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मोदी के जन्मदिन पर हुआ चीतों का गृह प्रवेश, 70 साल बाद भारत में चीता रिटर्न्स

मोदी के जन्मदिन पर हुआ चीतों का गृह प्रवेश, 70 साल बाद भारत में चीता रिटर्न्स

DESK. जिस इंतजार देश पिछले 70 साल से कर रहा था, वह शुभ अवसर 17 सितम्बर को आ ही गया. भारत की भूमि एक बार फिर से चीतों से आबाद हो गई. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी में शनिवार को मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में 8 चीतों को उनके बाड़े में छोड़ा. इन चीतों को दक्षिण अफ़्रीकी देश नामीबिया से भारत लाया गया है. 8 चीतों में 3 नर और 5 मादा हैं. पीएम मोदी के जन्मदिन पर इन्हें देश को समर्पित किया गया. भारत में विलुप्त हो चुके चीतों को पुनर्स्थापित करने के लिए पिछले कई दशकों से चल रही पहल को अंततः मोदी के शासनकाल में सफलता मिली है. 

दरअसल, भारत में अंतिम बार चीतों को वर्ष 1948 में देखा गया था. उसके बाद 1952 में चीतों को भारत में समाप्त मान लिया गया. हालांकि करीब दो दशक बाद एक बार फिर से 70 के दशक में इंदिरा गांधी के प्रधानमंत्री रहने के दौरान भारत में चीतों को आबाद करने के लिए पहल हुई. उस दौर में ईरान के साथ चीता लाने पर वार्ता हुई लेकिन यह सफल नहीं हुआ. 1979 से चीतों को भारत में बसाने की प्रक्रिया को जब सफलता नहीं मिली तो अगले कुछ साल तक यह मुद्दा गौण बना रहा. 

इस बीच, जब वर्ष 2004 में डॉ मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने तो एक बार फिर से भारत की धरती पर चीतों की विलुप्त हो चुकी प्रजाति को बसाने पर चर्चा शुरू हुई. आखिर में 2009 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार में मंत्री जयराम रमेश ने चीतों को भारत लाने के लिए नामीबिया से बात शुरू की. बातचीत काफी आगे बढ़ी लेकिन 2014 में देश में मोदी सरकार बन जाने के बाद एक बार फिर से यह मुद्दा ठंडे बसते में चला गया. 

हालांकि पीएम मोदी ने देश में चीतों को आबाद करने की आवश्यकता को देखते हुए मनमोहन सिंह सरकार में जो पहल शुरू हुई थी उसे आगे बढ़ाया. उनकी सरकार लगातार नामीबिया से सम्पर्क में रही. 

अब वर्ष 2022 में भारत में चीता को लाने में सफलता मिली है. पीएम मोदी ने चीतों को पार्क में छोड़ा. चीतों के लिए एमपी के कूनो नेशनल पार्क को ही क्यों चुना गया? 748 वर्ग किलोमीटर में फैला कूनो नेशनल पार्क को 10 जगहों के सर्वे के बाद फाइनल किया गया है. एमपी में पुनर्वास का रिकॉर्ड सबसे अच्छा रहा है. चीतों को अच्छे शिकार की जरूरत होती है और कूनो नेशनल पार्क में छोटे हिरण और सुअर की घनी आबादी मौजूद है और पूरे पार्क में चीतल, सांबर और नीलगाय की संख्या करीब 25 हजार है. यानि चीतों को खाने की कोई कमी नहीं होगी.


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