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बेटियों का कब्रगाह मुजफ्फरपुर! गुंडे यहां बेटियों का निवाला बनाते हैं, 3 बेटियों की खौफनाक कहानी जिसे सीबीआई तक नहीं सुलझा पाई..पर्दे के पीछे का राज...

बेटियों का कब्रगाह मुजफ्फरपुर! गुंडे यहां बेटियों का निवाला बनाते हैं, 3 बेटियों की खौफनाक कहानी जिसे सीबीआई तक नहीं सुलझा पाई..पर्दे के पीछे का राज...

मुजफ्फरपुर- नवरुणा हत्याकांड ने पूरे देश को दहला दिया. इस मर्डर की कहानी सुनकर लोगों का कलेजा बैठ गया. शव मिलने के बाद पता चला कि वहशीपन की सारी हदें पार कर दी गईं थीं. नवरुणा केस की जांच में जब राज्य का पुलिस तंत्र फेल कर गया तो केस सीबी को सौंपा गया, वह भी पता लगाने में विफल रही तो कारण कथित तौर पर बड़े लोगों का शामिल होना बताया गया.खुशी मामले में पुलिस लकीर पीट रही है तो यशी सिंह के अपहरण के मामले में हाई कोर्ट ने पुलिस तंत्र पर ही सवाल खड़ा कर दिया है. पुलिस प्रशासन पर लगातार सवाल खड़ा होने के बाद भी पुलिस के हाथ खाली हैं तो कारण क्या है.

चर्चित नवरुणा कांड की गुत्थी नहीं सुलझा पायी. पांच साल व 10 महीने की जांच में सीबीआइ नवरुणा के हत्यारे को नहीं खोज पायी है. सोमवार को सीबीआइ ने कोर्ट में फाइनल रिपोर्ट दाखिल कर दी है. इस रिपोर्ट में सीबीआइ ने घटना की जांच में सबूत व तथ्य नहीं मिलने की बात कही है. कई तरह की वैज्ञानिक जांच के बाद भी घटना के कारणों व हत्यारों को लेकर सीबीआइ साक्ष्य नहीं जुटा सकी है. 40 पेजों की फाइनल रिपोर्ट में जांच के 86 बिंदुओं को शामिल किया गया है.जांच रिपोर्ट में सीबीआइ ने बताया कि 26 नवंबर 2012 को नाले से बरामद शव का खुलासा नहीं हो पाया. इस मामले में नगर थाने के तत्कालीन थानेदार जितेंद्र प्रसाद समेत वार्ड पार्षद राकेश कुमार सिन्हा पप्पू समेत दर्जनभर संदिग्धों का लाइ डिटेक्टर व ब्रेन मैपिंग करायी गयी. लेकिन ठोस साक्ष्य नहीं मिल पाया.फाइनल रिपोर्ट दाखिल होने के बाद विशेष कोर्ट में चार दिसंबर को सुनवाई होगी. डीएसपी अजय कुमार ने 40 पेज की दाखिल रिपोर्ट में कई बिंदुओं पर जानकारी दी है. गौरतलब है कि 18 सितंबर 2012 की रात जवाहर लाल रोड स्थित चक्रवर्ती लेन से खिड़की तोड़ कर नवरुणा का अपहरण कर लिया गया था. 26 नवंबर को चक्रवर्ती लेन स्थित नाले से ही एक कंकाल बरामद हुआ था. जिसकी डीएनए जांच में नवरुणा का शव होने की पुष्टि हुई थी.

पटना हाईकोर्ट ने मुजफ्फरपुर के ब्रह्मपुरा थाना अंतर्गत राजन साह की 5 वर्षीय बेटी खुशी कुमारी के अपहरण के मामले को लेकर जांच का जिम्मा सीबीआई को सौंप दिया . 16 फरवरी 2021 को 5 साल की खुशी का अपहरण सरस्वती पूजा पंडाल से हो गया था. सीसीटीवी फुटेज होने के बावजूद जांच समय पर नहीं होने के कारण आज तक सुराग नहीं मिला. खुशी के पिता मुजफ्फरपुर पुलिस के कार्यशैली से संतुष्ट नहीं थे, जिसके कारण खुशी के पिता राजन साह ने पटना हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. ये याचिका अधिवक्ता ओमप्रकाश कुमार ने दायर की थी. घटना के 20 महीने बाद भी जब सीबीआई ने जांच शुरू की तो पिता राजेंद्र शाह ने कहा- "बहुत छोटे आदमी हैं हम, हमारे लिए देश की सबसे बड़ी एजेंसी आई है. उम्मीद है कि अब हमें हमारी बेटी मिल जाएगी. अब इनकी भी उम्मीद धुंधली हो रही है और सीबीआई को सफलता मिलते नहीं दिख रहा है.

कॉलेज जाने के दौरान रास्ते से अगवा की गई एमबीए की छात्रा यशी सिंह के अपहर्ताओं तक पहुंचने के लिए सीआईडी वैज्ञानिक जांच पर जाेर दे रही है। इस अपहरण कांड में बरामद दाे अहम साक्ष्य की चंडीगढ़ स्थित केंद्रीय एफएसएल लैब में जांच कराई जाएगी। अपहरण के दिन यानी 12 दिसंबर की वीडियो फुटेज और यशी सिंह की तस्वीर की जांच के लिए सीआईडी ने बुधवार को सीजेएम कोर्ट में अर्जी दाखिल की. पटना हाईकोर्ट ने एलएन मिश्रा कॉलेज,मुजफ्फरपुर से एमबीए कर रही छात्रा यशी सिंह के अपहरण पर कड़ा रुख अपनाते हुए एसपी, मुजफ्फरपुर को चार सप्ताह में अनुसंधान का ब्यौरा दायर करने का आदेश दिया। जस्टिस अनिल कुमार सिन्हा ने इस मामलें पर सुनवाई की.साहेबगंज कॉलेज के पूर्व प्राचार्य राम प्रसाद राय की नतनी ऐसी सिंह का अपहरण 22 दिसंबर 2022 को कॉलेज जाते वक्त हो गया था.घटना के 6 माह बाद भी पुलिस अब तक छात्रा की बरामदगी नहीं कर पाई है.जांच में पता चला कि सोनू कुमार ने दो महिलाओं के साथ मिलकर भगवानपुर चौक से नशे का इंजेक्शन देकर अपहरण कर लिया है और लड़की को चतुर्भुज स्थान में बेच दिया है.

सदर थाना क्षेत्र के भगवानपुर से 12 दिसंबर 2022 को एमबीए की छात्रा यशी सिंह गायब हो गयी थी. मामले में उसके नाना राम प्रसाद राय के बयान पर अपहरण की धारा में प्राथमिकी दर्ज की गयी थी. प्राथमिकी दर्ज होने के एक साल बाद भी पुलिस यशी सिंह को नहीं खोज पायी. यशी सिंह के सोशल मीडिया अकाउंट एक्टिव करके हैंडल करने के मामले में पुलिस ने दो महिलाओं को गिरफ्तार कर जेल भेजा था. इसके अलावा एक संदिग्ध को थाने पर लाकर पूछताछ की थी. इसके बाद भी यशी का कुछ सुराग नहीं मिला तो उसके परिजनों ने हाइकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. इस बीच जिला पुलिस से यह केस को सीआइडी को ट्रांसफर कर दिया गया. पहले जिला पुलिस की ओर से यशी सिंह की बरामदगी में सहयोग करने वाले या इसकी सूचना देने वाले के लिए 50 हजार इनाम घोषित किया था. लेकिन, अब उसको बढ़ाकर तीन लाख रुपये कर दिया गया है. इधर, सीआइडी इस कांड में पूर्व में जेल भेजी गयी दोनों महिलाओं को थाने पर बुलाकर पूछताछ कर चुकी है. वहीं, सेंट्रल जेल में बंद सोनू से भी जेल में जाकर पूछताछ करने के लिए केस के आइओ सह सीआइडी के डीएसपी रामदुलार सिंह ने कोर्ट में अर्जी दाखिल की है.

अपहृत एमबीए छात्रा मामले में शहीद खुदीराम बोस केंद्रीय कारा मुजफ्फरपुर में बंद सोनू से सीआइडी पूछताछ करेगी. सीआइडी की ओर से सीजेएम कोर्ट में अर्जी दी गई है. इसमें सोनू से जेल में जाकर पूछताछ करने की अनुमति मांगी. कोर्ट ने अर्जी पर सुनवाई की. सुनवाई के बाद सीआईडी को जेल में जाकर पूछताछ करने की अनुमति दे दी है. बताया गया है कि सोनू वैशाली जिले के बेलसर ओपी क्षेत्र का रहने वाला है. वहां की पुलिस ने सोनू को एससी-एसटी और मर्डर केस में गिरफ्तार कर जेल भेजा था. सोनू हाजीपुर जेल में बंद था. उसे छह नवंबर को मुजफ्फरपुर सेंट्रल जेल में लाया गया था. संभावना है कि सीआईडी सेंट्रल जेल में पहुंच कर उससे पूछताछ कर सकती है. इससे पूर्व सीआइडी ने केस की आरोपित अर्चना, ज्योति और सोनू के मोबाइल को जांच कराने की अनुमति मांगी थी. सीजेएम ने तीनों के मोबाइल की जांच करने का आदेश दे दिया था. पूर्व में इस केस की जांच पुलिस कर रही थी. अब सीआईडी इस केस की जांच कर रही है.

बता दें कि इस मामले में पटना हाइकोर्ट ने राज्य की पुलिस की कार्यकलापों की तीखी आलोचना की है. कोर्ट ने कहा कि पुलिस संवेदनशील नहीं है. यदि वह संवेदनशील होती, तो पिछले एक साल से अपहृत एमबीए के छात्रा को खोज निकालती. कोर्ट ने कहा कि जब हाइकोर्ट इस केस को सीबीआइ को सौंपने जा रहा था, तो राज्य सरकार ने इसे आनन-फानन में सीआइडी को सौंप दिया.

बिहार में अपराध की घटनाओं में इजाफा देखा जा रहा है. तमाम दावों के बाद भी  अपराध रूक नहीं रहा है. सबसे बड़ा सवाल है कि सीबीआई बिहार में फेल क्यों हो रही है. जिस सीबीआ पर जांच के मामले में लोगों का भरोसा है कि वो केस जरुर हल कर लेगी वह मुजफ्फरपुर में नवरुणा मामले में हाथ खड़ा करने पर विवश क्यों है. नीतीश कुमार ने लॉ एंड ऑर्डर को लेकर बेहतर व्यवस्था के लिए कड़क अधिकारी आरएस भट्टी को बिहार का डीजीपी बना तो दिया लेकिन यशी सिंह के मामले में उनकी पुलिस फिसड्डी साबित हो रही है तो क्यों, सवाल तो उठता है. बिहार में कानून-व्यवस्था के बेलगाम होने की बात कही जा रही है. नवरुणा, यशी सिंह और खुसी के मामले में सरकार की फजीहत हो रही है सो अलग है.आखिर आज भी लोग पुलिस पर यकीन नहीं कर रहे तो कारण क्या है. पुलिस के बार बार अपील के बाद भी जानकारी होते हुए वे पुलिस को बताना क्यों नहीं चाहते. सरकार जरा सोचिएगा और हो सके तो इसका समाधान निकालिए, क्योंकि आप लाख दावा कर लें सरकार लेकिन हकीकत यहीं है कि आपकी पीपुल्स फ्रेंडली पुलिस के पास लोग जाना नहीं चाहते.

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