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CM नीतीश की 'जिद' से बार-बार सरकार की पिट रही 'भद्द' ! जातीय 'गणना' से पहले पटना हाईकोर्ट ने नगरपालिका चुनाव पर लगाई थी रोक

CM नीतीश की 'जिद' से बार-बार सरकार की पिट रही 'भद्द' ! जातीय 'गणना' से पहले पटना हाईकोर्ट ने नगरपालिका चुनाव पर लगाई थी रोक

PATNA: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जिद की वजह से कोर्ट में सरकार की हर बार भद्द पिट रही है. अक्टूबर 2022 में पटना हाईकोर्ट ने ऐन वक्त पर नगरपालिका चुनाव को स्थगित कर दिया था. अब जातीय गणना पर न्यायालय ने रोक लगा दी है. पटना हाइकोर्ट आज राज्य सरकार द्वारा जातियों की गणना एवं आर्थिक सर्वेक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं अंतरिम आदेश पारित करते हुए फिलहाल रोक लगा दिया है। अखिलेश कुमार व अन्य की याचिकाओं पर चीफ जस्टिस के वी चन्द्रन की खंडपीठ ने कल सुनवाई  कर ली थी। कोर्ट अंतरिम आदेश पारित करते हुए राज्य सरकार को डाटा शेयर या उनका उपयोग फिलहाल नहीं करने का निर्देश दिया है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने बताया कि इस मामले पर अगली सुनवाई 3 जुलाई,2023 को की जाएगी।

ट्रिपल टेस्ट की प्रक्रिया पूरी नहीं करने पर चुनाव पर HC ने लगाई थी रोक  

इसके पहले 4 अक्टूबर 2022 को पटना हाईकोर्ट ने नीतीश सरकार को बड़ा झटका दिया था. ऐन वक्त पर जब चुनाव की तारीख नजदीक आ गई थी तब हाईकोर्ट ने चुनाव को रोक दिया था. पटना हाईकोर्ट ने बिहार के स्थानीय निकायों में अन्य पिछड़ा वर्गों को आरक्षण दिए जाने के मामले पर बड़ा फैसला सुनाया था. हाईकोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और न्यायाधीश एस कुमार की खंडपीठ ने 86 पन्नों का निर्णय को देते हुए कहा था कि "चुनाव आयोग को एक स्वायत्त और स्वतंत्र निकाय के रूप में कार्य करना, न की बिहार सरकार के हुक्म से बंध कर. हाईकोर्ट ने अपने फैसले में यह कहा कि जब तक राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय ट्रिपल टेस्ट की प्रक्रिया को पूरा नहीं कर लेती तब तक अति पिछड़ों के लिए आरक्षित सीटों को सामान्य माना जाएगा. अति पिछ़ड़ों को आरक्षण देने से पहले हर हाल मे ट्रिपल टेस्ट की प्रक्रिया अनिवार्य है. कोर्ट की ओर से यह कहा गया था कि राज्य निर्वाचन आयोग अति पिछड़ों के लिए आरक्षित सीटों को सामान्य घोषित कर चुनावी प्रक्रिया को फिर से शुरू कर सकता है. इस फैसले के साथ ही 10 और 20 अक्टूबर को होने वाली नगरपालिका चुनाव पर तत्काल प्रभाव से रोक लग गई थी. इसके बाद आनन-फानन में सरकार ने डेडिकेटेड आयोग का गठन किया . आयोग ने रिपोर्ट दिया. इसके बाद कोर्ट के आदेश के बाद चुनाव की घोषणा हो सकी थी.  

कोर्ट से फैसले से ठीक पहले सीएम नीतीश का बयान 

बता दें, जातीय गणना पर मुख्यमंत्री ने गुरुवार को कहा है कि जाति आधारित गणना सर्वसम्मति से कराई जा रही है। हम लोगों ने केंद्र सरकार से इसकी अनुमति ली है। हम पहले चाहते थे कि पूरे देश में जाति आधारित जनगणना हो, लेकिन जब केंद्र सरकार नहीं मानी तो हम लोगों ने जाति आधारित गणना सह आर्थिक सर्वे कराने का फैसला लिया।


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