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जातीय गणना रोकने का BJP का षडयंत्र हुआ विफल ! ललन सिंह ने पटना HC के फैसले पर जताई खुशी,कहा- देश भर में होनी चाहिए जातीय गणना

जातीय गणना रोकने का BJP का षडयंत्र हुआ विफल ! ललन सिंह ने पटना HC के फैसले पर जताई खुशी,कहा- देश भर में होनी चाहिए जातीय गणना

PATNA: पटना हाइकोर्ट ने जातियों की गणना एवं आर्थिक सर्वेक्षण को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं ख़ारिज करते हुए बिहार सरकार को बड़ी राहत दी है। चीफ जस्टिस के वी चंद्रन की खंडपीठ ने इस सम्बन्ध दायर याचिकायों पर में 3 जुलाई,2023 से पांच दिनों की लम्बी सुनवाई पूरी कर निर्णय सुरक्षित रखा था। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा दिये गये दलीलों को स्वीकार करते हुए जातीय सर्वेक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं को ख़ारिज कर दिया। पटना हाईकोर्ट के फैसले के बाद बिहार में एक बार फिर से राजनीति शुरू हो गई है. सत्ताधारी जेडीयू ने न्यायालय के फैसले का स्वागत किया है. साथ ही भाजपा पर प्रहार भी किया है. 

भाजपा का षडयंत्र हुआ विफल 

जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा है कि जातीय गणना के विरुद्ध उच्च न्यायालय ने याचिका खारिज किया है, उसका स्वागत है। भारतीय जनता पार्टी द्वारा जातीय गणना रोकने का षडयंत्र विफल हुआ. अब जातीय गणना का रास्ता प्रशस्त हुआ। जातीय गणना राज्य हित में है और यह पूरे देश में होना चाहिए।

बता दें, राज्य सरकार की ओर से  सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता पी के शाही ने बताया था  कि  ये सर्वे है,जिसका उद्देश्य आम नागरिकों के सम्बन्ध आंकड़ा एकत्रित करना,जिसका उपयोग उनके कल्याण और हितों के किया जाना है।उन्होंने कोर्ट को बताया था  कि  जाति सम्बन्धी सूचना शिक्षण संस्थाओं में  प्रवेश या नौकरियों लेने के समय भी दी जाती है।एडवोकेट जनरल शाही ने कहा कि   जातियाँ  समाज का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि हर धर्म में अलग अलग जातियाँ होती है।

उन्होंने कोर्ट को बताया था  कि इस सर्वेक्षण के दौरान किसी भी तरह की कोई अनिवार्य रूप से जानकारी देने के लिए किसीको बाध्य नहीं किया गया है ।उन्होंने कोर्ट को बताया था  कि जातीय सर्वेक्षण का कार्य लगभग 80 फी सदी पूरा  हो गया है।उन्होंने कहा कि  ऐसा सर्वेक्षण राज्य सरकार के अधिकारक्षेत्र में  है।इससे पहले हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश देते हुए राज्य सरकार द्वारा की जा रही जातीय व आर्थिक सर्वेक्षण पर  रोक लगा दिया था।कोर्ट ने ये जानना चाहा था   कि जातियों के आधार पर गणना व आर्थिक सर्वेक्षण कराना क्या कानूनी बाध्यता है।कोर्ट ने ये भी पूछा था  कि ये अधिकार राज्य सरकार के क्षेत्राधिकार में है या नहीं।साथ ही ये भी जानना कि क्या इससे निजता का उल्लंघन होगा।

लम्बी सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अभिनव श्रीवास्तव ने कोर्ट को बताया था  कि राज्य सरकार ने जातियों और आर्थिक सर्वेक्षण करा रही है।याचिकाकर्ताओं की ओर से कोर्ट के समक्ष पक्ष प्रस्तुत करते हुए अधिवक्ता दीनू कुमार ने  बताया था कि सर्वेक्षण कराने का ये अधिकार राज्य सरकार के अधिकारक्षेत्र के बाहर है।ये असंवैधानिक  है और समानता के अधिकार का उल्लंघन है।

अधिवक्ता दीनू कुमार ने कोर्ट को ये भी बताया था  कि राज्य सरकार जातियों की गणना व आर्थिक सर्वेक्षण करा रही है।उन्होनें ने बताया कि ये संवैधानिक प्रावधानों के विपरीत है।उन्होंने कहा था कि प्रावधानों के तहत  इस तरह का सर्वेक्षण केंद्र सरकार करा सकती है।ये केंद्र सरकार की शक्ति के अंतर्गत आता है।उन्होंने बताया था  कि इस सर्वेक्षण के लिए राज्य सरकार पाँच सौ करोड़ रुपए खर्च कर रही है।

उन्होंने बताया कि  आज के फैसले का अध्ययन करने के बाद ही  ये समझा जा सकता कि  कोर्ट ने किन किन विन्दुओं पर क्या विचार किया।साथ ही इस फैसले में दिये गये आधार और कानूनी मुद्दों को देखना होगा।

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