भाजपा से फाइनल डील करने चिराग पासवान हुए दिल्ली रवाना, NDA में शामिल होने के पहले रखे कई शर्त

पटना. चिराग पासवान अगले लोकसभा चुनाव के लिए एनडीए से गठबंधन करेंगे या नहीं यह एक पेचीदा मुद्दा बनता जा रहा है. लोजपा रामविलास के नेता चिराग को 18 जुलाई की होने वाली एनडीए की बैठक में भाजपा ने बुलाया है. लेकिन, चिराग ने अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया है कि वे बैठक में जाएंगे या नहीं. इन सबके बीच रविवार को अचानक से चिराग ने दिल्ली के लिए उडान पकड़ ली. सूत्रों का कहना है कि चिराग का पहले रविवार को पटना और बिहार में कई कार्यक्रम तय था. लेकिन उन्होंने अचानक से दिल्ली जाने का निर्णय किया है. इसके पीछे भाजपा के साथ कुछ मुद्दों पर अंतिम डील करना है जिससे उनके एनडीए में जाने पर मुहर लगे. 

दरअसल चिराग से पिछले एक सप्ताह में दो बार केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने मुलाकात की थी. उसके बाद भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने चिराग को चिट्ठी लिखकर 18 जुलाई की बैठक में बुलाया था. लेकिन अब चिराग के बारे में कहा जा रहा है कि वे अभी भी कई शर्तों को भाजपा से मनवाना चाहते है. इसमें चाचा पशुपति पारस और चिराग पासवान के बीच कुछ मुद्दों पर मतभेद को पाटने, लोकसभा चुनाव में चिराग की पार्टी लोजपा रामविलास के लिए अभी से सीटें तय करने, केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह देने जैसे मामले पर ठोस आश्वान की दरकार है. 

चिराग एक दिन पहले ही दिल्ली से पटना आए थे और दिन भर उन्होंने अपने दल के कई नेताओं से बात की थी. बाद में रविवार को भी दिल्ली जाने के पहले उन्होंने पार्टी के नेताओं से कई दौर की बात की. सूत्रों के अनुसार इसमें चिराग को पार्टी नेताओं ने अधिकृत किया है कि वे जो भी निर्णय लेंगे उस पर वे उनके साथ हैं. साथ ही भाजपा और एनडीए के साथ जाने के पहले चिराग और उनके दल के नेताओं का मानना है कि भाजपा पहले उसके शर्त को मानें. सूत्रों के अनुसार चिराग को लोकसभा की 6 सीट और राज्यसभा की एक सीट चाहिए. साथ ही हाजीपुर सीट पर भी चिराग का दावा है. इन तमाम मुद्दों पर अब भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से बात कर चिराग डील फाइनल करेंगे. 

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चिराग पासवान को बिहार में भाजपा एक बड़े तुरुप के पत्ते के रूप में देख रही है. इसके पीछे की मुख्य वजह चिराग के साथ जुड़ा हुआ वोट बैंक है. चिराग के पिता रामविलास पासवान ने कई दशकों में अपनी एक विशेष पहचान पासवान बिरदारी में बनाई. उनके नक्शेकदम चलकर अब चिराग भी खुद को पासवान बिरदारी का बड़ा नेता साबित कर चुके हैं. बिहा में करीब 6 फीसदी पासवान वोट है. ऐसे में भाजपा की कोशिश है कि वह चिराग के बहाने इस 6 फीसदी वोटों को एनडीए के खाते में लाने में सफल हो. चिराग भी अपनी इस मजबूत स्थिति को समझते हैं. माना जा रहा है कि इसी कारण एनडीए में शामिल होने के पहले चिराग अब भाजपा से सारे मुद्दों पर फाइनल डील करने के लिए दिल्ली गए हैं.