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दूरस्थ ग्रामीण इलाकों में डिजिटल शिक्षा का अलग जगा रहे हैं "आनंद", कहा - यह आज की जरुरत

दूरस्थ ग्रामीण इलाकों में डिजिटल शिक्षा का अलग जगा रहे हैं "आनंद", कहा - यह आज की जरुरत

KATIHAR :  कोरोना लॉकडाउन से सबसे ज्यादा प्रभाव शिक्षा व्यवस्था पर पड़ा है। जहां कई सारे प्राइवेट स्कूल "ई-लर्न" ऐप के माध्यम से सहयोगी शिक्षकों के साथ मिलकर कोरोना बंदी के कारण पठन-पाठन को अपने विद्यालय से ही डिजिटल माध्यम से संचालित कर रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को पूरी तरह से यह सुविधा उपलब्ध नहीं हो पा रही है। इसी व्यवस्था को बदलने के लिए कटिहार के सुदूर इलाका प्राथमिक विद्यालय हाजी बसीर टोला के हैं शिक्षक नीरज नयन आनंद ने नई कोशिश शुरू की है। वह दूरस्थ ग्रामीण इलाकों में छात्रों को डिजिटल शिक्षा देने का प्रयास कर रहे हैं। 

दूरस्थ ग्रामीण इलाकों में रहनेवाले छात्रों के लिए नीरज और उनके सहयोगी शिक्षकों ने पहले तो परिजनों से घर-घर तक जाकर संपर्क किया और फिर सोशल डिस्टेंस मेंटेन करते हुए अभिभावकों के साथ एक बैठक बुलाकर बच्चों के परिजनों के पास इससे जुड़े विचार रखा, परिजनों की सहमति से नीरज सुदूर इलाके में स्कूल के छात्र-छात्राओं के बीच डिजिटल शिक्षा के अलख जगा कर बेहद खुश है, नीरज कहते हैं निश्चित तौर पर सुदूर इलाके के ग्रामीण उस तरह का संभ्रांत नहीं है लेकिन फिर भी उन लोगों के सहयोग से उनके स्कूल के बच्चों के बीच यह अब तक बहुत सफल है और आगे हर दिन बच्चों के परिजनों के मोबाईल के माध्यम से बच्चों को जोड़ा जा रहा है।

वहीं, ग्रामीण भी इस पहल से बेहद खुश है,उन लोगों ने कहा कि स्कूल ठप रहने के बाबजूद हाजी बसीर टोला के शिक्षकों ने निजी स्तर पर जो प्रयास किया है यह प्रयास बहुत काबिले तारीफ है, विद्यालय बंद रहने के बावजूद उनके बच्चे घर में ही स्कूल से जुड़े हुए हैं। अब ग्रामीण भी विद्यालय के समय अन्य बच्चों को भी बुलाकर मोबाइल के माध्यम से डिजिटल शिक्षा दिलाने में मदद करते हैं। युवा सोच के शिक्षक नीरज की यह प्रयास यह बताने के लिए काफी है एक सकारात्मक सोच समाज के लिए बहुत बड़ा बदलाव ला सकता है।

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