पटना. केंद्र की मोदी सरकार जाति आधारित गणना विरोधी है और इसी कारण अचानक से सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में केंद्र सरकार कूद पड़ी है. मोदी सरकार पर यह आरोप मंगलवार को नीतीश सरकर में मंत्री और जदयू के वरिष्ठ नेता ने लगाया. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार निरीह, असहाय और अनिर्णय की स्थिति में है. यही कारण है कि सुप्रीम कोर्ट में केंद्र के प्रतिनिधि ने कहा कि न तो हम जाति गणना का समर्थन करते हैं और ना ही विरोध. केंद्र का यह वक्तव्य पूरी तरह से हास्यास्पद है. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में जातिगत गणना और आर्थिक सर्वेक्षण पर सुनवाई के दौरान देश के सालिसिटर जनरल ने केंद्र का पक्ष रखा था. उसी पर विजय चौधरी ने उन्हें घेरा है.
विजय चौधरी ने कहा कि बिहार की जनता देख रही है कि केंद्र सरकार क्या चाह रही है.किस तरीके से पहले भी भाजपा ने जातिगत गणना पर रोक लगाने को लेकर पर्दे के पीछे से खेल खेला है. उन्हें डर है कि बिहार के बाद अब देश भर में इस तरह की मांग होगी, इसलिए केंद्र सरकर अब इस मामले में कोर्ट में कूद पड़ी है. केंद्र और भाजपा का जाति गणना विरोधी चेहरा बेनकाब हो गया है.
उन्होंने कहा कि नीतीश के क्रन्तिकारी योजना को भाजपा और मोदी सरकर रोकना चाहती है. लेकिन उनकी कलई खुल गई है. उनकी साजिश भी सफल नहीं होगी. नीतीश के नेतृत्व में देश जो जाति गणना के रूप में रोशनी दिखाई गई है वह अब नजीर बनेगी.
उन्होंने कहा कि बिहार में जो जातीय गणना हुई है उस प्रकार की गणना की मांग अब देश भर में होगी. इसे लेकर केंद्र सरकार और भाजपा डरी हुई है. उन्होंने कहा कि पटना हाईकोर्ट के प्रति हम आभार जताते हैं. साथ ही पटना हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने भी बरकरार रखा है. अब बिहार सरकार वहां भी जीत हासिल करेगी.