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इसरो जासूसी केस में सीबीआई ने दाखिल की चार्जशीट, 30 साल पुराने केस में पूर्व डीजीपी समेत पांच अफसर बनाए गए आरोपी, अंतरिक्ष वैज्ञानिक नंबी नारायणन को फंसाने का है मामला

इसरो जासूसी केस में सीबीआई ने दाखिल की चार्जशीट, 30 साल पुराने  केस में  पूर्व डीजीपी समेत पांच अफसर बनाए गए आरोपी, अंतरिक्ष वैज्ञानिक नंबी नारायणन को फंसाने का है मामला

तिरुवनंतपुरम : सीबीआई ने 30 साल पुराने  इसरो जासूसी मामले में चार्जसीट दाखिल किया है.सीबीआई ने 1994 के इसरो जासूसी मामले में अंतरिक्ष वैज्ञानिक नंबी नारायणन को फंसाने के सिलसिले में पांच व्यक्तियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया.   तिरुवनंतपुरम की एक कोर्ट में दाखिल इस चार्जशीट में केरल के पूर्व डीजीपी समेत पांच अफसर शामिल किए गए हैं.

केरल पुलिस ने अक्टूबर 1994 में दो मामले दर्ज किए थे, जब मालदीव की नागरिक रशीदा को तिरुवनंतपुरम में गिरफ्तार किया गया था. उस पर आरोप था कि उसने पाकिस्तान को बेचने के लिए इसरो के रॉकेट इंजन के गोपनीय चित्र प्राप्त किए थे.

उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के बाद 2021 में दर्ज इस मामले में सीबीआई ने तीन साल बाद सीबीआई ने तत्कालीन पुलिस उप महानिरीक्षक मैथ्यूज के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया है, जिन्होंने 1994 के भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) जासूसी मामले की पड़ताल करने वाले विशेष जांच दल (एसआईटी) का नेतृत्व किया था. इसके अलावा श्रीकुमार, जो उस समय खुफिया ब्यूरो में उप निदेशक थे, एसआईबी-केरल में तैनात पी एस जयप्रकाश, तत्कालीन पुलिस उपाधीक्षक के के जोशुआ और निरीक्षक एस विजयन के खिलाफ भी आरोपपत्र दाखिल किया गया है.

अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई ने उन पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं 120बी (आपराधिक साजिश), 342 (गलत तरीके से बंधक बनाना), 330 (स्वीकारोक्ति करवाने के लिए स्वेच्छा से चोट पहुंचाना), 167 (झूठे दस्तावेज तैयार करना), 193 (मनगढ़ंत सबूत तैयार करना), 354 (महिलाओं पर आपराधिक हमला) के तहत आरोप लगाए हैं.

बता दें उच्चतम न्यायालय ने 15 अप्रैल, 2021 को आदेश दिया था कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन  के वैज्ञानिक नारायणन से जुड़े 1994 के जासूसी मामले में दोषी पुलिस अधिकारियों की भूमिका पर एक उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो को दी जाए. देस की सबसे बड़ी कोर्ट ने सितंबर 2018 में पूर्व इसरो वैज्ञानिक के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई को मनोरोगी उपचार करार दिया था.  साथ ही कहा कि उनकी स्वतंत्रता और गरिमा जो उनके मानवाधिकारों के लिए बुनियादी थी, खतरे में पड़ गई, क्योंकि उन्हें हिरासत में ले लिया गया।.सभी के बावजूद अतीत के गौरव को अंततः निंदक घृणा का सामना करने के लिए मजबूर होना पड़ा.


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