बिहार की सियासत में आया ब्राह्मण युग ! जदयू, भाजपा, राजद सबके पसंद बने 'पंडित जी', विपक्ष का नया चेहरा भी 'विप्र'

बिहार की सियासत में आया ब्राह्मण युग ! जदयू, भाजपा, राजद सबक

पटना. बिहार की सियासत में जाति की राजनीति का जोड़ गणित बेहद महत्वपूर्ण है. खासकर वर्ष 1990 के दशक में समाजवादी राजनीतिक दलों के बिहार की सियासत में शक्तिशाली होने के बाद से जाति की राजनीति और ज्यादा चरम पर चढ़ गई. लालू यादव, नीतीश कुमार, शरद यादव, रामविलास पासवान, जीतन राम मांझी, उपेंद्र कुशवाहा जैसे दिग्गज राजनेताओं की एक खास पहचान उनकी जातीय पकड़ के कारण रही. इन सबके बीच किसी दौर में बिहार की राजनीति में दमदार उपस्थिति रखने वाले ब्राह्मण समुदाय के नेता सभी राजनीतिक दलों में हाशिए पर जाते रहे. इसका बड़ा कारण ब्राह्मण आबादी का कम होना और ब्राह्मण जाति पर हमलावर रहकर समाजवादी सियासत साधने वाले राजनेताओं की सोच रही. लेकिन ऐसा लगता है कि एक बार फिर से बिहार की सियासत में ब्राह्मण युग का आगमन हुआ है. विधानसभा चुनाव 2025 के पहले कई दलों के प्रमुख चेहरे ब्राह्मण बन गए हैं. 

पिछले कुछ समय में कई ब्राह्मण सियासतदानों ने बिहार की सत्ता के प्रमुख चेहरे के रूप में अपनी पहचान बनाई है. कहा जाए तो जदयू, भाजपा, राजद सबके पसंद 'पंडित जी' बने हैं. राज्यसभा उप चुनावों में भाजपा ने मनन मिश्रा को उम्मीदवार बनाकर चौंका दिया. सूत्रों का कहना है कि भाजपा ने बेहद सोच समझकर यह निर्णय लिया है. इसका बड़ा कारण अन्य दलों द्वारा ब्राह्मण चेहरों को आगे करना है. जैसे जदयू ने पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में संजय झा को जिम्मेदारी दी. माना गया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विधानसभा चुनावों के पहले ब्राह्मणों वोटरों को साधने की नीति के तहत संजय झा को पार्टी में सबसे बड़ा पद दिया. इसके पहले लोकसभा चुनाव में भी देवेश चंद्र ठाकुर को टिकट सीएम नीतीश ने सबको चौंका दिया था. 

संजय झा और देवेश चंद्र ठाकुर जैसे ब्राह्मण चेहरों के सहारे जदयू इस वर्ग के वोटरों को अगर साधने में सफल होती तो इसका सबसे बड़ा नुकसान भाजपा को होगा. दरअसल, वर्ष 1990 के बाद से बिहार में भाजपा के साथ सवर्ण वोटरों का बड़ा साथ रहा है. इसमें ब्राह्मण मतदाता वर्ग भी बीजेपी के कोर वोटर माने गए. ऐसे में जदयू के संजय झा को बड़ी जिम्मेदारी देने से भाजपा के लिए यह चिंता का विषय माना गया. अब मनन मिश्रा को राज्य सभा उम्मीदवार बनाकर भाजपा ने उसी दरार को पाटने की कोशिश की. ऐसे भी लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने बक्सर से जिस ब्राह्मण चेहरे को टिकट दिया था उनकी करारी हुई थी. अब मनन मिश्रा भाजपा में आई ब्राह्मणों की उस रिक्ति को भरेंगे. 

हालांकि ब्राह्मणों पर मेहरबानी में राजद भी पीछे नहीं है. हालिया समय में राजद के राज्य सभा सांसद मनोज झा पार्टी के प्रमुख राष्ट्रीय चेहरे बने हुए हैं. उन्हें तेजस्वी यादव के प्रमुख रणनीतिकारों में माना जाता है. मनोज झा जोरदार तरीके से राजद और लालू-तेजस्वी का विभिन्न मंचों पर प्रतिनिधित्व करते नजर आते हैं. वहीं राजद ब्राह्मण वर्ग के बीच मनोज झा को अपने दल के चेहरे के रूप में पेश करता है. यह ब्राह्मण मतदाता वर्ग को राजद की लुभाने की नीति मानी जाती है. 

पीके भी ब्राह्मण : वहीं बिहार में ब्राह्मण राजनीति के एक नए चेहरे के रूप में प्रशांत किशोर भी उभरे हैं. ब्राह्मण जाति से आने वाले पीके ने जन सूरज के माध्यम से अपनी विशेष पहचान बनाई है. अब विधानसभा चुनावों में नये राजनीतिक दल को भी लॉच करने वाले हैं. पीके खुलकर बिहार के पिछड़ेपन के लिए लालू- नीतीश जैसे राजनेताओं को कोसते हैं. अब उनकी सियासी सक्रियता से ब्राह्मण वर्ग को एक बड़ा चेहरा मिल गया है. 

बिहार में ब्राह्मण आबादी : जाति गणना के आंकड़े के अनुसार बिहार में ब्राह्मण 3.6575 प्रतिशत है. बिहार में सवर्ण जातियों में राजपूत, भूमिहार और कायस्थ से ज्यादा आबादी ब्राह्मणों की है. ऐसे में इस वर्ग को साधने की कोशिश अब सभी राजनीतिक दलों की है. यह विधानसभा चुनावों के पहले बिहार ब्राह्मण युग की शुरुआत के तौर पर देखा जा रहा है.