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बोचहां की हार ने बढाई भाजपा केंद्रीय नेतृत्व की चिंता, बिहार भाजपा के कई नेताओं पर गिरेगी गाज!

बोचहां की हार ने बढाई भाजपा केंद्रीय नेतृत्व की चिंता, बिहार भाजपा के कई नेताओं पर गिरेगी गाज!

पटना. बिहार में बोचहां विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी को मिली हार से केंद्रीय भाजपा नेतृत्व भी चिंतित बताया जा रहा है। भाजपा केंद्रीय नेतृत्व अब बोचहां में मिली हार की जिम्मेदारी और जवाबदेही तय कर सकता है। पार्टी सूत्रों की माने तो आने वाले कुछ सप्ताह में बिहार भाजपा में बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे। खासकर संगठन में कई नेताओं की शक्तियों को कुंद किया जाएगा। 

कहा जा रहा है कि केंद्रीय नेतृत्व को बिहार भाजपा ने भरोसा दिलाया था कि बोचहां में पार्टी जीत रही है। भाजपा विरोधी बातें अफवाह हैं। यही कारण रहा कि केंद्रीय नेतृत्व से कोई बड़ा नेता चुनाव प्रचार को नहीं आया। भाजपा प्रत्याशी बेबी कुमारी की जीत तय करने के लिए बिहार भाजपा से जुड़े नेताओं की भारी-भरकम फौज बोचहां में उतरी थी। पार्टी ने चार दर्जन से ज्यादा विधायकों को प्रचार में उतारा था, बावजूद इसके बेबी को सफलता नहीं मिली। जमीनी हकीकत को भांपने में भाजपा असफल रही जिसके बाद अब कई तरह की बातें सामने आ रही हैं। इसमें कोर वोट बैंक की उपेक्षा और हाल के समय मे पार्टी से जुड़े कई नए वर्ग के मतदाताओं को जोड़कर रखने में असफल रहना प्रमुख कारण माना जा रहा है। 

दरअसल, भाजपा की बिहार इकाई में संगठनात्मक चुनाव की शुरुआत होने वाली है। बिहार भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल का कार्यकाल अगस्त महीने में पूरा हो रहा है। ऐसे में संगठनात्मक चुनाव जल्द शुरू होगा और पार्टी में बड़े फेरबदल देखे जा सकते हैं। बेबी की हार के बाद भाजपा में अंदर खाने इस बात की चर्चा जोरों पर है कि पार्टी में कई नेताओं के पर कतरे जाएंगे। 

खासकर बोचहां चुनाव के दौरान भाजपा के कोर वोटर रहे भूमिहार मतदाताओं की दूरी बढ़ने, मुकेश सहनी की ताकत समझने में हुई नाकामी सहित अन्य मुद्दों को लेकर केंद्रीय नेतृत्व चिंतित बताया जा रहा है। 

 चुनाव परिणाम भाजपा के प्रतिकूल रहा। सूत्रों का कहना है कि ऐसे में केंद्रीय नेतृत्व अब इस पर गंभीरता से विचार कर सकता है क्या मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल, भाजपा प्रभारी भूपेंद्र यादव सहित संगठन से जुड़े अन्य नेता पार्टी को मजबूत करने में असफल रहे हैं। इस स्थिति में पार्टी में बड़े बदलाव हो सकते हैं। खासकर अपने कोर वोटरों को जोड़े रखने के लिए भाजपा केंद्रीय नेतृत्व कुछ सख्त निर्णय ले सकता है। संगठन और सरकार में सभी समुदायों को उचित प्रतिनिधित्व देने पर नए सिरे से मंथन होगा।

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