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BREAKING: कांग्रेस को लगा एक और झटका, सीनियर नेता और राष्ट्रीय प्रवक्ता ने पार्टी से दिया इस्तीफा, दिशाहीन होने का लगाया आरोप

BREAKING: कांग्रेस को लगा एक और झटका, सीनियर नेता और राष्ट्रीय प्रवक्ता ने पार्टी से दिया इस्तीफा, दिशाहीन होने का लगाया आरोप

DESK: लोकसभा चुनाव में अब कुछ ही दिन बचा है। ऐसे में नेताओं का एक पार्टी से इस्तीफा देने और दूसरे पार्टी की सदस्यता ग्रहण करने की सिलसिला शुरू हो गई है। इसी कड़ी में कांग्रेस को एक बार फिर झटका लगा है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता और सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है। वहीं पार्टी पर दिशाहीन होने का आरोप भी लगाया है। 

दिशाहीन होकर आगे बढ़ रही कांग्रेस

गौरव वल्लभ ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को भेजे गए त्यागपत्र में कहा-‘कांग्रेस पार्टी आज जिस प्रकार से दिशाहीन होकर आगे बढ़ रही है, उसमें मैं ख़ुद को सहज महसूस नहीं कर पा रहा। मैं ना तो सनातन विरोधी नारे लगा सकता हूं और ना ही सुबह-शाम देश के वेल्थ क्रिएटर्स को गाली दे सकता। इसलिए मैं कांग्रेस पार्टी के सभी पदों व प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफ़ा दे रहा हूं।

पार्टी का ग्राउंड लेवल कनेक्ट टूटा

उन्होंने कहा कि,  जब मैंने कांग्रेस पार्टी ज्वाइन किया तब मेरा मानना था कि कांग्रेस देश की सबसे पुरानी पार्टी है। जहां पर युवा, बौद्धिक लोगों की, उनके आइडिया की क़द्र होती है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में मुझे यह महसूस हुआ कि पार्टी का मौजूदा स्वरूप नये आइडिया वाले युवाओं के साथ ख़ुद को एडजस्ट नहीं कर पाती। पार्टी का ग्राउंड लेवल कनेक्ट पूरी तरह से टूट चुका है, जो नये भारत की आकांक्षा को बिल्कुल भी नहीं समझ पा रही है।

कांग्रेस ना सत्ता में आ रही ना ही मजबूत विपक्ष बन पा रही

उन्होंने कहा कि, इसके कारण न तो कांग्रेस पार्टी सत्ता में आ पा रही और ना ही मज़बूत विपक्ष की भूमिका ही निभा पा रही हैं। इससे मेरे जैसा कार्यकर्ता हतोत्साहित होता है। बड़े नेताओं और ज़मीनी कार्यकर्ताओं के बीच की दूरी पाटना बेहद कठिन है जो कि राजनैतिक रूप से जरूरी है। जब तक एक कार्यकर्ता अपने नेता को डायरेक्ट सुझाव नहीं दे सकता तब तक किसी भी प्रकार का सकारात्मक परिवर्तन संभव नहीं है।

अपराध का भागी नहीं बन सकता

गौरव वल्लभ ने अपने त्यागपत्र में लिखा- भावुक हूं और मन व्यथित है। काफी कुछ कहना चाहता हूं, लिखना चाहता हूं और बताना चाहता हूं। लेकिन मेरे संस्कार ऐसा कुछ भी कहने से मना करते हैं। फिर भी मैं आज अपनी बातों को आपके समक्ष रख रहा हूं, क्यों उन्हें लगता है कि सच को छुपाना भी अपराध है। ऐसे में मैं अपराध का भागी नहीं बनना चाहता।

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