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हाथ कितना हुआ मजबूत? गांधी मैदान देगा गवाही

हाथ कितना हुआ मजबूत? गांधी मैदान देगा गवाही

PATNA : लगभग ढाई दशक बाद कांग्रेस बिहार में अपने दम पर रैली करने जा रही है। रविवार को पटना के गांधी मैदान में होने वाली जन आकांक्षा रैली को लेकर सबकुछ तैयार है लेकिन भीड़ के पैमाने पर रैली कितनी सफल हो पाती है इसकी गवाही खुद ऐतिहासिक गांधी मैदान देगा।

पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की यह पहली रैली होगी। राहुल इसके पहले एक बार गांधी मैदान के मंच पर चढ़े हैं। 2015 में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद नीतीश कुमार ने जब अपनी कैबिनेट के साथ गांधी मैदान में शपथ ली थी तब राहुल भी मुख्य मंच के साथ बने दूसरे मंच पर मौजूद थे। लेकिन इस आयोजन में राहुल या किसी अन्य के संबोधन का कोई सवाल ही पैदा नहीं हुआ था। लेकिन इस बार राहुल ना केवल मुख्य मंच पर होंगे बल्कि उनके भाषण भी सबकी नजरें होंगीं।

सियासी गलियारे में यह बात साफ हो चुकी है कि कांग्रेस अपनी इस रैली से खुद की ताकत आंकना चाहती है। रैली में उसने सहयोगी दल के नेताओं को तो बुलाया है लेकिन उसने किसी भी सहयोगी दल से यह नहीं कहा कि वह अपने समर्थकों को भी बुलाएं। मकसद साफ है गांधी मैदान में अपनी खुद के ताकत की आजमाइश करना। गांधी मैदान में होने वाली सफलतम रैलियों का अपना इतिहास रहा है। जानकर बताते हैं गांधी मैदान की ऐतिहासिक रैलियों में जेपी मूवमेंट के दौरान जयप्रकाश नारायण की तरफ से की गई रैली सबसे ऊपर आती है। इससे इतर हर बड़ी रैली की तुलना लालू यादव की गरीब रैली, नीतीश कुमार की अधिकार रैली और नरेंद्र मोदी के हुंकार रैली से होती है। अब कांग्रेस की जन आकांक्षा रैली को लेकर गांधी मैदान क्या गवाही देता है, इसका इंतजार सबको है।

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