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कांग्रेस ने पिछले चुनाव से नहीं लिया सबक! इंडिया गठबंधन में शामिल होने के बाद सनातन के मुद्दे पर असमंजस में पार्टी, भाजपा लगा रही चौके -छक्के

कांग्रेस ने पिछले चुनाव से नहीं लिया सबक! इंडिया गठबंधन में शामिल होने के बाद सनातन के मुद्दे पर असमंजस में पार्टी, भाजपा लगा रही चौके -छक्के

भारतीय जनता पार्टी का प्रारब्ध है कि उसके विरोधी उसे कोई न कोई ऐसा राजनीतिक हथियार दे देते हैं, जिससे वह अपनी खिसकी जमीन फिर से कब्जा कर लेती है. मोदी और भाजपा विरोध में बना इंडिया महागठबंधन धर्मनिर्पेक्षता के नाम पर  हिन्दू और सनातन धर्म विरोध पर आकर ठहर सा गया है. इंडिया महागठबंधन के प्रमुख घटकों में से एक डीएमके के नेता और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन की सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री के. पोनमुडी के बयान से खलबली मच गई है.  उच्च शिक्षा मंत्री के. पोनमुडी का बयान सनातन धर्म विरोधी है. उनके बयान पर इंडिया महागठबंधन के सभी घटक दलों को सफाई देने की नौबत आ सकती है कि सनातन धर्म पर उनके क्या विचार हैं. सनातन विरोधी बयान एक तरह से  राजनीतिक मुद्दा बन गया है. कई लोग सवाल खड़ा कर रहे हैं कि क्या सनातन का विरोध करना हीं धर्मनिर्पेक्षता कही जाती है.

साल 2014 के लोकसभा चुनाव में करारी हार  के बाद कांग्रेस की तत्कालीन अध्यक्ष सोनिया गांधी ने हार के कारणों का पता लगाने के लिए एके एंटनी कमेटी की अध्यक्षता में समिति बनाई थी. एके एंटनी की कमेटी ने 2014 के लोकसभा में पार्टी के  हार के कारणों की  समीक्षा की और  कांग्रेस आलाकमान को यह साफ-साफ बता दिया था कि कांग्रेस के लोक सभा में 44 सीटों पर सिमट जाने का सबसे बड़ा कारण यह रहा है कि कांग्रेस पार्टी पर मुसलमानों की पार्टी होने का आरोप लगा , मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति ने कांग्रेस की मुसलमान की पार्टी के तौर पर कथित छवि बना दी.धर्मनिरपेक्षता और साम्प्रदायिकता की लड़ाई में कांग्रेस धर्मनिपेक्षता के चक्कर में कथित तौर पर मुसलमानों की पार्टी हो गई.उस समय कांग्रेस आलाकमान ने एके एंटनी के  रिपोर्ट को  लागू करना शुरु किया.राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा देश के मंदिरों में जाकर पूजा करते नजर आने लगे.

विपक्षी दलों का जब इंडिया गठबंधन बना तो ऐसी खबरें भी आई कि उसमें मोटे तौर पर यह सहमति बनी है कि देश के बहुसंख्यक समुदाय यानी हिंदुओं की भावना को आहत करने से बचना है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर व्यक्तिगत रूप से कोई हमला नहीं करना है और गठबंधन को मोटे तौर पर गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई, संविधान की सुरक्षा, चीन के सामने सरेंडर और कुछ हद तक घोटालों को लेकर ही मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार पर हमला बोलना है.लेकिन तमिलनाडु सरकार के खेल एवं युवा मामलों के मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म को लेकर ऐसा खेला कर दिया जो इंडिया गठबंधन पर भारी पड़ता नजर आ रहा है क्योंकि उदयनिधि स्टालिन सिर्फ एक मंत्री भर नहीं है बल्कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे हैं. उनके बयान को लेकर जैसे ही भाजपा ने डीएमके के साथ-साथ राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, नीतीश कुमार, तेजस्वी यादव, ममता बनर्जी और अखिलेश यादव सहित विपक्षी नेताओं को घेरना शुरू कर दिया, वैसे ही इंडिया महागठबंधन इस पूरे मामले में बैकफुट पर आ गया.अभी ये मामला ठंड़ा भी नहीं पड़ा था कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन की सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री के. पोनमुडी के बयान से खलबली मच गई है. वहीं बिहार के शिक्षा मंत्री हिंदूओं के पवित्र धर्मग्रंथ रामचरितमानस पर लगातार सवाल खड़ा कर भाजपा को राजनीतिक मुद्दा तो दे हीं रहे हैं साथ हीं जदयू इससे असहज हो रही है तो उनकी पार्टी ने भी कई बार उससे किनारा किया है.

सनातन धर्म एक तरफ यह राजनीतिक लड़ाई का मुद्दा बन गया है, तो दूसरी तरफ विश्व हिन्दू परिषद ने 30 अक्टूबर से देश भर में यात्राओं का आयोजन करने का एलान कर दिया है. यह वह समय होगा, जब पांच राज्यों की विधानसभाओं के चुनाव हो रहे होंगे. स्टालिन के बयानों और विश्व हिन्दू परिषद की यात्राओं के एलान से हिन्दू-गैर हिन्दू की लड़ाई का नया मैदान तैयार हो गया है, जिसका राजनीतिक फायदा भाजपा को ही होगा.यात्राओं का उद्देश्य सत्य सनातन हिन्दू धर्म पर हो रहे हमलों का विरोध करना है.

उदयनिधि स्टालिन और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटा प्रियांक खड़गे के सनातन धर्म विरोधी बयानों और उसमें उद्धव ठाकरे का बयान जुड़ने के बाद तस्वीर कुछ ऐसी बन रही है कि इंडिया महागठबंधन की रणनीति हिन्दुओं को जातियों में बांटना और अल्पसंख्यकों को अपने साथ लाकर भाजपा और मोदी को हराने की है.

लोकसभा चुनाव 2024 में सनातन का मुद्दा बड़ा हथियार बन सकता है. इंडिया महागठबंधन के तीन बड़े दलों से जुड़े तमिलनाडू के मंत्री उदयनिधि के सनातन पर बयान, बिहार के शिक्षामंत्री चन्द्रशेखर और दिल्ली के पूर्व मंत्री राजेन्द्र पाल गौतम पहले ही हिन्दू देवी देवताओं के खिलाफ टिप्पणी कर चुके हैं, ऐसे में अब इंडिया महागठबंधन के नेताओं को अपनी स्थिति स्पष्ट करने की मांग तो उठेगी हीं. अब कांग्रेस एके एंटनी के रिपोर्ट को याद रख कर चुनाव लड़ेगी या भूल कर ये आने वाले समय में पता चलेगा.हिंदू विरोधी राजनीति करने का युग खत्म हो गया है इसे विपक्ष समझेगा या गठबंधन को बड़ा हथियार मान कर चुनावी वैतरणी पार करने की कोशिश करेंगे देखना बाकी है.


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