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समय समय की बात है ! बिहार से निर्वाचित दलित सांसद, जो ट्रेन में फर्श पर बैठकर पहुंचे दिल्ली, पीए ने आवास पर जमाया कब्जा

समय समय की बात है ! बिहार से निर्वाचित दलित सांसद, जो ट्रेन में फर्श पर बैठकर पहुंचे दिल्ली, पीए ने आवास पर जमाया कब्जा

N4N DESK : देश में लोकसभा के चुनाव हो रहे हैं। पहले चरण के मतदान के बाद 26 अप्रैल को दूसरे चरण के मतदान कराये जायेंगे। लेकिन देश में 1952 में हुए पहले आम चुनाव के बाद लोकसभा में कई ऐसी हस्तियाँ और लोग निर्वाचित होकर गए। जिनके किस्से आज भी लोगों के लोगों के प्रेरणास्रोत हैं। ऐसे ही सांसद थे किराय मुसहर। जो देश में हुए पहले आम चुनाव में निर्वाचित होकर लोकसभा पहुंचे थे। कहा जाता है की किराय मुसहर की जिंदगी इतनी सादगीपूर्ण थी की पहली बार जब वे निर्वाचित होकर दिल्ली जा रहे थे तो उन्हें ट्रेन में जगह नहीं मिली। जिसके बाद वे ट्रेन की फर्श पर बैठकर ही दिल्ली पहुंचे थे। 

कहा जाता है की किराय मुसहर जब दिल्ली पहुंचे तो सांसद के तौर पर मिले उनके घर को उनके ही दबंग पीए ने कब्ज़ा कर लिया था। यहीं नहीं एक बाद वे संसद के गलियारे में भी रोते हुए देखे गए थे। पूछने पर बताया की पीए ने उनकी पिटाई की है। हालाँकि एक सांसद के तौर पर उनके कामों की बड़ी सराहना की जाती है। 

कहा जाता है की उन्होंने तत्कालीन प्रधानमन्त्री जवाहरलाल नेहरु को अंग्रेजी में भाषण देने पर रोक दिया था। जबकि एक सांसद के तौर पर उन्होंने बैलगाड़ी के लिए लाइसेन्स अनिवार्य करा दिया था। जिसके बाद हर बैलगाड़ी पर टिन की एक प्लेट लगाई जाती थी। उन्होंने अपने इलाके के लिए सड़क, गरीबों के लिए घर, पीने का साफ पानी और खेतिहर मजदूरों के लिए अच्छी मजदूरी की मांग उठाई थी।   

बता दें की किराय मुसहर जन्म बिहार के मधेपुरा जिले के मुरहो गाँव में हुआ था। किराय मुसहर के माता-पिता गांव के जमींदार के यहां मेहनत-मजदूरी कर परिवार चलाते थे। बड़े होने के बाद किराय मुसहर गांव के जमींदार महावीर प्रसाद यादव के घर में काम करने लगे। ईमानदार और मेहनती होने के कारण वे महावीर बाबू के चहेते बन गये। उस समय के राजनेता महावीर बाबू के घर आते रहते थे, इसलिए उन सभी को सुनकर किराय मुसहर को भी राजनीति का कुछ ज्ञान प्राप्त हुआ। लोगों के बीच अपनी बात कहने की क्षमता के कारण महावीर बाबू और गांव के लोगों ने किराय को पहले आम चुनाव में आरक्षित सीट से उम्मीदवार बनाया। जिसके बाद वे 1952 में बिहार के भागलपुर और पूर्णिया की संयुक्त सीट से निर्वाचित हुए थे। तब यह सीट एससी के लिए सुरक्षित थी। इस तरह वे बिहार से चुने गए पहले दलित सांसद थे। आज भी किराय मुसहर का घर एक झोपड़ी ही है। जिसमें उनके वंशज रहते हैं। 


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