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आमी के अंबिका भवानी जैसी हैं चिरांद की गढ़ देवी, भक्तों की हर मनोकामना होती है पूरी

आमी के अंबिका भवानी जैसी हैं चिरांद की गढ़ देवी, भक्तों की हर मनोकामना होती है पूरी

CHHAPRA : धार्मिक नगरी चिरान्द यहां ऐसे-ऐसे देव स्थान जिनके दर्शन करने मात्र से हर समस्या, मनोकामना पूर्ण हो जाती है। अगर चिरान्द का नाम सुना हो और दानी राजा मोरध्वज के बारे में न सुना हो ऐसा हो ही नहीं सकता है। एक ऐसा राजा जो अपने दानशीलता के कारण पूरे विश्व में माना और जाना जाता है। मौर्यध्वज अपने दानशीलता के कारण ही जाने जाते है। वे मां दुर्गा के बहुत ही बड़े भक्त थे। चिरांद में गढ़ देवी मंदिर मोरध्वज की कुलदेवी थी, ऐसा लोग कहते हैं। मोरध्वज की दानशीलता ऐसी थी, जिससे स्वयं भगवान को आना पड़ा। जहां विश्वविजयी अर्जुन का घमंड चूर हुआ और यह वही चिरांद है जहां एक 12 वर्ष के बालक अर्थात मोरध्वज पुत्र ताम्रध्वज के हाथों अर्जुन परास्त हो जाते हैं। मोरध्वज के बंदी गृह में डाल दिए जाते हैं। हालांकि राजा को पता चलने पर वे उन्हें छोड़ देते हैं। कालांतर में भगवान श्री कृष्ण, अर्जुन और यमराज द्वारा राजा मोरध्वज की परीक्षा ली जाती है जिसमें वे प्रसन्न हो जाते हैं।

चिरांद के गढ़ देवी मंदिर ऐसी मान्यता है कि यहां आने वाले की हर व्यक्ति की मुराद पूरी होती है। मां की मूर्ति बिल्कुल आमी के अंबिका भवानी जैसा ही पिंडी यहां भी है। यहां दूरदराज से आने वाले भक्तों की आने-जाने का सिलसिला सालों भर लगा रहता है। वैसे धार्मिक नगरी चिरांद के ग्रामवासियों की तरफ से सावन में विशेष पूजा की जाती है। वही आसपास के गांव के लोग संक्रांति के अवसर पर कई मानस मंडली द्वारा अपनी प्रस्तुति की जाती है। यह सिलसिला प्राचीन काल से ही चला आ रहा है। तीन नदियों गंगा, सरयू व सोन के संगम पर बसा यह नगरी जिसके बारे में रामचरितमानस के बालकांड में चर्चा है। जिसमें गोस्वामी जी द्वारा "राम भगति सुर सरितहि जाई  मिली सुकीरति सरयू सुहाई शानुज राम समर जस पावन मिलेउ महानद सोन  सुहावन" यानी संगम की चर्चा है। 

यहां अति प्राचीन काल की कई मंदिर हैं जहां आने वाले की हर मुराद पूरी होती है। वही ऐसे ऐसे दिव्य मूर्ति है जिनमें चिरान्द की गढ़ देवी बंगाली बाबा मंदिर का अद्भुत शिवलिंग बडी़मठिया रसिक शिरोमणि मंदिर जिसकी शाखाएं पूरे भारतवर्ष में फैली हुई हैं। चिरांद में प्राचीन गद्दी है जो आचार्य पीठ चलाता है। यानी देश दुनिया के बड़े-बड़े संत महात्मा भी यहां सिर नवाते हैं। नवरात्र के मौके पर आराधना का विशेष महत्व है। कहा जाता है कि मां गढ़ देवी के स्थान पर नवरात्रि में यहां साधक साधना करने आते हैं। उनकी हर मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं तभी तो यहां साधकों की भीड़ सालों भर देखी जाती है।

छपरा से संजय भारद्वाज की रिपोर्ट

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