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‘देश का पीएम कैसा हो, नीतीश कुमार जैसा हो'... पीएम मोदी के खिलाफ विपक्ष को एकजुट करने वाले नीतीश क्यों हो सकते हैं I.N.D.I.A. के 'प्रधानमंत्री'

पटना. ‘देश का पीएम कैसा हो, नीतीश कुमार जैसा हो'' . बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शिक्षक दिवस पर पटना विश्वविद्यालय में अपने भाषण को विराम दिया तो दर्शनदीर्घा से उनके लिए प्रधानमंत्री बनाने की मांग वाले नारे गूंजे. इस पर उन्होंने कहा, "अरे चुप, रुको ना जरा" लेकिन भीड़ ने जल्द ही अपना स्वर फिर से तेज कर दिया और ‘देश का पीएम कैसा हो, नीतीश कुमार जैसा हो' जोर जोर से लोग बोलने लगे. 

ऐसे में अब एक बार फिर से यह सवाल उठा है कि क्या नीतीश कुमार को लेकर जदयू ने कोई विशेष रणनीति बना रखी है. दरअसल, विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया में “नीतीश भले ही गठबंधन के पीएम उम्मीदवार नहीं हों, लेकिन वह गठबंधन की धुरी हैं, यह सर्वविदित है. ऐसे में राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि भले ही नीतीश ने भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन (INDIA) का संयोजक बनने से इनकार कर दिया है, लेकिन यही भूमिका उन्होंने बहुत प्रभावी ढंग से निभाई है। उन्होंने केजरीवाल के साथ बातचीत करने के अलावा, राहुल गांधी और सोनिया गांधी के साथ अलग-अलग बैठकें करने के लिए सितंबर 2022 में दो बार दिल्ली का दौरा किया। उसके एक साल बाद अब विपक्षी दलों इंडिया स्वरूप सामने है. 

अगर आम आदमी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी सहित 28 राजनीतिक दल तीन महीने में तीसरी बार कांग्रेस के साथ इंडिया की बैठकों में बैठे, तो इसका श्रेय नीतीश को जाता है। विपक्षी गठबंधन बनाने पर उनका ध्यान उस दिन स्पष्ट हो गया था जब उन्होंने पिछले साल 10 अगस्त को आठवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी। शपथ ग्रहण के कुछ देर बाद उन्होंने मीडिया से कहा, ''जो लोग 2014 में जीते थे उन्हें चिंता होनी चाहिए कि क्या वे 2024 के बाद भी जीत हासिल कर पाएंगे. उनकी यह टिप्पणी प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के लिए किसी चुनौती से कम नहीं रही और एक साल में नीतीश ने साबित किया कि वे विपक्षी दलों को जोड़ने की कूबत रखते हैं. 

ऐसे में सवाल उठाना लाजमी है कि जिस नीतीश कुमार ने विपक्षी दलों को जोड़ने का असम्भव सा दिखने वाला काम साकार कर दिया क्या वे अपने लिए कुछ बड़ा सोच रखे हैं. भाजपा ने नीतीश की पहल पर शुरू में तंज कसा था कि विपक्षी दलों कोकभी भी एक साथ नहीं ले जा सकता है. लेकिन नीतीश ने भाजपा को बड़ा झटका देकर पटना से ही इंडिया की शुरुआत की. अब उनके लिए ‘देश का पीएम कैसा हो, नीतीश कुमार जैसा हो’ का नारा लगा तो फिर से यह चर्चा होने लगी कि नीतीश अगले चुनाव के लिए क्या सोच रखे हैं. 

नीतीश के करीबी सूत्रों का कहना है कि उन्होंने पहले ही इंडिया के घटक दलों से सितंबर के अंत तक गठबंधन से संबंधित सभी विवरण तय करने का आग्रह किया है, जिसमें प्रत्येक पार्टी द्वारा लड़ी जाने वाली सीटों की संख्या भी शामिल है। असली कार्रवाई अगले महीने शुरू होगी. 2 अक्टूबर को, महात्मा गांधी की जयंती पर, भारत के नेता देश भर में कार्यक्रम आयोजित करने वाले हैं। नीतीश ने विपक्षी दलों के साथ अपनी चर्चा में बीजेपी विरोधी वोटों को यथासंभव एकजुट करने की भी बात कही है. जबकि कई राज्यों में कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के बीच राजनीतिक मैदान ओवरलैप होता है, जिससे हितों का टकराव होता है. नीतीश चाहते हैं कि सीटों का वितरण भाजपा विरोधी वोटों के न्यूनतम संभावित विभाजन को सुनिश्चित करने के लिए किया जाए।

साथ ही अगर लोकसभा चुनाव में इंडिया को बहुमत का आंकड़ा आ गया तो उस स्थिति में नीतीश कुमार के लिए एक बड़ा मौका मिल सकता है. नीतीश की आवाज पर एकजुट हुआ विपक्ष आज भी कांग्रेस को लेकर उतना सहज नहीं दिखता है. ऐसे में अगर इंडिया के बहुमत आने पर अगर कांग्रेस को नेतृत्व सौपे जाने से अन्य राजनीतिक दलों को आपत्ति होती है तो नीतीश उस समय एक तुरुप का पत्ता खेल सकते हैं. उनके आह्वान पर एकजुट विपक्ष उस समय नीतीश को पीएम पद के चेहरे के रूप में सामने कर सकता है. चुकी भाजपा को सत्ता से हटाने के लिए कांग्रेस पहले से प्रयासरत है तो कांग्रेस भी नीतीश के नाम पर सहमत हो सकती है. हालांकि यह सब तब होगा जब इंडिया को बहुमत आएगा. 


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