चाचा पारस से अपनी दूरियां खत्म करना चाहते हैं चिराग! कहा - फैसला उनको लेना है, वह तय करें

PATNA : तीन दिन पहले एनडीए की मीटिंग की दो तस्वीरें खूब वायरल हुई, जिनमें एक तस्वीर प्रधानमंत्री मोदी और चिराग पासवान के गले मिलते हुए, वहीं दूसरी तस्वीर चिराग पासवान और पशुपति पारस की, जिसमें वह अपने चाचा के पांव छुकर आशीर्वाद ले रहे थे। इन तस्वीरों के सामने आने के बाद कयास लगने शुरू हो गए कि अब चाचा-भतीजे के बीच की दूरियां भी खत्म हो जाएगी। ऐसे में अपने चाचा के साथ चल रहे झगड़े और लोजपा के एक साथ आने को लेकर चिराग पासवान ने अपनी चुप्पी तोड़ी है।
एक मीडिया संस्थान को दिए इंटरव्यू में जमुई सांसद ने स्पष्ट किया कि चाचा से लड़ाई राजनीतिक नहीं, पारिवारिक मसला है और हमारे यहां परिवार के बड़े ही परिवार के मामलों में फैसला करते हैं। चिराग ने कहा कि मेरे पिता के बाद मैंने अपने चाचा में ही अपने पिता की छवि को देखा था। शायद मुझसे कोई गलती हुई होगी, जिसके कारण वो अलग हुए। मुझे नहीं समझ आया।
साथ आने का फैसला चाचा पर छोड़ा
चिराग ने कहा कि अलग होने का फैसला भी उनका था। साथ आने का फैसला भी वही करेंगे, लेकिन शायद वो फैसला कर चुके हैं। तभी वो कह रहे हैं कि सूरज पश्चिम से उग जाएगा, लेकिन चिराग से मेरा कोई समझौता नहीं होगा।
जमुई और हाजीपुर दोनों जगह से पार्टी लड़ेगी चुनाव
चिराग ने कहा कि हाजीपुर से पार्टी चुनाव लड़ेगी। मेरे पिता के आधे काम पूरा करना मेरी जिम्मेदारी है। हाजीपुर को वे अपनी मां मानते थे और उसे मैं छोड़ नहीं सकता। हमारी पार्टी वहां से चुनाव लड़ेगी। गठबंधन को लेकर उनसे बात हुई है।
जहां तक जमुई की बात है तो वह मेरी कर्मभूमि है। 10 साल से मुझे वहां से सम्मान मिला है। पार्टी का संसदीय दल हाजीपुर और जमुई से चुनाव लड़ने पर फैसला लेगा, लेकिन इतना तय है कि हमारी पार्टी ही इन दोनों से जगहों से चुनाव लड़ेगी।
मंत्री बनने का फैसला पीएम पर छोड़ा
चिराग ने मंत्री बनने के फैसले को लेकर कहा कि ये प्रधानमंत्री जी का अधिकार क्षेत्र है। इस लालसा में हमने गठबंधन नहीं किया है। इस पर कुछ भी कहना गलत होगा। गठबंधन करने से पहले हमारी कुछ चिंतांए थीं और उन मुद्दों पर आम सहमति बनने के बाद ही हमने उसकी घोषणा की।