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7 दिनों से नवादा के नक्सल प्रभावित क्षेत्र गोविदपुर पीएचसी में लटका है ताला, संकट में मरीज

7 दिनों से नवादा के नक्सल प्रभावित क्षेत्र गोविदपुर पीएचसी में लटका है ताला, संकट में मरीज

नवादा : जिले के नक्सल प्रभावित गोविदपुर प्रखंड का प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बीते 7 दिनों से लगातार बंद रह रहा है. जिस अस्पताल में सुबह से शाम तक मरीजों का इलाज होता था वहां अब विरानगी छाई हुई है. 

अस्पताल के दरवाजे पर अनिश्चितकालीन बंदी का नोटिस चस्पा किया गया है। बुधवार को बनियाबिगहा, गोविदपुर से इलाज कराने के लिए आए कई मरीजों को वापस लौटना पड़ा। हालात इस कदर हैं कि इस अस्पताल में ना तो यहां कोई डाक्टर पहुंच रहे हैं ना ही कोई नर्स या अन्य स्टाफ। खामियाजा प्रखंड क्षेत्र की करीब 5 लाख की आबादी के बीच बीमार मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। 

यह स्थिति बीते 19 अप्रैल से है। गोविदपुर प्रखंड मुख्यालय समेत गांव-कस्बे के मरीज और उनके परिजन इलाज के लिए परेशान हैं। सबसे ज्यादा परेशानी गरीब तबके के मरीजों को हो रही है। साधन संपन्न लोग तो निजी क्लीनिक जाकर इलाज करा ले रहे हैं। लेकिन रुपये के अभाव में गरीब परिवारों के मरीज गोविदपुर अस्पताल आकर बैरंग लौटने को मजबूर हैं। हर बार उन्हें अस्पताल बंद है का जवाब मिल रहा है। ऐसे में गोविदपुर प्रखंड के प्रबुद्धजनों में इस कुव्यवस्था को लेकर घोर नाराजगी है। प्रखंड क्षेत्र की आम आवाम ने गोविदपुर पीएचसी को अविलंब चालू करने की मांग की है। इस पूरे मामले में अफसोस इस बात का है कि किसी भी स्तर से पीएचसी को चालू कराने के लिए सकारात्मक पहल नहीं हो रही है।

नवजात बच्चे की मौत के बाद हंगामा व मारपीट से अस्पताल कर्मियों में गुस्सा

गोविदपुर पीएचसी में बंदी का मुख्य कारण बीते 18 अप्रैल की रात्रि में एक नवजात बच्चे की मौत और उसके बाद हो हंगामा व मारपीट की घटना है। आरोप है कि परिजनों ने चिकित्सा प्रभारी के साथ मारपीट की। अस्पताल के प्रभारी समेत तमाम कर्मी खुद को असुरक्षित बताते हुए यहां इलाज करने में असमर्थ बताते हैं। मारपीट की घटना का केस स्थानीय पुलिस थाने में दर्ज है। लेकिन मामले में अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं होने से चिकित्सक समेत स्वास्थ्य कर्मियों में गुस्सा है। 

नरहट व काशीचक के बाद गोविदपुर की घटना से लचर व्यवस्था पर सवाल

नवादा जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था दुरुस्त नहीं है। आए दिन अस्पताल में हो हंगामा व मारपीट की घटनाएं सामने आती रही हैं। बीते दिनों गोविदपुर पीएचसी में हंगामा व मारपीट की घटना हुई। यह कोई एकलौता उदाहरण नहीं है। इससे पहले नरहट व काशीचक पीएचसी में भी तोड़फोड़, हंगामा व मारपीट की घटनाएं हुई हैं। जुलाई 2017 में नरहट पीएचसी में एक किशोर लड़के की मौत के बाद नाराज लोगों ने जमकर बवाल काटा था। आक्रोश इस कदर भड़का था कि स्वास्थ्य कर्मियों के साथ मारपीट से लेकर अस्पताल में आगजनी की भी घटना हुई थी। इस घटना ने पूरी व्यवस्था पर सवालिया निशान लगाया था। घटना के बाद करीब डेढ़ माह तक नरहट पीएचसी में इलाज का काम ठप रहा था। 

वहीं बीते साल 2018 में काशीचक में भी नाराज लोगों ने स्वास्थ्य कर्मियों के साथ मारपीट की थी। जिसके बाद यहां भी हफ्तों तक पीएचसी की स्वास्थ्य व्यवस्था ठप हो गई थी। ऐसे में सवाल यह उठता है कि इन सब घटनाओं पर रोक कब लगेगी। आखिरकार नवादा में इस तरह की घटनाओं के बाद आम मरीज कब तक और क्यों परेशान होते रहेंगे। जरूरत है कि प्रशासनिक व्यवस्था के साथ ही अस्पताल में मूलभूत जरूरतों पर ध्यान दिया जाए। आमजनों को भी संयम दिखाने की जरूरत है।

झारखंड की सीमा पर है अस्पताल

नवादा आने में 20 किमी.गोविदपुर प्रखंड का यह पीएचसी झारखंड की सीमा पर है। यहां से ढाई किलोमीटर बाद से झारखंड का गांव शुरू हो जाता है। गोविदपुर के अलावा पड़ोसी झारखंड के कई गांव मसलन अलखडीहा, बासोडीह, पोखरडीहा, खैरा, मीरगंज, भागलपुर से भी बीमार लोग अपना इलाज कराने के लिए गोविदपुर पीएचसी पहुंचते हैं। गोविदपुर के कई पंचायत जंगल क्षेत्र में हैं। जिनके लिए यह अस्पताल काफी महत्वपूर्ण है। गोविदपुर पीएचसी से नवादा जिला मुख्यालय स्थित सदर अस्पताल की दूरी 20 किमी. है। 

सिविल सर्जन,डॉ. श्रीनाथ प्रसाद ने कहा कि अस्पताल में जिस तरह से चिकित्सा प्रभारी के साथ मारपीट की घटना हुई उससे समूचे स्वास्थ्य कर्मियों में नाराजगी है। अस्पताल के कर्मियों को बंद ओपीडी चालू करने के लिए कहा गया है। लेकिन कर्मी घटना के दोषी लोगों पर कानूनी कार्रवाई की मांग पर अड़े हैं। अस्पताल के कर्मी वहां काम करने में खूद को असुरक्षित बता रहे हैं।

थाना प्रभारी, गोविदपुर ज्योतिपुंज ने कहा है कि पीएचसी की घटना मामले में केस दर्ज किया गया है। आरोपितों को पकड़ने के लिए लगातार छापेमारी की जा रही है। अब तक किसी की भी गिरफ्तारी नहीं हो सकी है। जल्द ही उन्हें पकड़ा जाएगा।


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