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सरकार से टूटी उम्मीदें! ग्रामीणों ने खुद को दिया बांध की मरम्मत कराने का ठेका, 30 से अधिक गांव के लोगों ने उठाई जिम्मेदारी

सरकार से टूटी उम्मीदें! ग्रामीणों ने खुद को दिया बांध की मरम्मत कराने का ठेका, 30 से अधिक गांव के लोगों ने उठाई जिम्मेदारी

HAJIPUR :  सरकार और प्रशासन के रवैये से निराश होकर ग्रामीणों ने खुद ही बाढ़ में टूटे बांध की मरम्मत की जिम्मदारी संभाल ली है। मामला  वैशाली के महुआ अनुमंडल से है जहां  परमानंदपुरपुर लाल में पूर्व में ध्वस्त बाया नदी पर बने बांध पिछले साल टूट गया था, लेकिन न तो सरकार के जनप्रतिनिधि और न ही प्रशासन के किसी अधिकारी ने टूटे बांध की मरम्मत कराने की जहमत उठाई। जिसके बाद इस इलाके से 30 से 40 ग्रामीणों ने बांध को मरम्मत करने का जिम्मा उठा लिया है।   

आनेवाले बाढ़ के खतरे से बचाव की तैयारी

 इस इलाके के हजारों ग्रामीणों ने संभावित बाढ़ के खतरे को देखते हुए अपने बलबूते बांध मरम्मती का काम करवा रहे हैं।  ग्रामीणों का कहना है कि पिछले साल सरकार की लापरवाही से बाया नदी का बांध टूट गया था जिसके कारण 4 पंचायत के तकरीबन 30 से 40 गांव में भारी तबाही मची थी। अब एक बार फिर बाढ़ में पिछले साल जैसे हालात न हो,  इसी आशंका को देखते हुए गांव वालों ने खुद से बांध को दुरुस्त करने का जिम्मा उठा लिया है और इसके लिए गांव वाले आपस में चंदा इकट्ठा कर मान निर्माण के काम में लगाए हैं।

सबके पास लगाई गुहार

 गांव वालों का कहना है कि बांध मरम्मती को लेकर शासन प्रशासन के तमाम अधिकारियों यहां तक कि जनप्रतिनिधियों एमपी एमएलए तमाम लोगों के हार गुहार लगाई गई लेकिन जब किसी ने इसकी सुधि नहीं ली तो ग्रामीणों ने अपने बचाव में बांध निर्माण का फैसला लिया और इसके लिए चंदे इकट्ठे किए गए और बांध निर्माण का काम चल रहा है।  ग्रामीणों को उम्मीद है कि इस बार जो उनके द्वारा बांध की मरम्मती की जा रही है उससे हजारों ग्रामीणों को इस बार बार में राहत मिल सकती है लेकिन ग्रामीणों की इस फैसले से सरकार द्वारा चलाए जा रहे अभियान पर सवाल खड़ा कर दिया है

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