पटना. नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी का नाम बदलने के केंद्र की मोदी सरकार के निर्णय के खिलाफ बुधवार को कांग्रेस और भाजपा में जुबानी तकरार शुरू हो गई है. पीएम मोदी के निर्णय की आलोचना करते हुए कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, 'आज एक प्रतिष्ठित संस्थान को एक नया नाम मिला है। विश्व भर में प्रसिद्ध नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी अब प्राइम मिनिस्टर्स मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी के नाम से जाना जाएगा।' उन्होंने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, 'जब बात हमारे पहले और सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले प्रधान मंत्री की होती है तो पीएम मोदी के पास भय और असुरक्षाओं का पिटारा रहता है।'
रमेश ने मोदी सरकारी पर आरोप लगाते हुए कहा कि उनका एकमात्र एजेंडा नेहरू और उनकी विरासत को नकारना, बदनाम और नष्ट करना है। वह 'एन' शब्द हटाकर उसके स्थान पर 'पी' शब्द का इस्तेमाल कर रहे हैं। कांग्रेस नेता ने कहा कि देश की लोकतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष, वैज्ञानिक और उदारवादी नींव रखने में नेहरू की योगदान को हम नहीं भूलने देंगे। नेहरू ने देश की आजादी के लिए अहम योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि अब सब मोदी और उनके साथ काम करने वालों के हाथ में है। इन सब के बावजूद जवाहरलाल नेहरू की विरासत दुनिया के देखने के लिए जीवित रहेगी और आने वाली पीढ़ियों को वह प्ररित करते रहेंगे।
हालांकि केंद्र के निर्णय का बचाव करते हुए पटना साहिब से बीजेपी सांसद रविशंकर प्रसाद ने कहा, "कांग्रेस पार्टी और जयराम रमेश और पीएम नरेंद्र मोदी की सोच में बुनियादी अंतर है। वे (कांग्रेस) सोचते हैं कि केवल नेहरू जी और परिवार ही मायने रखते हैं। नरेंद्र मोदी ने सभी पीएम को सम्मानजनक स्थान दिया है।" देश के संग्रहालय में लाल बहादुर शास्त्री को वहां जगह क्यों नहीं मिली? वहां न तो इंदिरा गांधी थीं, न राजीव गांधी, न मोरारजी देसाई, न चौधरी चरण सिंह, न अटल बिहारी वाजपेई, न आईके गुजराल, न एचडी देवेगौड़ा. अब सभी प्रधानमंत्रियों को जगह मिल रही है, यह प्रधानमंत्री स्मृति पुस्तकालय बन रहा है
नेहरू मेमोरियल का इतिहास : एडविन लुटियंस की इंपीरियल कैपिटल का हिस्सा रहा तीन मूर्ति भवन अंग्रेजी शासन में भारत के कमांडर इन चीफ का आधिकारिक आवास था। ब्रिटिश भारत के अंतिम कमांडर इन चीफ के जाने के बाद 1948 में तीन मूर्ति भवन देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का आधिकारिक आवास बन गया। वे यहां करीब 16 सालों तक रहें और यहीं उन्होंने अपनी आखिरी सांस भी ली थी। उनके निधन के बाद इस तीन मूर्ति भवन को उनकी याद में समर्पित कर दिया गया। इसके बाद से ही इसे पंडित नेहरू मेमोरियल के नाम से जाना जाने लगा। अब केंद्र सरकार ने इसका नाम नेहरू मेमोरियल से बदलकर पीएम म्यूजियम एंड सोसाइटी कर दिया है।