GOPALGANJ : दीपावली पर्व पर मिट्टी के दिए की जगह चाइनीज झालरो ने अपना स्थान बना लिया है। जिससे कुम्हारों की चाक थम सी गई है। हालांकि कुम्हारों ने अपना उम्मीद नहीं छोड़ा है और एक बार फिर मिट्टी के दिए व खिलौने बनाए जा रहे हैं।
हालांकि कुम्हारों के चेहरे की लकीर और जुबान से निकल रही बातो से यह अंदाजा लगाया जा सकता है की आधुनिकता के इस दौड़ में बिजली के झालरों ने अपना स्थान लेकर इन कुम्हारों के रोजगार पर गंभीर प्रहार कर दिया है। जिसके कारण कुम्हारों के सामने आजीविका का संकट गहराता जा रहा हैं।
दरअसल 12 अक्तूबर को पूरे देश में दीपावली पर्व धूम धाम से मनाई जाएगी। इस पर्व पर मिट्टी के दीयों से घर को रोशन करने की परंपरा सदियों पुरानी है। इसका अपना महत्व भी है। ऐसे में दीपावली के नजदीक आते हीं कुम्हार दीये बनाने के काम में तेजी से जुट गए हैं। उन्हें उम्मीद है कि इस बार उनकी दीवाली भी रोशन रहेगी। हालांकि वर्ष भर दीपावली के त्योहार की प्रतीक्षा करने वाले कुम्हारों की दीवाली अब पहले की तरह रोशन नहीं हो रही है।
बावजूद मिट्टी के दीपक, मटकी आदि बनाने के लिए माता-पिता के साथ उनके बच्चे भी हाथ बंटा रहे हैं। कोई मिट्टी गूंथने में लगा है तो किसी के हाथ चाक पर मिट्टी के बर्तनों को आकार दे रहे हैं।
गोपालगंज से मनान अहमद की रिपोर्ट