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दिल्ली अग्निकांड के बाद बिहार के कई गांवों में तीसरे दिन भी पसरा मातम, अपनों के शव के इंतजार में पथराई आंखें...

दिल्ली अग्निकांड के बाद बिहार के कई गांवों में तीसरे दिन भी पसरा मातम, अपनों के शव के इंतजार में पथराई आंखें...

PATNA: बिहार के कई गांवों में दिल्ली अग्निकांड के 3 दिनों के बाद भी मातम पसरा है।अपनों के शव के इंतजार में आंखे पथरा गई है। बिहार के समस्तीपुर जिले के सिंधिया प्रखंड के हरपुर, ब्रह्मपुरा और बेलाही गांवों में मंगलवार को भी कई घरों में चूल्हे नहीं जले हैं। उन्हें अब अपने परिजनों के पार्थिव शरीर का इंतजार है, जिन्हें कम से कम अंतिम समय पर निहार सकें। इन गांवों में महिलाओं का रह-रहकर चीत्कार अब भी सुनाई दे रहा है।

हरपुर गांव के निवासी मोहम्मद उल्फत को तो अब कोई ढांढस भी नहीं बंधा पा रहा है। उनकी आंखों के आंसू भी तीन दिनों में सूख गए हैं। आखिर उसने दो जवान बेटे खो दिए हैं। उल्फत ने अपने चौथे बेटे वाजिद (18) को पिछले महीने ही टेलरिंग के काम के लिए उसके भाई साजिद (26) के साथ दिल्ली भेजा था। हरपुर गांव के ही एक व्यक्ति का दिल्ली में एक कारखाना है। इस कारखाने में यहां के करीब 40 लोग काम करते थे। 

बता दें कि दिल्ली के अनाजमंडी इलाके में एक कारखाने में लगी आग में बिहार के 36 लोगों की मौत हुई थी। मृतकों में सबसे अधिक समस्तीपुर के 12 लोग हैं। परिजनों की इच्छा के अनुसार अंत्येष्टि के लिए मृतकों को बिहार लाया जा रहा है। श्रम विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि दो शवों की पहचान नहीं हो सकी है। आशंका है कि ये दोनों भी बिहार के ही हैं। अगर ये दोनों मृतक भी बिहार के निकले तो राज्य के मृतकों की संख्या बढ़कर 38 हो सकती है।

गौरतलब है कि दिल दहला देने वाले इस हादसे में समस्तीपुर के 12, सहरसा के नौ, सीतामढ़ी के छह, मुजफ्फरपुर के तीन, दरभंगा के दो और बेगूसराय, मधेपुरा, अररिया तथा मधुबनी के एक-एक लोगों की मौत हुई है। सहरसा के कहरा प्रखंड के नरियार गांव में भी घटना के बाद मातम पसरा हुआ है। अश्रुपूर्ण नेत्रों से गांव के लोग अपने लाल के पार्थिव शरीर का इंतजार कर रहे हैं। गांव के कई घरों के लोग दिल्ली चले गए हैं।


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