक ने छोटी सी बात पर भाजपा से नाता तोड़ा है. तो कर्नाटक में जेडीएस के साथ नाता जुड़ गया है. कर्नाटक में भाजपा को विधानसभा की हार का सामना करना पड़ा था इसके बाद एनडीए के साथ जेडीएस का जुड़ना भाजपा के लिए लाभदायक हो सकता है. बता दें कर्नाटक में जेडीएस का मुख्य आधार एचडी देवेगौडा की अपनी जाति वोक्कालिगा और मुस्लिम रहे हैं. लेकिन विधानसभा चुनावों में मुसलमानों के जेडीएस से नाता तोड़कर कांग्रेस के साथ जाने के बाद देवेगौडा के लिए जेडीएस का अस्तित्व बचाना मुश्किल हो गया था.  कांग्रेस ने देवेगौडा के वोक्कालिगा वोटरों में भी अच्छी खासी सेंधमारी की थी.

वहीं कर्नाटक में लोकसभा का 25 सीट है जो भाजपा के लिए बेहद महत्वपूर्ण है. वह अकेले दम पर कर्नाटक का किला नहीं भेद सकती है लिहाजा जेडीएस के साथ गठबंधन कर भाजपा ने वहां अपनी स्थिति मजबूत की है.

तमिलनाडु में भाजपा और अन्नाद्रमुक से तनाव चल रहा था. इसका कारण भाजपा के प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अन्नामलाई हैं. अन्नाद्रमुक से गठबंधन तोड़ने की वकालत करते रहे हैं. वे अन्नाद्रमुक महासचिव पलानीस्वामी के खिलाफ बयानबाजी कर रहे थे. मंत्री उदयनिधि के बयान के बाद सनातन के मुद्दे पर द्रविड़ बनाम सनातन का विभाजन शुरू हुआ तो अन्नामलाई ने अपनी मुहिम फिर तेज कर दी. अन्नामलाई ने  द्रमुक के संस्थापक अन्नादुरई के बारे में वक्तव्य दिया था. अन्नादुरई 1950 में हिन्दू धर्म के खिलाफ बोला था, लेकिन जब उनका विरोध हुआ तो उन्होंने माफी मांग ली थी.

अन्नामलाई ने जयललिता के भ्रष्टाचार को लेकर भी बयानबाजी की जिसको लेकर अन्नाद्रमुक के नेता उनसे काफी नाराज थे. इसके बाद भाजपा से गठबंधन तोड़ने का फैसला किया गया. दोनों दलों में कडवाहट की एक वजह यह भी थी कि मार्च में भाजपा के पांच नेता अन्नाद्रमुक में शामिल हो गए थे. इससे पहले अन्नाद्रमुक के बड़े नेता और पूर्व मंत्री नैनार नागेंद्रन पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे और अभी विधानसभा में पार्टी के नेता हैं. बता दें तमिलनाडु विधानसभा में भाजपा के चार एमएलए हैं.

बहरहाल 39 लोकसभा सीट तमिलनाडु में है. दक्षिण के इस राज्य में भाजपा अपना पैठ बनाने की जुगत में लगी है. अब देखना होगा साउथ के किले को भेदने के लिए क्या रणनीति अपनाती है.नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद कई चौंकाने वाले फैसले हुए हैं और माना जा रहा है कि 2024 में एक बार फिर मोदी अपने फैसले से चौंका सकते हैं.


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