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सरकारी अस्पताल का हाल : कुकुरमुत्ता की तरह मरीज को बंध्याकरण के ऑपरेशन के बाद जमीन पर छोड़ा, तेजस्वी की दावा फेल, ड्यूटी से डॉक्टर फरार

सरकारी अस्पताल का हाल :  कुकुरमुत्ता की तरह मरीज को बंध्याकरण के ऑपरेशन के बाद जमीन पर छोड़ा, तेजस्वी की दावा फेल, ड्यूटी से डॉक्टर फरार

NAWADA : नवादा में कोव्यवस्था का आलम अस्पतालों में देखने को मिल रहा है। तस्वीरें बिहार के नवादा के रजौली थाना क्षेत्र के रजौली अस्पताल का ही है जहां अनुमंडलीय अस्पताल में कुव्यवस्था का आलम पूरी तरह देखने को मिला है। जहां महिला की बंध्याकरण के बाद जमीन पर ही लेटा कर छोड़ दिया गया है और कोई व्यवस्था सुविधा मरीज व मरीज के परिजन को नहीं मिला है। आलम तो यह है कि डॉक्टर भी ड्यूटी से फरार है। 

 बता दे कि पूरा मामला मंगलवार का है जहां 25 लोगों का बंध्याकरण का ऑपरेशन किया गया था। जिसमें 12 महिलाओं को जमीन पर ही लेटा दिया गया और मरीजों को जमीन पर ही रात गुजारना पड़ा। और शेष बचे मरीजों को बेड भी उपलब्ध कराया गया है।

कर्मियों पर उतरा परिजनों का गुस्सा

मंगलवार को 8:00 बजे से डॉक्टर सतीश कुमार चंद्रा की ड्यूटी थी लेकिन वह ड्यूटी में नहीं पहुंचे, आलम तो यह हुआ कि मरीज अस्पताल में उपस्थित जीएनएम एएनएम को खूब खरी खोटी सुनाना शुरू कर दिया। जिसके बाद किसी स्वास्थ्य कर्मी महिलाएं के द्वारा मॉर्निंग में ड्यूटी करने वाले डॉक्टर श्याम नंदन से संपर्क की गई। और उन्हें पूरी जानकारी दी गई। जिसके बाद मदद के तौर पर डॉक्टर डॉ श्याम नंदन ने बिना ड्यूटी रहे वह अस्पताल पहुंचे और मरीजों की सेवा किया है।

डॉक्टर श्याम नंदन ने किया खुलासा

बता दे कि रजौली के अस्पताल पहुंचे डॉ श्याम नंदन ने खुलासा किया कि मंगलवार को रात 8:00 बजे रोस्टर चार्ट के अनुसार डॉक्टर सतीश कुमार की ड्यूटी है। लेकिन वह ड्यूटी में नहीं आ रहे हैं। ड्यूटी चार्ट डॉक्टर को भी पता है।लेकिन पता नहीं वह ड्यूटी में क्यों नहीं आए और यहां पर आए मरीज काफी हरबरा रहे थे जिनकी आकर हम सेवा किए हमारा ड्यूटी भी नहीं है। वह बिहारशरीफ में रहते हैं।बताया जाता है कि डॉक्टर सतीश कुमार चंद्रा प्राइवेट अस्पताल बिहारशरीफ में अपना क्लीनिक खोले हैं और वहीं वह सेवा दे रहे हैं। इसी की वजह से ड्यूटी पर नहीं आ सके हैं।

पहले भी चर्चा में रहा अस्पताल

रजौली अस्पताल हर वक्त सुर्खियों में रहता है और यहां पर किसी पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती है अधिकारी भी मुंह दर्शक बनकर कुर्सी पर बैठे हैं। आलम तो यह है कि 20-20 साल से कई आरोप लगने के बावजूद भी कई डॉक्टर रजौली के ही कुर्सी पर बैठकर सरकार की हर आदेश का धज्जियां उड़ा रहे हैं। लेकिन नवादा में वरीय अधिकारी पूरी तरह मौन है। इस तरह का आलम अक्सर रजौली के अस्पताल में देखने को मिलता है।   ठंड में भी मरीज को जमीन पर लेटा दिया जाता है। और कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति अधिकारियों के द्वारा किया जाता है। 20 साल से डॉक्टर कब्जा जमा कर बैठे हैं उन पर कई आरोप भी है। 

लेकिन सिस्टम पूरी तरह चरमरा गया है और यहां के अधिकारी भी मूकदर्शक बन गए हैं। अब आलम यह है कि गरीब लाचार आसहायक लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। और सरकार के रुपया उठाने वाले ड्यूटी के नाम पर खानापूर्ति कर रहे हैं।सवाल तो बिहार के स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी यादव से भी है क्या ऐसे लोगों पर कोई कार्रवाई होगी इस अस्पताल की व्यवस्था सुधरेगी। यह फिर इसी तरह 20 - 20 साल के कब्जा जमा कर बैठने वाले लोग आराम फरमाते रहेंगे। यहां के लोगों को कहना है कि बिहार के स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी यादव को भी यह पता होना चाहिए कि रजौली चाहिए ऐसा अस्पताल जो हरदम सुर्खियों में बना रहता है।

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