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चुनावी नेताजीः चले थे बिहार को फर्स्ट बनाने अब अपने 'क्षेत्र' को भी भूल गए चिराग, पहले पक्षी महोत्सव में नहीं पहुंचे जमुई सांसद

चुनावी नेताजीः चले थे बिहार को फर्स्ट बनाने अब अपने 'क्षेत्र' को भी भूल गए चिराग, पहले पक्षी महोत्सव में नहीं पहुंचे जमुई सांसद

PATNA: बिहार के वोटरों ने चिराग पासवान के पैर के नीचे से जमीन खींच ली है। वे न घऱ के रहे न घाट के यानी पूरी तरह से पैदल हो गए. भाजपा-जेडीयू से पंगा लेकर चिराग पासवान अकेले चुनावी मैदान में उतरे थे। लोजपा सुप्रीमो ने 135 विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे . लेकिन बिहार के वोटरों ने चिराग पासवान की पार्टी लोजपा की हवा निकाल दी। चिराग बिहार और बिहारी को फर्स्ट बनाने का लॉली पॉप दिखाकर वोटरों से वोट लेना चाहते थे। लेकिन वोटर उनसे अधिक चालाक निकले और झांसे में नहीं आये. एक सीट छोड़कर सभी जगहों पर लोजपा कैंडिडेट की करारी हार हुई। बिहार में मिली करारी हार के बाद चिराग पासवान बिहार से पूरी तरह से गायब हो गए हैं। चले थे बिहार और बिहारी को फर्स्ट बनाने अब वे अपने संसदीय क्षेत्र को भी भूल गए। 

चिराग को अब नहीं कोई मतलब

चिराग पासवान 2 दिसंबर से ही बिहार से गायब हैं. चले से बिहार को फर्स्ट बनाने लेकिन अब तो वे अपने संसदीय क्षेत्र जमुई को भी भूल गए। जमुई में आज बिहार का प्रथम पक्षी महोत्सव का आयोजन किया गया था। कार्यक्रम का उद्घाटन सीएम नीतीश ने किया। इस कार्यक्रम में बिहार सरकार की तरफ से स्थानीय सांसद यानी चिराग पासवान को भी आमंत्रित किया गया था। वन एवं पर्यावरण विभाग ने बजाप्ता अखबारों में विज्ञापन देकर बताया था कि स्थानीय सांसद की भी गरिमामय उपस्थिति रहेगी। लेकिन चिराग पासवान का दर्शन नहीं हो सका। आखिर अब उन्हें क्षेत्र से मतलब ही क्या है...अभी नजदीक में चुनाव भी है लिहाजा क्षेत्र के लोगों ने भी कहा कि चिराग को क्षेत्र के लोगों से क्या वास्ता?

2 दिसंबर से बिहार से बाहर हैं चिराग

लोजपा का बिहार फर्स्ट-बिहारी फर्स्ट का मिशन फेल कर गया। चिराग पासवान को लग रहा था कि वे बिहार के नौजवानों-गरीबों को बिहारी को फर्स्ट बनाने का वायदा कर वोट ले लेंगे,लेकिन कामयाब नहीं पाये। जब बिहार की जनता ने चिराग को कहीं न नहीं छोड़ा इसके बाद अब वे बिहार से मुंह मोड़ लिये हैं. चुनावी में करारी हार के बाद चिराग पासवान दिल्ली का रूख कर चुके हैं. वे 2 दिसंबर के बाद बिहार की धरती पर कदम नहीं रखे हैं। जानकार बताते हैं कि अब वे बिहार में कभी-कभार हीं दिखेंगे क्यों कि हाल-फिलहाल यहां कोई चुनाव नहीं है। 2 दिसंबर के बाद आज 16 जनवरी 2021 है यानी डेढ़ महीने हो गए,उनको देखे हुए।बताया जाता है कि वे दिल्ली में बैठकर भाजपा से नजदीकी बनाने में जुटे हैं. 


क्या बिहार ऐसे बनेगा फर्स्ट?

जेडीयू की तरफ से सवाल उठाया जा रहा कि क्या ऐसे नेता कभी बिहार का भला कर सकते हैं? जो नेता बिहार को फर्स्ट बनाने की बात करता हो वह महीनों तक बिहार की जनता से दूर रहे वो क्या बिहार के बारे में सोचेगा? वैसे नेताओं को बिहार की जनता पूरी तरह से पहचानती है। इस चुनाव में वोटरों ने सबक भी दिया है कि बेवकूफ बनाकर वोट नहीं ले सकते। जेडीयू नेता कहते हैं कि  मौसमी नेता आमलोगों का कभी भी भला नहीं कर सकते। लोजपा की करारी हार के बाद पार्टी नेताओं ने भी चिराग पासवान को बिहार में रहकर राजनीति करने की सलाह दी थी।लेकिन इसका असर भी नहीं हुआ और इतने दिन हो गए लेकिन चिराग पासवान को अपने दल के नेता भी नहीं देख पाये हैं. इस संबंध में लोजपा के नेता कुछ बी बोलने को तैयार नहीं।

...तो बीजेपी से पींगे बढ़ाने में जुटे चिराग?

जानकार बताते हैं कि चिराग पासवान अब भाजपा से पींगे बढ़ाने में जुटे हैं. उनकी पूरी कोशिश है कि भाजपा से संबंध बहाल हो और मोदी मंत्रिमंडल में खुद जगह मिल जाये। लेकिन यह होते हुए नहीं दिखता है।जेडीयू ने साफ-साफ कह दिया है कि लोजपा न तो बिहार एनडीए में है और न दिल्ली एनडीए में। जेडीयू चिराग को बख्शने को कतई तैयार नहीं है। 

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