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चुनाव चर्चा : 1984 में कांग्रेस की आंधी में हार गए ये तीन दिग्गज नेता, अगले 12 सालों में देश के बने प्रधानमन्त्री

चुनाव चर्चा : 1984 में कांग्रेस की आंधी में हार गए ये तीन दिग्गज नेता, अगले 12 सालों में देश के बने प्रधानमन्त्री

N4N DESK : आज देश में लोकसभा के चुनाव हो रहे हैं। प्रधानमन्त्री मोदी हैट्रिक लगाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे है। बीजेपी की ओर से अबकी बार 400 पार का नारा दिया जा रहा है।  लेकिन एक दौर ऐसा भी था। जब कांग्रेस की लहर में पुरे देश में उसे 401 सीटें मिली थी। यह चुनाव आठवें लोकसभा के लिए 1984 में कराया गया था। बात बिहार की करें तो अविभाजित बिहार में झारखण्ड की 14 सीटों पर बीजेपी का खाता भी नहीं खुला था। सभी सीटें कांग्रेस के खाते में गयी थी। वहीँ बाकि बचे बिहार की 40 सीटों में से 34 पर कांग्रेस की जीत हुई थी। 

इस चुनाव की ख़ास बात यह रहीं की इसमें दिग्गज नेताओं को भी अपनी सीट गंवानी पड़ी। इसमें चंद्रशेखर, अटल बिहार वाजपेयी और नरसिंहा राव भी शामिल थे। हालाँकि अगले 12 सालों के भीतर तीनों देश के प्रधानमन्त्री बन गए। चंद्रशेखर इस चुनाव में अपनी परंपरागत सीट बलिया से मैदान में उतरे, लेकिन उन्हें निराशा ही मिली। कांग्रेस के जगन्नाथ चौधरी ने उनको आसान मुकाबले में 53,940 मतों के अंतर से हरा दिया। चंद्रशेखर ने जनता पार्टी से चुनाव लड़ा था। बाद में वह 1990 में देश के प्रधानमंत्री बने। 

इस चुनाव में कांग्रेस के दिग्गज नेता और गृह मंत्री रहे पीवी नरसिंह राव को भी हार का सामना करना पड़ा था। अपनी परंपरागत हनमनकोंडा सीट से वे चुनाव हार गए थे। भाजपा पहली बार दक्षिण में लोस चुनाव लड़ रही थी और उसके प्रत्याशी सी जंगा रेड्डी ने राव को 54,198 मतों के अंतर से हरा दिया। 

सी जंगा रेड्डी दक्षिण भारत से सांसद बनने वाले भाजपा के पहले नेता थे। उनके निधन के बाद प्रधानमन्त्री मोदी ने भी अपनी शोक संवेदना व्यक्त की थी। बाद में 1991 में नरसिंह राव देश के प्रधानमंत्री बने। इसी तर्ज पर 1984 अटल बिहारी वाजपेयी ने ग्वालियर से चुनाव लड़ा था। उन्हें कांग्रेस के माधवराव सिंधिया ने बड़े अंतर से चुनाव में पराजित किया था। इसके बाद अटल बिहारी बाजपेयी 1996 में देश के प्रधानमंत्री बने।

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