पटना/दिल्ली. बिहार में जाति जनगणना का मामला मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि बिहार सरकार ने जाति सर्वेक्षण डेटा प्रकाशित किया है. इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस मामले पर सुनवाई छह अक्तूबर को होगी. बिहार सरकार ने एक दिन पहले यानी 2 अक्टूबर को ही जाति गणना की रिपोर्ट जारी की है. वहीं यह मामला पहले से कोर्ट में चल रहा है, इसी कारण याचिकाकर्ता ने फिर से कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. हालांकि कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि इस मामले की सुनवाई 6 अक्टूबर को होगी. बिहार सरकार ने बिहार में हुई जातीय गणना को जातीय सर्वेक्षण नाम दिया है और पहले ही सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि यह गणना नहीं सर्वे है. इसलिए इस पर किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए. याचिकाकर्ता ने जल्द सुनवाई की मंग की थी लेकिन कोर्ट ने कहा है कि यह मामला पहले से 6 अक्टूबर को सूचीबद्ध है इसलिए उसी दिन सुनवाई होगी.
बिहार सरकार ने गांधी जयंती के अवसर पर जातीय जनगणना का रिपोर्ट जारी कर दिया है। बता दें कि यह राज्य सरकार की ड्रीम प्रोजेक्ट थी। राज्य सरकार ने प्रेस कॉप्रेंस कर जातीय गणना की रिपोर्ट को जारी कर दिया गया है। रिपोर्ट बिहार के विकास आयुक्त विवेक कुमार सिंह ने जारी किया है। जिसके अनुसार बिहार में हिन्दू की आबादी 81.9986 परसेंट बताई गई है। वहीं मुस्लिम आबादी 17.7088 परसेंट बताई गई है। जबकि ईसाई आबादी 0.576 बताई गई है। इसी तरह कुल 13 करोड़ की आबादी में पिछड़ा वर्ग (3,54,63,936) 27.1286%, अत्यंत पिछड़ा वर्ग (4,70,80,514) 36.0148%, अनुसूचित जाति (2,56,89,820) 19.6518%, अनुसूचित जनजाति (21,99,361) 1.6824%, अनारक्षित (2,02,91,679) 15.5224% बताई गई है।
बात अगर जाति आधारित जनसंख्या की करें तो यादवों की आबादी सबसे 14.2666 परसेंट है। जबकि कुर्मी 2.8785 परसेंट बताए गए हैं। वहीं ब्राह्मण 3.6575%, बनिया 2.3155%, भूमिहार 2.8683%, व कुशवाहा 4.2120% बताए गए हैं।
वहीं जतीय जनगणना की रिपोर्ट जारी होते ही सीएम नीतीश और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने ट्वीट के जरिए खुशी जताई है। डिप्टी सीएम इसको ऐतिहासिक क्षण बताया है। सीएम नीतीश कुमार ने ट्वीट कर कहा कि, " आज गांधी जयंती के शुभ अवसर पर बिहार में कराई गई जाति आधारित गणना के आंकड़े प्रकाशित कर दिए गए हैं। जाति आधारित गणना के कार्य में लगी हुई पूरी टीम को बहुत-बहुत बधाई"।