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शिक्षा विभाग के भ्रष्ट अधिकारी पर मेहरबानी! सुशासन राज के एक साल में बढ़ी थी 1.48 करोड़ की संपत्ति, कोई कार्रवाई नहीं होने पर अब CM को पत्र

शिक्षा विभाग के भ्रष्ट अधिकारी पर मेहरबानी! सुशासन राज के एक साल में बढ़ी थी 1.48 करोड़ की संपत्ति, कोई कार्रवाई नहीं होने पर अब CM को पत्र

PATNA: बिहार में सुशासन की सरकार है। लेकिन इस कथित सुशासन राज में भ्रष्ट अधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं होती या फिर आरोपों को दबा दिया जाता है। शिक्षा विभाग के एक अधिकारी जिन पर कई गंभीर आरोप लगे,विभाग की तरफ से जांच का आदेश भी हुआ लेकिन समय बीतने के बाद भी जांच की गाड़ी आगे नहीं बढ़ सकी। आरोपी अधिकारी के खिलाफ जांच और कार्रवाई को लेकर मुख्यमंत्री से लेकर भ्रष्टाचार के खिलाफ जांच वाली एजेंसी के प्रधान को पत्र लिखा गया है। 

आरटीआई एक्टिविस्ट ने अब CM को लिखा पत्र

बिहार के जाने-माने आरटीआई कार्यकर्ता शिवप्रकाश राय ने शिक्षा विभाग के एक अधिकारी मिथिलेश कुमार के खिलाफ साक्ष्य के साथ लगाये गए आरोपों की जांच के लिए मुख्यमंत्री,शिक्षामंत्री व अन्य अधिकारियों को पत्र लिखा है। उन्होंने कहा है कि औरंगाबाद के तत्कालीन डीपीओ मिथिलेश कुमार के खिलाफ भ्रष्टाचार के विरुद्ध कार्य कर बनाये गए अकूत संपत्ति के खिलाफ जांच के लिए आर्थिक अपराध इकाई, निगरानी अन्वेषण ब्यूरो, निगरानी विभाग, विशेष निगरानी इकाई और उनके अधिकारियों को पूरे प्रमाण के साथ आवेदन दिया गया। साक्ष्य में यह उल्लेख किया गया कि शिक्षा विभाग के अधिकारी मिथिलेश कुमार भ्रष्टाचार, वित्तीय अनियमितता तथा आय से अधिक कई गुणा अकूत अवैध संपत्ति अर्जित करने की शिकायत थी। इसकी प्रतिलिपि विभागीय वरीय अधिकारियों को भी दी गई थी पर व्यवस्था की जड़ता इतनी अधिक है कि इसमें गति उत्पन्न हो ही नहीं पा रही है।

एक साल में 1.48 करोड़ की संपत्ति का उल्लेख

आरटीआई कार्यकर्ता ने अपने पत्र में उल्लेख किया है कि औरंगाबाद में पदस्थापित तत्कालीन DPO श्री मिथिलेश कुमार के काले कारनामों का सप्रमाण प्रकाशन/प्रसारण हो चुका है. इतना ही नहीं अगर Google Search में जाकर "DPO मिथिलेश कुमार औरंगाबाद" खोजेंगे तो वो भी बता देंगे कि ये कितने भ्रष्ट अधिकारी हैं. जिसने औरंगाबाद रहते रंगदारी से घूसखोरी कर अकूत अवैध संपत्ति जमा की है। संपत्ति का स्वघोषित विवरणी में ही एक साल में एक करोड़ अड़तालीस लाख रुपए की वृद्धि हो गई हो और इसके सारे प्रमाण और लिखित शिकायत सैकड़ों बार भ्रष्टाचार के खिलाफ काम करनेवाले अभिकरणों और विभाग में भेजा गयाहै। 

डीएम ने भी निगरानी जांच को लेकर लिखा था पत्र

इस शिकायत के बाद विभाग ने उस आरोपी अधिकारी को औरंगाबाद से स्थानांतरित कर दिया। 6 माह से अधिक बीत जाने के बावजूद भी उस पर आज तक कोई कार्रवाई न होना आश्चर्य का विषय है. बिहार सरकार तथा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की भ्रष्टाचार के प्रति शून्य सहिष्णुता (Zero Tolerance) की नीति की मिट्टी पलीद करनेवाले इस अधिकारी पर आखिर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही ? अधिकारी मिथिलेश कुमार ने पदस्थापना के दौरान घोर वित्तीय अनियमितता किया है, वहाँ शिक्षकों का शोषण किया है, घूस नहीं देनेवाले ईमानदार और योग्य शिक्षकों को निलंबित-बर्खास्त किया है, इसके घूसखोरी की कथा पूरे राज्य में सबलोगों के जुबान पर है और यह आराम से निश्चिन्त बना हुआ है ! औरंगाबाद के डीएम ने भी मिथिलेश कुमार के विरुद्ध निगरानी जाँच की सिफारिश की थी। साथ ही संपत्ति की आर्थिक अपराध इकाई से जाँच कराने का भी उल्लेख है. यह अधिकारी औरंगाबाद के सलैया थाना कांड संख्या 6/2014 के पर्यवेक्षण प्रतिवेदन के अनुसार फरार अभियुक्त है, फिर भी कोई कार्रवाई नहीं. यह तो हद हो गई है. इस अधिकारी से संबंधित मामले की गहन जाँच कर इस पर उचित विभागीय एवं कानूनी कार्रवाई अपेक्षित है.


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