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BREAKING : पूर्व सांसद मोनाजिर हसन ने जदयू से दिया इस्तीफा, नीतीश -तेजस्वी पर लगाया मुसलमानों को ठगने का आरोप

BREAKING : पूर्व सांसद मोनाजिर हसन ने जदयू से दिया इस्तीफा, नीतीश -तेजस्वी पर लगाया मुसलमानों को ठगने का आरोप

पटना. पूर्व सांसद डॉ मोनाजिर हसन ने रविवार को जद (यू) की प्राथमिक सदस्यता से त्याग पत्र देने का ऐलान किया. उन्होंने कहा कि जदयू से इस्तीफा देने की की सूचना उन्होंने मुख्यमंत्री नितीश कुमार एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष, जनता दल (यू) को दे चुके हैं. नीतीश कुमार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि जदयू अपने मूल सिधान्तों से भटक गयी है और ऐसा प्रतीत होता है की पार्टी को हमारे जैसे निष्ठावान कार्यकर्ताओंों की जरुरत ही नहीं है. चंद स्वार्थी लोगो ने पार्टी को अपने वश में कर लिया है जो पार्टी को दीमक की तरह चाट रहे हैं।

उन्होंने कहा कि हजारो कार्यकर्ताओं के बलिदान से जिस पार्टी का निर्माण किया गया था उसी पार्टी के समर्पित कार्यकर्ताओं को अपमानित और पार्टी विरोधी ताकतों को सम्मानित किया जा रहा है. पार्टी के 90 प्रतिशत कार्यकर्ता आज घुटन महसूस कर रहे हैं. लालू यादव और तेजस्वी यादव को भी आड़े हाथों लेते हुए उन्होंने कहा कि इधर राष्ट्रीय जनता दल में भी मुसलमानों के लिए कोई जगह नहीं बच गयी है उसे न तो मंच पर जगह दी जा रही है और न ही सरकार, संगठन में हिस्सेदारी दी जा रही है. अगर कोई हिस्सेदारी दी भी गई है तो वो भी खरीद-फरोत के माध्यम से ही, जैसा कि आम चर्चा में भी है की राज्यसभा की कुछ सीटें पैसों के लेन-देन से ही संभव हो पाया है।

मोनाजिर ने कहा कि जैसा की बीते दिनों बिहार शरीफ में दंगाइयों के द्वारा ऐतिहासिक मदरसा अजीजिया को जला दिया गया और मुसलमानों के मसीहा होने का दावा करने वाले मुख्यमंत्री नितीश कुमार और उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव आज की तारीख तक जायजा लेने वहा नहीं पहुंच पाए। प्रभावित लोगों को मुवावजा तो दूर की बात है जिनकी दुकाने जली, रोजी रोजगार छीने गये उन्हें सरकार ने अभी तक एक धेला तक नहीं दिया, माय समीकरण सिर्फ कहने भर ही है सच तो ये है की मुसलमानों को महागठबंधन में सम्मान नहीं मिल रहा है, जैसे इफ्तार पार्टी में मुस्लिम नेताओं को फ्रंट में जगह तक नहीं दी गयी, नगभग 18 प्रतिशत आबादी का सिर्फ इन्हें वोट चाहिए मुस्लिम नेता नहीं .

राजद से हुआ शहाबुद्दीन का अपमान : उन्होंने कहा कि राजद का अपने पूर्व सासद स्व० मोहम्मद शहाबुद्दीन के साथ कैसा व्यवहार रहा से जग जाहिर है, उनका जनाजा तक पार्टी ने बिहार लाने का प्रयास नहीं किया दो दिनों तक उनका पार्थिव शारीर दिल्ली के अस्पताल में पड़ा रहा और इस बीच उनके परिवार वालो ने काफी मस्कत की लेकिन तथाकथित सेक्युरिजम का ढोंग करने वाले झाँकने तक नहीं गये आखिरकार उन्हें दिल्ली कि ही मिट्टी में सुपुर्द ए खाक कर दिया गया यहां तक की उनकी पूर्ण तिथि (1 मई) में राजद ने उन्हें बाद तक नहीं किया, खिराज ए अकीदत के बतौर राजद ने उनकी तस्वीर पर एक फूल भी चढ़ाना गवारा नहीं समझा।

मुसलमानों को धर्मनिरपेक्ष दलों से नुकसान : उन्होंने कहा कि मुसलमानों को आज सबसे अधिक नुकसान धर्मनिरपेक्ष दलों से ही पहुंचा है. इनका काम सिर्फ भाजपा से डराना रह गया है. डर की राजनीती से मुस्लमान को बाहर निकलना होगा, आज महागठबंधन में बड़े बड़े मुस्लिम नेता हाशिये पर डाल दिए गए हैं. लोकसभा, विधानसभा चुनाव में समुचित हिस्सेदारी नहीं दी जा रही है. मुस्लिम संगठन ठप पड़े हैं, अल्पसंख्यक आयोग विहार, उर्दू अकादमी, उर्दू परामर्शदात्री समिति, मदरसा एजुकेशन बोर्ड वर्षों से रिक्त है. उर्दू और मुस्लिम समाज के विकास से जुड़े संस्थानों में चेयरमैन की नियुक्ति नहीं हो रही है, वहीं मुसलमानों की हमदर्द सरकार है ? 

मुस्लिमों को बनाया बेवकूफ : मुस्लिम मंत्रियों का कोई वजूद नहीं है, जिन मुस्लमान को बिहार सरकार में मंत्री बनाया गया उस विभाग का कोई अस्तित्व ही नहीं है. केवल नाम का मंत्री बना कर मुसलमानों को बेवकूफ बनाने का काम किया गया है. वहीं पार्टी की अनदेखी और पार्टी के द्वारा अपमानित करना मेरी तीन दशक की राजनीती और प्रतिष्ठा के खिलाफ है. ऐसे पार्टी में रहने का कोई मतलब नहीं जंहा आपकी राजनीती शकमियत की कोई कद्र न हो, जबकि मुझे अपने राजनीती सफर में एक बार बेगूसराय लोकसभा से सांसद एवं चार बार मुंगेर विधानसभा से विधायक निर्वाचित होने के साथ दो-दो बार मंत्री (बिहार सरकार) बनने का मौका भी मिला. 

अब थामेंगे नए दल का हाथ : भविष्य की राजनीति में वे कहां जाएंगे के सवाल पर उन्होंने कहा कि बिहार एवं देशहित में बहुत जल्द ही मैं अपने समर्थकों के साथ विचार-विमर्श कर कोई ठोस निर्णय लूँगा और समर्थको की जो राय होगी वही मुझे स्वीकार होगा। मोनाजिर का जदयू छोड़ना जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. वे मुंगेर से सांसद हैं और वहीँ से मोनाजिर आते हैं. ऐसे में 2024 के लोकसभा चुनाव के पहले ललन को अपने संसदीय क्षेत्र में एक बड़ा नेता खोना पड़ा है. 


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