PATNA : बिहार में दो विधानसभा सीटों पर चुनाव संपन्न हो चूके हैं और नीतीश सरकार की नेतृत्व वाली एनडीए ने इन दोनों सीटों पर अपना कब्जा बरकरार रखा है। लेकिन, इन चुनाव परिणाम ने एक बात साबित कर दिया है कि बिहार के सीएम की कुर्सी तक पहुंच पाना तेजस्वी यादव के लिए अभी आसान नहीं है। चुनाव से पहले तक यह अनुमान लगाया जा रहा था कि जिस तरह तेजस्वी लोगों से मिल रहे हैं, उसका फायदा तेजस्वी को मिलेगा। लेकिन चुनाव परिणाम ने साबित किया कि तेजस्वी को इसका फायदा नहीं हुआ। उल्टे उपचुनाव में जीत का सौ परसेंट रिकार्ड रखनेवाली पार्टी को पहली बार हार का सामना करना पड़ा। ऐसे में सवाल यह है कि सबकुछ तेजस्वी के पक्ष में होते हुए भी आखिर कहां चूक हुई, जो हार का कारण बन गई।
परिवार में कलह, बड़े भाई से अनबन
लालू प्रसाद का परिवार संयुक्त परिवार के रूप में जाना जाता है। एक ऐसा परिवार जो पिछले तीन दशक से हमेशा साथ नजर आया है। जब तक इस परिवार की राजनीतिक बागडोर लालू-राबड़ी के पास रही, तब तक सबकुछ ठीक रहा। लेकिन, तेजस्वी को जिम्मेदारी मिलते ही इस परिवार में धीरे -धीरे दूरियां बढ़ने लगी। उप चुनाव के दो महीने पहले से ही लालू प्रसाद के दोनों बेटों के बीच झगड़ा शुरू हो गया। जो उपचुनाव के नजदीक आने तक इतना बढ़ चुका था कि दोनों एक दूसरे के सामने भी नही आते थे। तेज प्रताप खुलकर कांग्रेस उम्मीदवार के समर्थन की बात करने लगे। बिहार की जनता के लिए लालू परिवार में यह बिखराव नया था. जो कहीं न कहीं तेजस्वी के नेतृत्व पर सवाल उठा रहे थे। जनता ने मान लिया कि तेजस्वी लालू प्रसाद की तरह परिवार को साथ लेकर चलने की जगह कुछ लोगों की बातों को सुनकर अपना फैसला लेते हैं। जिसे लोगों ने नापसंद कर दिया।
लालू प्रसाद के विवादित बयान
पटना आने से पहले जिस तरह लालू प्रसाद ने एक दलित नेता के लिए विवादित बयान दिए, उन्हें भकचोन्हर कहकर संबोधित किया। उस बयान ने भी तेजस्वी की जीत को प्रभावित किया। कुशेश्वरस्थान में मजबूत दिख रही राजद की स्थिति इन्ही बयानों के बाद बदलने लगी। यहां एक दलित नेता के लिए जिस तरह से लालू प्रसाद के बयान थे, उससे लोगों की नाराजगी बढ़ा दी। अंत में परिणाम उनके खिलाफ चला गया।
पुराने दोस्त को साथ छोड़ा
एक नुकसान कांग्रेस से रिश्ता तोड़ने के कारण भी हुआ। तेजस्वी के सलाहकारों ने यह मान लिया कि राजद ही सबसे ऊपर है और उन्होंने अपने सबसे पुराने साथी की भी इसके लिए बलि लेने से परहेज नहीं किया। चुनाव में कांग्रेस से रिश्ता तोड़ना राजद के लिए बड़ा नुकसान का कारण बना।