CHAPRA : शैक्षणिक योग्यता की जांच से भाग रहे शिक्षकों को भागना महंगा पड़ सकता है। अभी भी 2100 में से 40 फीसदी शिक्षकों ने अपना फोल्डर अपलोड नहीं किया है। ऐसे में यह माना जा रहा है कि इनकी नौकरी जा सकती है। इन्हें कुछ और दिन का समय देते हुए विभाग ने 20 जुलाई तक कागजात को अपलोड करने का आदेश दिया है, ताकि इनकी नौकरी पर कोई खतरा नहीं हो सके। सूत्रों की माने तो कुल का 10 फीसदी तो फर्जी सामने आएंगे ही और इनको अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा।
विजिलेंस टीम छपरा में जमी
इधर विजिलेंस भी हाईकोर्ट के आदेश का पालन करने के लिए छपरा में जमीं हुई है ताकि एक-एक टीचर की रिपोर्ट ली जा सके। बताया तो यह भी जा रहा है कि पहले के अफसरों ने कुछ शिक्षकों का नाम छोड़ दिया था। अब नए विजिलेंस डीएसपी ने ऐसे सभी शिक्षकों को भी जांच में शामिल कराने की कार्रवाई शुरू कर दी है। हर दिन शिक्षक नियोजन से जुड़ी जांच की प्रगति रिपोर्ट ली जा रही है।
पोर्टल पर त्रुटि को सुधारने का आदेश
यह देखा जा रहा है कि पोर्टल पर अपलोड शिक्षकों की सूची में नाम, विद्यालय का नाम, नियुक्ति तिथि, पिता या पति का नाम, ईपीएफ नंबर आदि में गड़बड़ी है। इससे शिक्षकों का प्रमाण पत्र आदि अपलोड नहीं हो पा रहा है। डीईओ अजय कुमार सिंह ने सभी बीईओ को आदेश देते हुए कहा है कि अपने-अपने प्रखंडाधीन स्कूलों के वैसे शिक्षकों जिनका नाम वेबपोर्टल पर अपलोड किया गया है और उसमें त्रुटि रह गई है। उनका आवेदन साक्ष्य सहित दो दिनों के अंदर प्राप्त कर कार्यालय को उपलब्ध कराते हुए सुधार करवाएं।
क्या कहते हैं डीईओ
इतनी सुविधा व राहत देने के बावजूद भी यदि शिक्षक लापरवाही करते हैं और कागजात अपलोड नहीं कराते हैं तो नौकरी जानी तय है। 20 जुलाई के बाद समीक्षा होगी।
छपरा से संजय भारद्वाज की रिपोर्ट