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अदना सा अफसर...और अकूत संपत्ति का मालिक ! 'ब्लॉक सप्लाई इंस्पेक्टर' ने कमाई वाला धन 'सफेद' करने को लगाया गजब का दिमाग...पर चालाकी वाला फार्मूला हुआ आउट

अदना सा अफसर...और अकूत संपत्ति का मालिक ! 'ब्लॉक सप्लाई इंस्पेक्टर' ने कमाई वाला धन 'सफेद' करने को लगाया गजब का दिमाग...पर चालाकी वाला फार्मूला हुआ आउट

PATNA: बिहार में एक से बढ़कर एक धनकुबेर अफसर हैं. कुछ ऐसे विभाग हैं जहां के छोटे सरकारी सेवक भी दूसरे विभाग के बड़े अफसरों से बड़े धनकुबेर हैं.  जांच एजेंसियां जहां भी हाथ डाल रहीं, वहीं से धनकुबेर अफसर निकल रहे. खाद्ध आपूर्ति विभाग ऐसा ही विभाग है, जहां के छोटे अफसर भी अकूत संपत्ति के मालिक हैं. इसी महीने आर्थिक अपराध इकाई ने खाद्ध आपूर्ति विभाग के निगम (एसएफसी) के सहायक प्रबंधक सुशील कुमार वर्मा के ठिकानों पर छापेमारी की थी. पता चला कि वह तो नौकरी के सात सालों में ही अकूत संपत्ति का मालिक बन बैठा है .महज 7 साल में ही उन्होंने आय से अधिक 101% संपत्ति अर्जित कर ली. वैसे वर्मा जी ही नहीं इस विभाग के सिन्हा जी भी मामूली अफसर प्रखंड सप्लाई इंस्पेक्टर हैं, उन्होंने तो पटना में संपत्ति अर्जित करने में रिकार्ड कायम कर दिया है. संपत्ति अर्जित करने का जो तरीका अपनाया है वह तो और भी आश्चर्यजनक है. सिन्हा जी ने donor और donee का जबरदस्त खेल खेला है, उसका खुलासा अगली कड़ी में करेंगे. 

सिन्हा जी को चंपारण से है विशेष लगाव....कमाई या कुछ और है बात ?

खाद्ध आपूर्ति विभाग में एक प्रखंड के आपूर्ति पदाधिकारी हैं सिन्हा जी. सिन्हा जी इस विभाग में लगभग 2.5 दशक से अधिक समय तक सेवा दे चुके हैं. अब समझ सकते हैं कि इतने लंबे समय तक खाद्ध आपूर्ति विभाग में जो शख्स एमओ रहा होगा, उसकी कमाई कितनी हुई होगी. सिन्हा जी वर्तमान में चंपारण में गांधी की कर्मभूमि वाले जिला में पदस्थापित हैं. बताया जाता है कि वर्तमान में वे जहां पदस्थापित हैं वहां सेटिंग की बदौलत दूसरी दफे 'कल्याण' को पूरा करने इस ब्लॉक में आये हैं. एमओ के साथ-साथ सिन्हा जी अनुमंडल स्तर का एक पद( सहायक आपूर्ति पदाधिकारी)  प्रभार के रूप में देख रहे हैं. सिन्हा के बारे में बताया जाता है कि इनका पैतृक घर भोजपुर इलाके में हैं. अब जरा इनकी संपत्ति पर आते हैं. वैसे वैध तरीके से संपत्ति अर्जित करना गुनाह नहीं. लेकिन सरकारी सेवकों को इसकी जानकारी साझा करनी होती है. जानकारी साझा नहीं करना ही सरकार की नजरों में गुनाह है. सिर्फ अपने नाम पर ही नहीं बल्कि पत्नी और डिपेंडेट के नाम पर अर्जित संपत्ति को भी सार्वजनिक करना होता है.

गिफ्ट का खेल कर मालामाल हुए आपूर्ति पदाधिकारी सिन्हा जी

ब्लॉक सप्लाई इंस्पेक्टर की संपत्ति की बात करें तो इन्होने अपने बेटों के नाम पर अर्जित संपत्ति के बारे में सरकार को बताया ही नहीं. अब जरा उदाहरण से समझिए। अक्टूबर 2021 में इन्होंने पटना के बहादुरपुर इलाके में अक्टूबर 2021 में पत्नी और बेटे के नाम पर संपत्ति अर्जित की. सरकारी रेट करीब 1 करोड़ रू से  मेन रोड पर आवासीय जमीन पर बना-बनाया मकान खऱीदा. लेकिन वार्षिक संपत्ति के ब्योरे में इसका उल्लेख नहीं किया. बेटे के नाम पर अर्जित संपत्ति का तो कहीं उल्लेख ही नहीं किया.वहीं पत्नी के नाम पर अर्जित कई संपत्ति को भी छुपा लिया. 2013-14 से लेकर अब तक प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी ने कई तरह का खेल किया है. इनमें  doner और donee का खूब इस्तेमाल किया है. एक उदाहरण से बताते हैं , इसी साल लगभग 1.25 करोड़ की संपत्ति (सरकारी रेट से) इन्हें दान में मिला है. इनमें सिर्फ एक का सरकारी मूल्य है लगभग 1 करोड़ 10 लाख रू. यह संपत्ति पत्नी और बेटों को गिफ्ट में मिला है. सबसे खास बात यह कि गिफ्ट किसने और कब दिया ? गिफ्ट देने वाले के पास करोड़ों की संपत्ति कैसे आई ? यह तो और भी चौंकाने वाला है. अगली कड़ी में doner और donee पर प्रकाश डालेंगे और बतायेंगे कि आपूर्ति पदाधिकारी ने संपत्ति को वैध बनाने के लिए कौन सा तरीका अपनाया है. हालांकि सिन्हा जी की पूरी चालाकी की पोल खुलती नजर आ रही है. आपूर्ति पदाधिकारी की पूरी कुंडली पर पैनी नजर है.   . 


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