ब्रिक्स शिखर सम्मेलन: मोदी किन मुद्दों को उठा सकते हैं, क्या चीन से विवादित मुद्दों पर होगी बात

ब्रिक्स शिखर सम्मेलन: मोदी किन मुद्दों को उठा सकते हैं,  क्या चीन से विवादित मुद्दों पर होगी बात

दिल्ली- ब्रिक्स शिखर सम्मेलन 22 से 24 अगस्त तक चलेगा और इसमें दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज लूला डी सिल्वा और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हिस्सा लेंगे.यूक्रेन में कथित युद्ध अपराधों के लिए अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय द्वारा जारी गिरफ्तारी वारंट के चलते रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन व्यक्तिगत रूप से मौजूद नहीं होंगें.

बता दें ब्रिक्स (BRICS) उभरती राष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं के एक संघ है. इस संघ में ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका हैं. इसकी स्थापना 2009 में हुई,और इसके ५ सदस्य देश है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 15वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए 22 से 24 अगस्त  तक दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग का दौरा करेंगे. वे दक्षिण अफ़्रीका गणराज्य के राष्ट्रपति माटामेला सिरिल रामफोसा के निमंत्रण पर वहां जा रहे हैं. इस शिखर सम्मेलन में ब्रिक्स समूह द्वारा शुरू की गई पहलों की प्रगति की समीक्षा की जाएगी और गतिविधियों के भविष्य के क्षेत्रों की पहचान की जाएगी.

प्रधानमंत्री मोदी ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में खाद्य असुरक्षा, आर्थिक सहयोग और ब्रिक्स समूह के सदस्यों की संख्या बढ़ाने जैसे एजेंडों पर चर्चा में भाग लेंगे. मोदी मंगलवार को बिजनेस फोरम को संबोधित करेंगे, जहां उनसे ऐसे समय में ब्रिक्स के महत्व को रेखांकित करने की उम्मीद है जब दुनिया अभी भी महामारी, यूक्रेन युद्ध के परिणामों से जूझ रही है..

पीएम मोदी यूक्रेन युद्ध को तुरंत समाप्त करने और बातचीत और कूटनीति के जरिए इसका समाधान निकालने की आवश्यकता को दोहरा सकते हैं. पिछले साल ब्रिक्स वार्ता की मेजबानी चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने की थी और मोदी ने इस मौके पर आतंकवाद का मुद्दा उठाया था. इस बार भी वे आतंकवाद के मुद्दे को उठा सकते हैं.

शिखर सम्मेलन के पहले दिन पीएम मोदी पहली बार चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग के आमने-सामने होंगे. पिछले साल बाली में जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान दोनों नेताओं की छोटी सी बातचीत हुई थी. हालांकि किसी भी पक्ष ने अभी तक आधिकारिक द्विपक्षीय वार्ता का प्रस्ताव नहीं दिया है और न ही दोनों पक्षों ने बैठक से इनकार नहीं किया है.पीएम मोदी और शी जिनपिंग के बीच बातचीत पर हर की नजर होगी, क्योंकि दोनों देशों के बीच एलएसी से लेकर कारोबार तक टकराव के कई बिंदु दिख रहे हैं.

 

पिछले दिनों विदेश मंत्रालय ने साफ किया था कि पिछले साल इंडोनेशिया के बाली में जी-20 सम्मेलन में दोनों नेताओं के बीच स्थिति सामान्य करने पर बात हुई थी. इस शिखर सम्मेलन के पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर 2023 में तीन बार चीन के विदेश मंत्री से मिले. राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ब्रिक्स एनएसए की बैठक के दौरान अलग से वांग यी से मिले थे. दोनों ने माना था कि एलएसी की स्थिति ने रिश्तों को नुकसान पहुंचाया है और वहां पर बेहतरी के लिए शांति और स्थिरता जरूरी है. इसके चार महीने बाद 14 अगस्त को कमांडर स्तर की बातचीत हुई थी लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकला.में कहा था दोनों नेताओं के बीच बातचीत हुई थी.


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