चंद्रयान-3 : रोवर प्रज्ञान चंद्रमा की सतह पर एक गड्ढे के नजदीक पहुंचा, पीछे जाने का निर्देश

दिल्ली- भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने कहा कि चंद्रयान-3 मिशन के तहत भेजा गया ‘रोवर’ प्रज्ञान चंद्रमा की सतह पर अपनी अवस्थिति के ठीक आगे चार मीटर व्यास के एक गड्ढे के करीब पहुंच गया, जिसके बाद उसे पीछे जाने का निर्देश दिया गया.

 इसरो ने सोशल मीडिया पर जानकारी  पोस्ट में करते हुए कहा कि यह अब सुरक्षित रूप से एक नये मार्ग पर आगे बढ़ रहा है. अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि 27 अगस्त को रोवर चार मीटर व्यास के एक गड्ढे के नजदीक पहुंच गया, जो इसकी अवस्थिति से तीन मीटर आगे था.  इसने कहा, ‘‘रोवर को पीछे जाने का निर्देश दिया गया.’’ भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के अनुसार, यह अब एक नये मार्ग पर आगे बढ़ रहा है.

इसरो ने चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर के साथ लगे ‘चेस्ट’ उपकरण (पेलोड) द्वारा चंद्र सतह पर मापी गई तापमान भिन्नता का एक ग्राफ रविवार को जारी किया था. अंतरिक्ष एजेंसी के अनुसार, ‘चंद्र सरफेस थर्मो फिजिकल एक्सपेरिमेंट’ (चेस्ट) ने चंद्रमा की सतह के तापीय व्यवहार को समझने के लिए, दक्षिणी ध्रुव के आसपास चंद्रमा की ऊपरी मिट्टी का ‘तापमान प्रालेख’ मापा. इसरो ने कहा था कि चंद्रमा की सतह के तापीय व्यवहार को समझने के लिए, ‘चेस्ट’ ने ध्रुव के चारों ओर चंद्रमा की ऊपरी मिट्टी के तापमान प्रलेख को मापा. पेलोड में तापमान को मापने का एक यंत्र लगा हुआ है जो सतह के नीचे 10 सेंटीमीटर की गहराई तक पहुंचने में सक्षम है. इसरो ने कहा, ‘‘इसमें 10 तापमान सेंसर लगे हैं.

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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के अनुसार, ‘चंद्र सरफेस थर्मो फिजिकल एक्सपेरिमेंट’ (चेस्ट) ने चंद्रमा की सतह के तापीय व्यवहार को समझने के लिए, दक्षिणी ध्रुव के आसपास चंद्रमा की ऊपरी मिट्टी का ‘तापमान प्रालेख’ मापा.इसरो ने कहा था कि चंद्रमा की सतह के तापीय व्यवहार को समझने के लिए, ‘चेस्ट’ ने ध्रुव के चारों ओर चंद्रमा की ऊपरी मिट्टी के तापमान प्रलेख को मापा.इसरो ने कहा, ‘‘इसमें 10 तापमान सेंसर लगे हैं। प्रस्तुत ग्राफ विभिन्न गहराइयों पर चंद्र सतह/करीबी-सतह की तापमान भिन्नता को दर्शाता है. चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के लिए ये पहले ऐसे प्रालेख हैं. विस्तृत अवलोकन जारी है.’’

बता दें विक्रम लैंडर को तीन तरफ़ से सोलर पैनल से ढका गया है ताकि उसे हर हालत में पर्याप्त रोशनी मिल सके.लेकिन ऐसा सिर्फ़ अगले 14 दिनों तक ही संभव है क्योंकि 14 दिन के अंदर चांद का ये हिस्सा अंधेरे में डूब जाएगा.क्योंकि चांद का एक दिन पृथ्वी के 14 दिन जितना लंबा होता है. चांद पर बीती 23 अगस्त को सूरज उगा था जो पांच-छह सितम्बर तक ढल जाएगा.इसके बाद चांद पर तापमान में भारी गिरावट आएगी. क्योंकि चांद पर पृथ्वी की तरह वायुमंडल नहीं है जो पृथ्वी को रात के वक़्त गर्म रखता है.ऐसे में चांद पर सूरज उगने और ढलने के साथ तापमान में बेहद तेजी के साथ भारी अंतर आता है.इसरो प्रमुख डॉ एस सोमनाथ ने बताया है, "सूरज ढलने के साथ ही सब कुछ अंधेरे में डूब डाएगा. तापमान माइनस 180 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाएगा. ऐसे में इस तापमान पर इन सिस्टम्स का सुरक्षित बने रहना संभव नहीं है."