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अतिपिछड़ों की आबादी सबसे अधिक तो CM की कुर्सी क्यों नहीं ? BJP के 'सम्राट' ने नीतीश-लालू को दी चुनौती- अतिपिछड़ा को बनाएं मुख्यमंत्री

अतिपिछड़ों की आबादी सबसे अधिक तो CM की कुर्सी क्यों नहीं ? BJP के 'सम्राट' ने नीतीश-लालू को दी चुनौती- अतिपिछड़ा को बनाएं मुख्यमंत्री

PATNA:  बिहार बीजेपी के सम्राट ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को खुली चुनौती दी है. जातिगत गणना में अति पिछड़ों की सबसे अधिक आबादी के बाद भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने चुनौती देते हुए कहा है कि नीतीश-लालू अति पिछड़ा को मुख्यमंत्री बनाकर दिखाएं.

सम्राट चौधरी ने आज यहां कहा कि बिहार में जब पिछले वर्ष जून महीने में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंत्रिमंडल में प्रदेश में जातीय गणना का प्रस्ताव दिया था, तब भाजपा के दो उप मुख्यमंत्री सहित 16 मंत्रियों ने इसका समर्थन दिया और आज भी बिहार भाजपा इसका समर्थन करती है। उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि इसकी कमियों पर प्रश्न भी खड़े होंगे। प्रदेश कार्यालय में आयोजित एक प्रेस वार्ता में उन्होंने कहा कि गणना की रिपोर्ट जारी होने के बाद से ही थर्ड जेंडर इसकी बात रख ही रहे हैं, धानुक समाज के लोगों की भी शिकायत है कि हमारी संख्या क्यों कम कर दी गई। कई अति पिछड़ों में शामिल जातियों को कई वर्गों में बांटने के बाद भी शिकायत है कि संख्या क्यों कम कर दी गई। 

सम्राट चौधरी ने स्पष्ट लहजे में कहा कि जब मतदाता सूची में पुनरीक्षण का काम किया जाता है  तब उसमे भी स्कूटनी किया जाता है, लेकिन इसमें कोई स्कूटनी नहीं हुआ। भाजपा नेता ने एक निजी समाचार चैनल के सर्वेक्षण के रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि 100 लोगों में 55 लोगों ने यह कहा कि हमसे तो जाति के संबंध में पूछा ही नहीं गया। उन्होंने साफ लहजे में कहा कि आज व्यक्ति सब कुछ एक क्लिक से जानना चाहता है। उन्होंने आगे कहा कि देश में भाजपा एक ऐसी पार्टी है जो आरक्षण के मुद्दे को लेकर जब भी किसी सरकार को जरूरी पड़ी उसके मदद करने का काम किया। 

उन्होंने कहा कि बिहार में कर्पूरी ठाकुर सरकार में जब अति पिछड़ों को सम्मान देने की बात हुई तब भाजपा यानी तत्कालीन जनसंघ ने मदद करने का काम किया। मंडल कमीशन को भी लागू करने में भाजपा ने ही मदद देने का काम किया। बिहार में पंचायत  में आरक्षण भी नीतीश और भाजपा की सरकार में मिला। लालू प्रसाद के राज्य में यह नहीं मिल सका था। उन्होंने आगे स्पष्ट रूप से कहा कि इस गणना के बहाने लालू प्रसाद के दबाव में नीतीश कुमार तुष्टिकरण के चक्कर में जातीय आंकड़ों के साथ खिलवाड़ करने का भी प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा चाहती है कि सरकार आर्थिक समीकरण भी बताए। उन्होंने जारी रिपोर्ट को आधा अधूरा बताते हुए कहा कि पूरी रिपोर्ट सामने आए। उन्होंने कहा कि अब 1931 का बिहार नहीं है यह 2023 का बिहार है, जिसमे एक क्लिक से किसी व्यक्ति की जाति को और उसके आर्थिक स्थिति का पता चल सके। 

उन्होंने लालू प्रसाद और नीतीश कुमार को चुनौती देते हुए कहा कि अगर इनमे दम है तो अपनी गद्दी छोड़े और किसी अति पिछड़ा को मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री बनाकर दिखाए, तब मान लेंगे कि ये अति पिछड़ा के समर्थक हो गए। उन्होंने आगे दावा करते हुए कहा कि जो जातीय गणना की रिपोर्ट आई है उसमे 80 प्रतिशत लोग भाजपा के ही समर्थक दिखते हैं। 

प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि भाजपा ने गरीबों के कल्याण के लिए कैबिनेट में इस जातीय गणना का समर्थन किया। उन्होंने राजद पर कटाक्ष करते हुए आगे कहा कि जिनका इस जातीय गणना से कोई मतलब नहीं रहा वे आज इसे लेकर ढोल पीट रहे हैं। उन्होंने कहा कि आखिर आर्थिक स्थिति की रिपोर्ट सरकार क्यों नहीं जारी की। 

इधर, विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष हरि सहनी ने इस जातीय गणना की रिपोर्ट को लेकर कटाक्ष करते हुए कहा कि जिस तरह कोई परीक्षा में एवरेज मार्किंग किया जाता है, उसी तरह ही इसमें किया गया है। किसी को घटा कर किसी को बढ़ा दिया गया, इससे स्थिति यह हो गई कि कहीं खुशी तो कहीं गम की स्थिति है। एक ही जाति को कई वर्गों में बांट दिया गया। प्रेस वार्ता में मीडिया सह प्रभारी अमित प्रकाश बबलू एवं प्रदेश प्रवक्ता प्रभाकर मिश्रा उपस्थित थे।

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