पटना. लोकसभा चुनाव में महागठबंधन की नाव पर सवार हो चुके वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी ने शनिवार को भाजपा पर गंभीर आरोप लगाए. जमुई संसदीय क्षेत्र में राजद प्रत्याशी के पक्ष में चुनाव प्रचार करने निकले सहनी ने कहा कि विपक्ष के इंडिया गठबंधन के लिए वे हर जगह प्रचार करेंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकास के दावों को फर्जी करार देते हुए सहनी ने कहा, नरेंद्र मोदी की सरकार किसी की नहीं सुनती है. लोकतंत्र खत्म हो रहा है. डायरेक्ट मुख्यमंत्रियों को जेल मे डाला जा रहा है. सिर्फ पांच किलो चावल बाँटकर देश का विकास बता रहे हैं. लेकिन एनडीए के दो करोड़ रोजगार के वादे पूरे नहीं हुए है. पीएम मोदी इसे नहीं बता रहे हैं.
मोदी सरकार कर रही दुरूपयोग : मुकेश सहनी ने कहा कि वे अतिपिछड़ा वर्ग के लिए संघर्ष कर रहे हैं. पिछले लम्बे अरसे से बिहार में निषाद समाज के आरक्षण की मांग कर रहे हैं. कई बार वादा किया गया लेकिन आज तक वादा पूरा नहीं हुआ है. केंद्र की मोदी सरकार सत्ता में आकर उसका दुरूपयोग कर रही है. ईडी और सीबीआई का दुरूपयोग हो रहा है. उन्होंने विपक्ष के खिलाफ केंद्रीय जांच एजेंसियों के गलत तरीके से इस्तेमाल का आरोप लगाया.
वहीं भाजपा के हिंदूवादी राजनीति को आड़े हाथों लेते हुए मुकेश सहनी ने गंभीर आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि एक ओर हिंदूवादी राजनीति करते है और दूसरी ओर गौ मांस कम्पनी से पैसा लेते हैं. गौरतलब है कि इलेक्ट्रोल बांड के आए आंकड़े में भाजपा को कुछ ऐसी कम्पनियों से चंदा मिला है जो मांस के व्यापर से जुड़े हैं. इसी को लेकर मुकेश सहनी ने अब निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों को मोदी सरकार खत्म करने में लगी है. हमारी पार्टी (वीआईपी) को भी खत्म करना चाहते थे. दरअसल, मार्च 2022 में मुकेश सहनी की पार्टी के 3 विधायकों को भाजपा ने तोड़कर अपने दल में शामिल कर लिया था.
मछुआरा समाज पर नजर : गौरतलब है कि एक दिन पहले ही मुकेश सहनी की महागठबंधन में एंट्री हुई है. राजद ने वीआईपी को लोकसभा की तीन सीटें दी हैं. जातीय तौर पर मछुआरा समुदाय से आने वाली जातियों के बीच पकड़ मजबूत करने को लेकर मुकेश सहनी प्रयासरत हैं. सन ऑफ़ मल्लाह के नाम से जाने जाने वाले मुकेश सहनी की नजर मछुआरा उप जातियों की करीब 60 लाख की आबादी पर है. जातीय गणना की रिपोर्ट में 2 अक्टूबर 2023 को बताया गया था कि बिहार में मल्लाह जाति समूह 34 लाख 10 हजार 093 (जनसंख्या का 2.36085%) और केवट जाति समूह 9 लाख 37 हजार 861 (0.717%) है, जबकि कैवर्त जाति समूह की जनसंख्या 2 लाख 65 हजार 943 (0.2034%) है, इसके अलावा बिंद जाति समूह की जनसंख्या 12 लाख 85 हजार 358 है। (0.9833%). इन सभी जातियों की संयुक्त जनसंख्या देखें तो कुल 58 लाख 99 हजार 255 है।
अभिजीत सिंह की रिपोर्ट