पटना. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक बार फिर से भाजपा को बड़ा झटका देने का संकेत देते दिख रहे हैं. भाजपा के खिलाफ बगावत करने वाले एक बड़े नेता के साथ सीएम नीतीश की मुलाकात हुई है. कहा जा रहा है कि इस मुलाकात ने बीजेपी की टेंशन बढ़ा दी है. जदयू अब झारखंड विधानसभा चुनावों में भाजपा की मुश्किलें बढ़ा सकती है. दरअसल, झारखंड की सियासत के दिग्गज नेता सरयू राय की सीएम नीतीश से मुलाकात के बाद सियासी गलियारों में भाजपा और एनडीए के रिश्तों को लेकर अटकलबाजियों का दौर जारी है.
सरयू राय ने जदयू के शीर्ष नेतृत्व से हुई मुलाकात को लेकर सोशल मिडिया पर जानकारी दी. उन्होंने लिखा- ‘पटना मुख्यमंत्री निवास में नीतीश कुमार के साथ भेंट हुई. झारखंड विधानसभा के आगामी चुनाव में हमारी संभावित भूमिका के बारे में संक्षिप्त परंतु फलदायक चर्चा हुई. साथ में झारखंड विधानसभा चुनाव लड़ने पर सहमति बनी. शेष चुनावी औपचारिकताओं पर जद(यु) नेतृत्व शीघ्र निर्णय लेगा.’ सरयू राय ने मुलाकात के बाद साफ कर दिया कि जदयू के साथ मिलकर झारखंड विधानसभा चुनाव लड़ने को लेकर वे तैयारी में जुटे हैं.
दरअसल, सरयू राय ने पिछले झारखंड विधानसभा चुनाव में राज्य के मुख्यमंत्री रहे रघुवर दास को हराया था. इसके पहले सरयू राय ने रघुवर दास सरकार पर भ्रष्टाचार के कई आरोप लगाए थे. हालाँकि जब भाजपा नेतृत्व ने सरयू राय की बातों को अनसुना कर दिया तो उन्होंने बीजेपी के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंका. इसका खामियाजा भाजपा को झारखंड विधानसबा चुनाव में उठाना पड़ा था. खुद रघुवर दास की सरयू राय से हार हुई जबकि राज्य में भाजपा सत्ता से बाहर हो गई. सरयू राय को इसी कारण भाजपा के ‘दुश्मन’ के रूप में कई भाजपा नेताओं ने कटाक्ष किया था. अब वही सरयू राय जदयू के साथ मिलकर बड़ा खेला कर सकते हैं.
जदयू की दी तैयारी : झारखंड में इसी वर्ष विधानसभा चुनाव होने हैं. जदयू ने पहले ही घोषणा की है कि पार्टी अपने संगठन का विस्तार झारखंड में करेगी. हाल ही में जदयू की कमान संभालने वाले संजय झा ने पार्टी के झारखंड विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा की थी. झारखंड में जदयू अपनी प्रभावशाली उपस्थिति दर्ज कराना चाहती है. इसमें सरयू राय एक प्रभावशाली चेहरा होंगे जिनकी राज्य की सियासत में मजबूत पैठ है. जदयू का इसका लाभ झारखंड विधानसभा चुनाव में अपने लिए लेना चाहेगी. सूत्रों का कहना है कि सीएम नीतीश के साथ सरयू राय की हुई मुलाकात में आगामी चुनावों को लेकर कई तरह की चर्चा हुई है. इसमें सरयू राय को जदयू किस भूमिका में उतारे यह भी शामिल है.
भाजपा को टेंशन : सरयू राय ने पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ माहौल बनाने में अपनी अहम भूमिका निभाई थी. इस बार उनका जदयू के साथ जाना भाजपा को नागवार गुजर सकता है. एक ओर बिहार और केंद्र में भाजपा और जदयू एक साथ है. दूसरी ओर भाजपा के खिलाफ हुंकार भरने वाले के साथ जदयू का हाथ मिलाना बीजेपी की टेंशन को जरुर बढ़ाएगा.
कौन हैं सरयू राय : एबीवीपी से सियासी शुरुआत करने वाले सरयू राय जेपी आंदोलन में सक्रिय रहे. बाद में 1998 में भाजपा की ओर से बिहार विधान परिषद के सदस्य चुन लिए गए. इसके पहले सरयू राय ने 1994 में सबसे पहले पशुपालन घोटाले का भंडाफोड़ किया था। बाद में इस घोटाले की सीबीआइ जांच हुई। राय ने घोटाले के दोषियों को सजा दिलाने को उच्च न्यायालय से लेकर सर्वोच्च न्यायालय तक संघर्ष किया। इसके फलस्वरूप राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव समेत दर्जनों राजनीतिक नेताओं व अफसरों को जेल जाना पड़ा। सरयू राय ने 1980 में किसानों को आपूर्ति होने वाले घटिया खाद, बीज, तथा नकली कीटनाशकों का वितरण करने वाली शीर्ष सहकारिता संस्थाओं के विरूद्ध भी आवाज उठायी थी। तब उन्होंने किसानों को मुआवजा दिलाने के लिए सफल आंदोलन किया।
सरयू राय ने ही संयुक्त बिहार में अलकतरा घोटाले का भी भंडाफोड़ किया था। इसके अलावा झारखंड के खनन घोटाले को उजागर करने में सरयू राय की अहम भूमिका रही। इतने घोटालों के पर्दाफाश के बाद तो सरयू राय का नाम भ्रष्ट नेताओं में खौफ का पर्याय बन गया। वर्ष 2005 में उन्होंने जमशेदपुर पश्चिम विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. वर्ष 2014 और 2019 में भी सरयू राय ने विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की. अब सीएम नीतीश के साथ मिलाकर फिर से सरयू राय झारखंड में बड़ा उलटफेर कर सकते हैं.